भारत में इस समय लोकतंत्र का उत्सव यानी लोकसभा चुनाव चल रहा है. पूरी दुनिया की निगाहें इस पर टिकी हैं. अप्रैल में गर्मी के मौसम की शुरुआत से ही इस बार भारत में हीटवेव यानी लू चलने लगी है. चुनावी सरगर्मी बढ़ने के साथ मौसमी गर्मी भी बढ़ रही है. इस चुनावी प्रक्रिया पर भीषण गर्मी और लू का प्रभाव साफ दिख रहा है.
पहले दो चरण में कम मतदान ने आयोग के साथ पार्टियों को भी चिंतित कर दिया है. मौसम और पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था, क्लाइमेट ट्रेंड्स की एक स्टडी में बढ़ती गर्मी व हीटवेव के कारणों पर विस्तार से बात की गई है.
आखिर क्यों बढ़ रही है गर्मी और लू ?
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने पहले ही जानकारी दी थी कि इस साल अप्रैल से जून तक औसत रूप से लू वाले दिनों की संख्या दोगुनी रहेगी. साल 2023 की तुलना में यह साल ज्यादा गर्म रहने की संभावना है. 2023 अभी तक के इतिहास में सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज हो चुका है. यानी समझा जा सकता है कि गर्मी का मिजाज इस बार क्या रहने वाला है. देश के कुछ स्थानों पर तो अभी से ही तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है जबकि ज्यादातर जगहों पर यह 42-45 डिग्री के बीच रह रहा है.
अप्रैल में लू वाले दिनों की संख्या 15 तक पहुंची है जो सबसे लंबी अवधि है. आर्द्रता (Humidity) से जूझते पूर्वी और जल से घिरे प्रायद्वीपीय भारतीय क्षेत्रों में तो इसका सबसे ज्यादा प्रभाव रहा है. केरल में रिकॉर्ड हीटवेव का असर है और गर्मी के कारण 10 लोगों की मौत की बात सामने आई है. केरल स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के अनुसार 22 अप्रैल तक गर्मी से संबंधी परेशानियों जैसे तेज धूप, शरीर पर चकत्ते और हीट स्ट्रोक के 413 मामले सामने आ चुके हैं. ओडिशा में भी करीब 16 जिलों में गर्मी के कारण 124 लोगों को हास्पिटल में भर्ती कराने की बात सामने आई है.
इस बार रही बारिश की कमी
अप्रैल में प्री मानसून बारिश और आंधी-बारिश की कमी को तापमान बढ़ने का कारण माना जा रहा है. इसी के साथ देशव्यापी रूप से बारिश में 20 प्रतिशत तक की कमी रही है. अप्रैल 2024 में देश के दक्षिणी प्रायद्वीपीय क्षेत्र में बारिश 12.6 मिमी हुई जोकि साल 1901 के बाद से पांचवीं सबसे कम बारिश है और 2001 के बाद से सबसे कम. इसके बाद पूर्व और उत्तर पूर्व भारत का नंबर है जहां बारिश में करीब 39 प्रतिशत की कमी रही है.
आईएमडी के महानिदेशक संजय महापात्र के अनुसार ओमान, इससे सटे हुए क्षेत्रों और आंध्र प्रदेश में एंटीसाइक्लोन परिस्थितियों की निरंतर उपस्थिति के कारण मौसमी प्रक्रिया ठीक से बन ही नहीं पाई. इस कारण ओडिशा और पश्चिम बंगाल में अधिकांश दिन समुद्री हवा नहीं पहुंची जिससे जमीन से चलने वाली गर्म हवा को खुला रास्ता मिला और तापमान बढ़ा. हालांकि लगातार पश्चिमी विक्षोभ से पश्चिमोत्तर के मैदानी क्षेत्र में हीटवेव का असर नहीं रहा. इसके अलावा अल नीनो के बचे प्रभाव ने भी हीटवेव में बढ़ोतरी की है.
मई में क्या रहेगा मौसम
गर्मी के मौसम के मुख्य महीने मई की शुरुआत के साथ ही दक्षिणी राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश, विदर्भ, मराठवाड़ा और गुजरात में सामान्य से अधिक तापमान वाले दिनों की संख्या 5 से आठ तक बढ़ सकती है. वहीं, इस महीने में राजस्थान, पूर्वी मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ के कुछ क्षेत्रों, अंदरूनी ओडिशा, गंगा किनारे वाला पश्चिम बंगाल का क्षेत्र, झारखंड, बिहार, उत्तरी अंदरूनी कर्नाटक और तेलंगाना के साथ तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में अधिक तापमान वाले दिनों की संख्या 2 से 4 तक बढ़ सकती है.
अलनीनो और ग्लोबल वार्मिंगः दो समस्याएं
अलनीनो एक मौसमी प्रक्रिया है जिससे दुनिया भर में गर्म मौसम आता है और जो एक्सट्रीम वेदर कंडीशन की स्थिति का खतरा बढ़ा सकती है. वैश्विक तापमान का प्रभाव कई मौसमी प्रक्रियाओं की स्थिति को बदल रहा है. कई वैज्ञानिकों का कहना है कि अल नीनो के कारण क्लाइमेट चेंज का दुष्प्रभाव बढ़ेगा क्योंकि बढ़ता हुए वैश्विक तापमान मुश्किल मौसम परिस्थितियों का कारण बन रहा है. इस कारण अल नीनो और बढ़ते तापमान के प्रभाव को एक साथ रखा जाए तो इससे पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि वैश्विक तापमान में रिकार्ड बढ़ोतर होने वाली है.
साल 2015-16 में अल नीनो भी था और यह साल तब तक का सबसे गर्म वर्ष भी बना था. सुपर अलनीनो के कारण साल 2023 इतिहास का सबसे गर्म साल बन गया. अल नीनो और ग्लोबल वार्मिंग के दोहरे प्रभाव के कारण बड़े क्षेत्र में सूखा और जंगलों की आग जैसी परिस्थितयों को खतरा दोगुना हो जाता है. दूसरी तरफ, अल नीनो की विपरीत ठंडक लाने वाली मौसमी परिस्थिति ला नीना वाले वर्षों में भी वैश्विक तापमान में रिकार्ड वृद्धि देखने को मिली है. उदाहरण के लिए साल 2022 ला नीना का वर्ष था जिसे इतिहास का पांचवां सबसे गर्म वर्ष भी दर्ज किया गया.