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Sanitary Waste Garden: चंडीगढ़ के विजय गोपाल ने बनाया सैनिटरी वेस्ट गार्डन, ‘कला सागर’ की मदद से पर्यावरण को बचाने की पहल

इस बगीचे का नाम "कला सागर" है. विजय गोयल की खासियत यह है कि वह इन अपशिष्ट पदार्थों से कुछ सेकंड के भीतर विभिन्न जानवर, पक्षी और अन्य चीजें बना सकते हैं

विजय गोपाल विजय गोपाल
हाइलाइट्स
  • बगीचे का नाम रखा है कला सागर 

  • ऐसी ही कई पहल कर चुके हैं विजय 

सेरेमिक सीमेंट से बना सैनिटरी कचरा पर्यावरण के लिए खतरा है जो न तो नष्ट होता है और न ही विघटित (Decompose) होता है. इसके अलावा जहां इसे डंप किया जाता है वहां जानवरों और पक्षियों को भी चोट पहुंचती है. चंडीगढ़ स्थित विजय पाल गोयल ने अपनी अनूठी पहल के साथ सैनिटरी वेस्ट गार्डन की स्थापना करके पर्यावरण के इस खतरे को कला के रूप में बदल दिया है... 

बगीचे का नाम रखा है कला सागर 

इस बगीचे का नाम "कला सागर" है. विजय गोयल की खासियत यह है कि वह इन अपशिष्ट पदार्थों से कुछ सेकंड के भीतर विभिन्न जानवर, पक्षी और अन्य चीजें बना सकते हैं. बगीचे के एंट्री पर, पानी के पाइप से बने सुरक्षा गार्ड हाथ जोड़कर और मुस्कुराते हुए आपका स्वागत करते हैं. गोयल का दावा है कि वह जन कल्याण के लिए ऐसा कर रहे हैं. 

ऐसी ही कई पहल कर चुके हैं विजय 

दिलचस्प बात यह है कि विजय को फेंके गए क्षतिग्रस्त सेनेटरी आइटम इकट्ठा करने का शौक है. उन्होंने अपशिष्ट यानी की वेस्ट पदार्थों से एक भाप इंजन भी बनाया है, जो वहां के बच्चों और आगंतुकों के लिए प्रमुख आकर्षण है. उनकी कार्यशाला में उनके संग्रह में पीतल के नल, पानी की टंकियां, पीवीसी पाइप और दूसरे स्वच्छता संबंधी सामान शामिल हैं. उन्होंने अपनी यात्रा साझा करते हुए बताया कि जब वह 1980 के दशक में विभिन्न कंपनियों के साथ सलाहकार के रूप में काम करते थे, तो वे उन्हें अपने क्षतिग्रस्त सैनेटरी उत्पाद देते थे और वह उनसे जानवर बनाते थे.

पर्यावरण को बचाने की पहल 

उनकी रचना का आकार 0.5 इंच से लेकर 20 फीट तक है और यह अपशिष्ट सामग्री की उपलब्धता पर निर्भर करता है. विजय चाहते हैं कि कला सागर को चंडीगढ़ पर्यटन मैप पर रखा जाए ताकि लोग समझ सकें कि अपशिष्ट को भी कला में कैसे बदला जा सकता है, पर्यावरण कैसा है कलात्मक तरीके से बचाया जा सकता है.