पिछले कई दिनों से दिल्ली पानी की कमी से जूझ रहा है. अब इसी कड़ी में दिल्ली सरकार ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की है. इसमें कहा हरियाणा और हिमाचल प्रदेश राज्य राजधानी के लिए अलग से पानी छोड़े. पानी छोड़ने के तत्काल निर्देश देने का अनुरोध करने के लिए दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (SC) का दरवाजा खटखटाया है. यह कदम तब उठाया गया जब दिल्ली का तापमान 50 सेल्सियस पार चला गया है और जिससे पानी की मांग बढ़ गई है.
लगातार पानी की कमी से जूझ रही है दिल्ली
दिल्ली काफी समय से पानी की कमी से जूझ रही है. समस्या के समाधान के लिए अलग-अलग उपायों को लागू करने के बावजूद, शहर इस संकट को प्रभावी ढंग से हल नहीं कर पाया है. बार-बार आने वाली इस समस्या के परिणामस्वरूप इमरजेंसी जैसी स्थिति हो गई है.
ऐसे में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हिमाचल प्रदेश अपने सरप्लस पानी को दिल्ली के साथ साझा करे. इसके लिए हिमाचल सहमत हो गया है, लेकिन इस पानी के लिए हरियाणा से सहयोग की जरूरत है. हालांकि, हरियाणा इसमें सहयोग नहीं दे रहा है, जिससे दिल्ली की जल समस्या और बढ़ गई है.
कानूनी मिसालें और हस्तक्षेप
दिल्ली के पानी के मुद्दों का एक लंबा कानूनी इतिहास है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के कई हस्तक्षेप शामिल हैं-
1. 1995 अंतरिम आदेश
31 मार्च, 1995 को, सुप्रीम कोर्ट ने कमोडोर एस.डी. सिन्हा की याचिका के जवाब में एक अंतरिम आदेश जारी किया था. इसमें हरियाणा को दिल्ली की पेयजल जरूरतों को पूरा करने के लिए यमुना नदी में पानी का नियमित प्रवाह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था. आदेश में कहा गया था कि दिल्ली को अपने हिस्से का पानी दिया जाए. इसमें ये भी कहा गया था कि 1994 के समझौता ज्ञापन (MoU) के सभी हस्ताक्षरकर्ता - हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश - पर्याप्त पानी जारी करना सुनिश्चित करें.
2. 1996 का शासनादेश
अंतरिम आदेश के बाद हरियाणा ने इसका पालन नहीं किया था, जिसके जवाब में दो अवमानना याचिकाएं दायर की गईं. 29 फरवरी, 1996 को ऐतिहासिक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा को घरेलू उपयोग के लिए दिल्ली को पानी की निरंतर आपूर्ति करने का आदेश दिया. साथ ही कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि वजीराबाद और हैदरपुर जलाशय भरे रहें.
हालिया विवाद क्या है?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 में, दिल्ली जल बोर्ड (DJB) ने हरियाणा पर 1996 के SC निर्देश का पालन न करने का आरोप लगाते हुए एक याचिका दायर की, जिसमें दावा किया गया कि हरियाणा प्रतिदिन 120 मिलियन गैलन पानी रोक रहा है. हरियाणा ने इन दावों का खंडन करते हुए दिल्ली के पानी के मुद्दे को आंतरिक कुप्रबंधन बताया था. 23 जुलाई, 2021 को, SC ने DJB की अवमानना याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें जोर दिया गया कि 1996 का आदेश एक कार्यात्मक समीक्षा बोर्ड और समिति की स्थापना के लिए अस्थायी उपाय था. कोर्ट ने कहा कि 1996 के बाद से ढांचागत विकास हुआ है, जिसमें बवाना, द्वारका और ओखला में नए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बने हैं.