Weather Forecast: इस साल की सर्दी कई इलाकों में पिछले बहुत से सालों का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है. दिल्ली एनसीआर के साथ-साथ उत्तर भारत के और भी कई राज्यों में शीत लहर छाई हुई है. और अभी भी ठंड के कम होने के आसार नहीं दिख रहे हैं. बल्कि 22 जनवरी से कई इलाकों में बारिश की संभावना जताई जा रही है.
झारखंड से लेकर हरियाणा, पंजाब में हो सकती है बारिश:
बताया जा रहा है कि एक्सपर्ट्स से 22 जनवरी को झारखंड के उत्तरी भागों में हल्की बारिश की संभावना जताई है. और 23 जनवरी को राज्य के कुछ स्थानों पर हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश की संभावना जतायी गयी है. वहीं 24 जनवरी को धुंध और कोहरा रहेगा.
इसी तरह मौसम विभाग की हिसाब से हरियाणा, पंजाब में भी 23 जनवरी तक बारिश होने के आसार हैं. लगातार चल रही हवा के कारण मौसम काफी ठंडा हो रहा है. कहा जा रहा है कि अभी पारा भी कम हो सकता है. मौसम विभाग के अनुसार उत्तर प्रदेश, बिहार, और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में अगले तीन-चार दिनों के लिए हल्की से मध्यम बारिश और शीत लहर की स्थिति रहेगी.
कोहरे की वजह से कैंसिल हुई ट्रेनें:
ज्यादातर इलाकों में धुंध और कोहरा होने के कारण ट्रेनों के आवागमन में भी परेशानी होती है. बताया जा रहा है कि कोहरे की वजह से 13 ट्रेनें देरी से चल रहीं हैं. वहीं रेलवे ने 22 ट्रेन कैंसिल भी की हैं. आज देरी से चल रही हैं ट्रेनों में हावड़ा-नई दिल्ली एक्सप्रेस, पुरी-नई दिल्ली एक्सप्रेस, गोरखपुर-नई दिल्ली एक्सप्रेस, मुंबई-नई दिल्ली एक्सप्रेस, कानपुर-नई दिल्ली एक्सप्रेस ट्रेनें शामिल हैं.
आखिर क्यों बढ़ रहा है सर्दी का सितम:
लेकिन सवाल यह है कि आखिर इतनी ठंड पड़ क्यों रही है? दिल्ली में शिमला जैसी ठंड पड़ने का आखिर कारण है? एक्सपर्ट्स की माने तो इसकी मुख्य वजह है गंगा के मैदानी इलाकों में बादलों का छाया रहना. जिस कारण कोहरे की स्थिति है और लगातार सर्दी पड़ रही है.
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि सैटेलाइट तस्वीरों में यह देखा गया है कि गंगा के मैदानों में बड़े पैमाने पर बादल छाए हुए हैं. गंगा के मैदान 1,700 किलोमीटर की रेंज में फैले हैं और यह बिहार से लेकर पाकिस्तान तक फैला है. इतने बड़े पैमाने पर बादलों के छाये होने के कारण ठंड का बढ़ना सामान्य है.
इसके अलावा समय-समय पर उठने वाले पश्चिमी विक्षोभ भी ठंड बढ़ने का कारण बनते हैं. पश्चिमी विक्षोभ या वेस्टर्न डिस्टर्बन्स भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होने वाला एक तूफान है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भागों में अचानक सर्दियों में बारिश लाता है. यह बरसात मानसून की बरसात से अलग होती है.
ला नीना है मुख्य वजह:
हालांकि पिछले साल कुछ मौसम वैज्ञानिकों ने पहले से उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड का अनुमान लगा लिया था. और इसका कारण है 'ला नीना' का प्रभाव. डाउन अर्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकन जियोसाइंस इंस्टिट्यूट के अनुसार अल नीनो और ला नीना शब्द का संदर्भ प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर होने वाले बदलावों से है, जिसका दुनिया भर में मौसम पर प्रभाव पड़ता है.
अल नीनो की वजह से तापमान गर्म होता है और ला नीना के कारण ठंडा. दोनों आमतौर पर 9-12 महीने तक रहते हैं, लेकिन असाधारण मामलों में कई वर्षों तक रह सकते हैं.
भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर क्षेत्र के सतह पर निम्न हवा का दबाव होने पर ये स्थिति पैदा होती है. इसकी उत्पत्ति के अलग-अलग कारण माने जाते हैं लेकिन सबसे प्रचलित कारण ये तब पैदा होता है, जब ट्रेड विंड, पूर्व से बहने वाली हवा काफी तेज गति से बहती हैं. इससे समुद्री सतह का तापमान काफी कम हो जाता है. इसका सीधा असर दुनियाभर के तापमान पर होता है और तापमान औसत से अधिक ठंडा हो जाता है.
ला नीना की वजह से ही पूर्व में स्थित रूस के साइबेरिया और दक्षिण चीन की ठंडी हवाएं भारतीय उपमहाद्वीप की तरफ आती हैं. और इसलिए ही इस बार भारत के बहुत से इलाकों में फरवरी तक शीत लहर का अनुमान लगाया जा रहा है.