गर्मी का मौसम यानी पानी की किल्लत. देश की राजधानी दिल्ली में भी इस वक्त पानी की समस्या है. जिस कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कई मुख्य इलाकों में यमुना का जलस्तर इतना नीचे चला गया है कि नदी का ज्यादातर हिस्सा खाली मैदान में तब्दील हो चुका है. ऐसे में जीएनटी की टीम ने पर्यावरणविद बीएस वोरा से इस समस्या के समाधान को जानने की कोशिश की.
मानसून में वाटर कंजर्वेशन बदल सकता है तस्वीर
बीएस वोरा ने बताया कि यह समस्या दिल्ली के लिए कोई नई बात नहीं है. लेकिन जैसे-जैसे साल बीते जा रहे हैं. वैसे-वैसे यह समस्या और भी ज्यादा जटिल होती जा रही है. वोरा ने बताया कि चंद्रावल में 90 एमजीडी, वज़ीराबाद में 135 एमजीडी और ओखला में 20 एमजीडी पानी की कमी चल रही है. ये तीनों प्लांट पूरी क्षमता से काम करें, इसके लिये 98 एमजीडी पानी यानी 40% पानी और चाहिए होगा. जहां तक वजीराबाद की बात है तो यदि यहां पर भी मानसून में वाटर कंजर्वेशन की तकनीक का इस्तेमाल किया जाए तो स्थितियां सुधर सकती हैं.
पानी की खपत का दोबारा से हो आकलन
इसके अलावा पर्यावरणविद अनिल सूद जो दिल्ली में पानी की कमी को लेकर कोर्ट में कई याचिकाएं भी दायर कर चुके हैं, उनका कहना है कि 23 लाख की आबादी के लिए डीजेबी ने केवल 1140 एमजीडी की योजना बनाई थी. लेकिन अब जब कई सारी कॉलोनियों का पुनर्विकास हो चुका है और धीरे-धीरे दिल्ली की जनसंख्या भी बढ़ी है, तो किसी ने भी पानी की आवश्यकता का आकलन नहीं किया है. दिल्ली के लोगों की पानी की आवश्यकता का आकलन दोबारा से होना चाहिए.
छोटे-छोटे कदमों से होंगे बड़े बदलाव
इसके अलावा आप अपनी आदतों में छोटे-छोटे बदलाव लाकर भी इस समस्या से निजात पा सकते हैं. जैसे पानी का उतना ही इस्तेमाल करें जितने की जरूरत हो, बेकार में पानी की बर्बादी ना करें. कई बार आपको जितना पानी पीना होता है, आप उससे ज्यादा ले लेते हैं, और फिर उसे फेंक देते हैं. ऐसी चीजें करने से बचें. पानी में कचरा ना फेकें. अगर मुमकिन हो तो बारिश के पानी को रिसाइकल करें. ऐसा करने से आपका और आपके बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहेगा.