कभी-कभी इंसान का हौसला इतना बड़ा होता है कि बड़ी से बड़ी परेशानी भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाती है. कुछ ऐसी ही कहानी है सीबीएसई कक्षा बारहवीं की टॉपर हन्ना एलिस सीमॉन की. हन्ना कोच्चि की रहने वाली हैं, और उन्हें माइक्रोफथाल्मिया नाम की एक बीमारी है. लेकिन इसके बावजूद भी हन्ना एक यूट्यूबर, सिंगर, मोटिवेशनल स्पीकर और शुक्रवार से सीबीएसई कक्षा बारहवीं की टॉपर हैं.
दरअसल हन्ना एक ऐसी बीमारी से जूझ रही हैं, जिसमें उसकी दोनों आंखों से दिखाई नहीं देता है. उसके बाद भी हन्ना ने दिव्यांग छात्रों की श्रेणी में सबसे टॉप किया है. उन्होंने 500 में से 496 अंक हासिल किए हैं. हन्ना ह्यूमैनिटीज की छात्रा हैं.
मां-बाप ने कभी नहीं महसूस कराया कमजोर
19 साल की हन्ना की इस कमजोरी के बाद भी उनके मां-बाप ने कभी उन्हें अलग सी परवरिश नहीं दी. बल्कि आम बच्चों की तरह उन्हें भी एक आम स्कूल में भेजा गया. अपनी इस बीमारी के साथ जीवन जीना जितना मुश्किल होता, लेकिन हन्ना के मां-बाप ने उन्हें आम लोगों की तरह जीना सिखाया है. एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में हन्ना बताती हैं कि, "आम तौर पर, जब कोई बच्चा दिव्यांगता के साथ पैदा होता है, तो माता-पिता उसके साथ कुछ अलग सा व्यवहार करते हैं. लेकिन मेरे घर में मुझे अपने छोटे भाइयों के समान जिम्मेदारी और व्यवहार मिला. उन्होंने एक आम स्कूल में मेरा एडमिशन कराया, नेत्रहीन स्कूल में नहीं."
क्या है माइक्रोफथाल्मिया?
माइक्रोफथाल्मिया में, आईबॉल पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाती है, या विकसित ही नहीं होती है. जिस कारण इस आई डिसऑर्डर में एक आंख या दोनों आंखें छोटी और आंखों के कार्य असामान्य होते हैं. हन्ना की इस बीमारी की वजह से अक्सर लोग उनके साथ अलग सा व्यवहार करते हैं, कुछ लोग ज्यादा दया दिखाते हैं, तो कुछ इसे समझ नहीं पाते.
बचपन में स्कूल के बच्चे उड़ाते थे मजाक
हन्ना कक्कनड के राजगिरी क्रिस्टू जयंती पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की है. हन्ना बताती हैं कि, "जब वो स्कूल में मेरे साथ अलग व्यवहार करते थे, तो दुख होता था, क्योंकि मुझे मेरी विकलांगता के बारे में अवगत कराया गया था चौथी कक्षा तक, मैं दूसरे स्कूल में थी और मुझे वहां कुछ शैतान बच्चों का सामना करना पड़ा. वे मुझे नाम से बुरे नाम से बुलाते थे, मुझे भूत और शैतान कहते थे. वो कहते थे, कि मैं उन्हें डराती हूं. फिर मैंने पांचवीं कक्षा में अपना स्कूल बदल लिया."
टीचर्स का ज्यादा केयर करना नहीं पसंद था
हालांकि जैसे-जैसे वह बड़ी होती गई, उन्हें इन चीजों से फर्क पड़ना बंद हो गया. हन्ना कहती हैं कि "धीरे-धीरे बच्चों ने मेरा मजाक बनाना बंद कर दिया, लेकिन कोई मुझसे बात नहीं करता था. वहीं टीचर्स मेरी ज्यादा ही केयर करते थे, जैसे किसी इवेंट के समय मेरे लिए अलग से सीट रखते थे, मुझे दौड़-भाग करने के लिए मना करते थे. कई बार इतनी ज्यादा केयर भी अच्छी नहीं लगती."
हालांकि इन सभी समस्याओं को पीछे छोड़कर आज हन्ना काफी आगे निकल चुकी हैं, और अब उन्होंने 12वीं टॉप किया है.