महान वैज्ञानिक विक्रम अंबालाल साराभाई का जन्म आज ही के दिन 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद में हुआ था. उनके पिता अंबालाल साराभाई एक संपन्न उद्योगपति थे. जिनकी गुजरात में कई फैक्ट्रियां थी. विक्रम साराभाई को इंडियन स्पेस प्रोग्राम का पितामह माना जाता है. साराभाई ने भारत को स्पेस रिसर्च के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और अंतरराष्ट्रीय लेवल पर देश की उपस्थिति दर्ज कराई.
कॉस्मिक रे पर किया शोध
विक्रम साराभाई बचपन से ही साइंस में दिलचस्पी रखते थे. अहमदाबाद से मैट्रिक के एग्जाम पास करने के बाद इंग्लैंड चले गए और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की. 1942 में दूसरे विश्व युद्ध के वक्त विक्रम साराभाई को जबरन भारत वापस लौटना पड़ा. भारत आकर विक्रम साराभाई ने ब्रह्मांडीय किरणों (कॉस्मिक रे ) पर शोध किया. यह शोध उन्होंने महान वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकट रमण के दिशा-निर्देश में किया. इसके बाद 1945 में विक्रम साराभाई डॉक्टरेट करने के लिए फिर से कैंब्रिज यूनिवर्सिटी वापस लौटे. यहां उन्होंने कॉस्मिक रे पर थीसिस लिखी और 1947 में भारत आए और भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की.
होमी जहांगीर भाभा के सपने को बढ़ाया आगे
विक्रम साराभाई ने 1962 में इंडियन नेशनल कमिटी फॉर स्पेस रिसर्च की स्थापना की जिसका नाम बाद में इसरो हुआ. विक्रम साराभाई ने दक्षिण एशिया में थुंबा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन को भी सेटअप किया. 1966 में भारत में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना करने वाले मशहूर वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा के देहांत के बाद विक्रम साराभाई को परमाणु ऊर्जा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया. उन्होंने यहां रहकर होमी जहांगीर भाभा के सपने को आगे बढ़ाया.
तकनीक के प्रयोग में हम किसी से पीछे नहीं रहना चाहते
विक्रम साराभाई की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक इसरो की स्थापना थी. विक्रम साराभाई ने कहा था, कुछ लोग प्रगतिशील देशों में अंतरिक्ष क्रियाकलाप की प्रासंगिकता के बारे में प्रश्न चिह्न लगाते हैं. हमें अपने लक्ष्य पर कोई संशय नहीं है. हम चन्द्र और उपग्रहों के अन्वेषण के क्षेत्र में विकसित देशों से होड़ का सपना नहीं देखते. किंतु राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अर्थपूर्ण भूमिका निभाने के लिए मानव समाज की कठिनाइयों के हल में अति-उन्नत तकनीक के प्रयोग में किसी से पीछे नहीं रहना चाहते.
साराभाई का है खास योगदान
भारत ने आज तक अंतरिक्ष के क्षेत्र में जो कुछ भी हासिल किया है, उसके पीछे साराभाई का बेहद खास योगदान है. डॉ. विक्रम साराभाई की याद में अंतरराष्ट्रीय खगोल संघ ने वर्ष 1974 में अंतरिक्ष में 'सी ऑफ सेरनिटी' पर स्थित बेसल नाम के मून क्रेटर को साराभाई क्रेटर नाम दिया था. इसरो ने भी चंद्रयान-दो के लैंडर का नाम विक्रम रखकर उन्हें याद किया. उनकी सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता यह थी कि वे एक ऐसे उच्च कोटि के इंसान थे जिसके मन में दूसरों के प्रति असाधारण सहानुभूति थी. वह एक ऐसे व्यक्ति थे कि जो भी उनके संपर्क में आता, उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता था.
अब्दुल कलाम जैसी प्रतिभा भारत को दिया
डॉ. साराभाई अपने दौर के उन गिने-चुने वैज्ञानिकों में से एक थे जो अपने साथ काम करने वाले वैज्ञानिकों और खासकर युवा वैज्ञानिकों को आगे बढ़ने में मदद करते थे. उन्होंने डॉ.अब्दुल कलाम के करियर के शुरुआती चरण में उनकी प्रतिभाओं को निखारने में अहम भूमिका निभाई. डॉ.कलाम ने खुद कहा था कि वह तो उस फील्ड में नवागंतुक थे. डॉ. साराभाई ने ही उनमें खूब दिलचस्पी ली और उनकी प्रतिभा को निखारा.
कई पुरस्कारों से नवाजे गए
विक्रम साराभाई को 1962 में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार मिला. उन्हें 1966 में पद्म भूषण और 1972 में पद्म विभूषण (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया था. 1971 में महज 52 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
आईआईएम अहमदाबाद की कराई स्थापना
परमाणु उर्जा आयोग के चेयरमैन रहने के साथ-साथ उन्होंने अहमदाबाद के उद्योगपतियों की मदद से आईआईएम अहमदाबाद की भी स्थापना की. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. सेटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीवीजन एक्सपेरिमेंट (SITE) के लांच में भी साराभाई ने अहम भूमिका निभाई जब इन्होंने 1966 में नासा से इसेक लिए बातचीत की.
डॉ. साराभाई ने इन प्रमुख संस्थानों को किया स्थापित
1. भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), अहमदाबाद.
2. कम्यूनिटी साइंस सेंटर, अहमदाबाद.
3. कला प्रदर्शन के लिए दर्पण अकादमी, अहमदाबाद (अपनी पत्नी के साथ).
4. विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवनंतपुरम.
5. अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, अहमदाबाद (साराभाई की ओर से स्थापित 6 संस्थानों/ केंद्रों के विलय के बाद यह संस्था अस्तित्व में आया)
6. फास्टर ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर (एफबीटीआर), कलपक्कम.
7. परिवर्ती ऊर्जा साइक्लोट्रॉन परियोजना, कोलकत्ता.
8. भारतीय इलेक्ट्रॉनकी निगम लिमिटेड (ईसीआईएल), हैदराबाद.
9. भारतीय यूरेनियम निगम लिमिटेड (यूसीआईएल), जादूगोड़ा, बिहार.