
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने दिल्ली, कर्नाटक, गोवा और झारखंड के लिए लू की चेतावनी जारी की है. मार्च का महीना अभी पूरा भी नहीं हुआ है और गर्मी ने अपने तेवर दिखाना शुरू कर दिया है. आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन 15 मार्च को ओडिशा के बौध में तापमान 43.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. यह देश का सबसे गर्म स्थान बन गया. इसके बाद ओडिशा का ही झारसुगुड़ा और बोलनगीर गर्म रहा.
विशेषज्ञों का मानना है कि मार्च में ही पारा लगातार चढ़ने की वजह जलवायु परिवर्तन, मौसम के पैटर्न में बदलाव, धरती के तापमान में बढ़ोतरी और शहरीकरण भी है. इस साल फरवरी का महीना 124 सालों में सबसे गर्म रहा है. वहीं देश में भीषण गर्मी के सीज़न की शुरुआत से पहले ही मार्च के महीने में गर्मी लगातार बढ़ रही है.
मौसम संबंधी कारक
भारत में मौसम संबंधी और जलवायु संबंधी कारकों के मिलने से मार्च में भीषण गर्मी पड़ रही है. फरवरी में सामान्य से 93 फीसदी कम बारिश के साथ असाधारण रूप से शुष्क सर्दी आसमान साफ हो गया है और तापमान में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. कमजोर पड़ते ला नीना और तटस्थ हिंद महासागरय द्विध्रुव ने मौसम के पैटर्न को और ज्यादा बाधित कर दिया है, जिससे पूरे देश में सामान्य से अधिक गर्मी पड़ रही है.
स्वास्थ्य पर प्रभाव
तटीय इलाकों में उच्च आद्रता (High Humidity) शरीर की शीतलन प्रक्रिया में बाधा पैदा करके असर को तेज कर देती है, जिससे सेहत के लिए जोखिम और मृत्यु दर बढ़ जाती है. दिल्ली सहित नौ भारतीय शहरों में हीट वेव की तैयारियों पर किए गए अध्ययन में पाया गया है कि दीर्घकालिक उपायों का अभाव है और उनका लक्ष्य निर्धारण भी ठीक से नहीं किया गया है.
इसमें प्रभावी हिट एक्शन प्लान जलवायु के प्रति संवेदनशील जिलों में वित्त पोषित विशेषज्ञ भूमिका और भारत की गर्मी सहने की क्षमता को बढ़ाने के लिए स्थानीय अधिकारियों को ट्रेनिंग देने की सिफारिश की गई है. क्योंकि लू स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है. विशेषज्ञ शहर और जिला स्तर पर तत्काल सतत कार्रवाई की जरूरत पर ज़ोर देते हैं.