देश में गर्मी ने का असर दिखने लगा है. मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और रायलसीमा क्षेत्र के कुछ हिस्सों समेत मध्य भारत के कई शहर भीषण गर्मी की चपेट में हैं. कई जगहों पर 28 मार्च को अधिकतम तापमान 41 डिग्री सेल्सियस से अधिक रिकॉर्ड किया गया. तापमान बढ़ने का कारण भौगोलिक कारकों और बदलते मौसम को माना जा रहा है. ये दोनों ही बड़े ग्लोबल वार्मिंग ट्रेंड के संकेत हैं.
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में गर्मी का प्रकोप-
मध्य प्रदेश में गुना और सागर जैसे शहर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. गुना में 41.6 डिग्री सेल्सियस और सागर में 42.5 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया है. दोनों शहरों का तापमान सामान्य से काफी ज्यादा है. इन शहरों में सामान्य से 5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा तापमान है.
महाराष्ट्र के अंदरूनी इलाकों में भी स्थिति नाजुक है. यहां का तापमान भी सामान्य से कहीं ज्यादा बढ़ गया है. विदर्भ क्षेत्र के अकोला शहर में तापमान खास तौर पर 42.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. यह इस मौसम में इस क्षेत्र के लिए सबसे ज्यादा तापमान में से एक है.
रायलसीमा क्षेत्र में भी बढ़ा तापमान-
रायलसीमा क्षेत्र में भी गर्मी का कहर जारी है. कुरनूल और नांदयाल जैसे शहरों में तापमान में बढ़ोतरी हुई है. कुरनूल में तापमान 41.9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. जबकि नांदयाल में पारा 42 डिग्री तक चढ़ गया है. गर्मी के कहर से रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो रही है. इस इलाके में पानी की कमी देखी जा रही है और गर्मी से संबंधित बीमारियों के बढ़ने का जोखिम भी बढ़ गया है.
ग्लोबल वार्मिंग का असर-
मध्य भारत में तापमान में इस बड़ी बढ़ोत्तरी में ग्लोबल वार्मिंग का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. देश में अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण ये शहर आमतौर पर उच्च तापमान के आदी हैं. फिर भी, इस साल देखी गई रिकॉर्डतोड़ गर्मी एक खतरनाक रुझान की ओर इशारा करती है.
भारतीय मौसम विभाग ने इन इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए चेतावनी जारी की है. लोगों को दिन में घरों में रहने की सलाह दी गई है. इसके साथ ही हीटस्ट्रोक और गर्मी से जुड़ी अन्य बीमारियों से बचने के लिए दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं.
(नई दिल्ली से कुमार कुणाल की रिपोर्ट)
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