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क्या कहता है 103वाँ संविधान संशोधन, जिसके तहत EWS आरक्षण के कानून को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है

सुप्रीम कोर्ट ने भी सवर्णों के आरक्षण के लिए सरकार के संविधान संशोधन को वैध करार दिया है. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने सामान्य वर्ग के लोगों को आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण दिया था. केंद्र के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 50 से ज्यादा याचिकाएं दायर हुई थीं.

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हाइलाइट्स
  • क्या कहता है 103वाँ संविधान संशोधन

  • सुप्रीम कोर्ट ने भी सवर्णों के आरक्षण के लिए सरकार के संविधान संशोधन को वैध करार दिया है.

गरीब सवर्णों के आरक्षण को लेकर मोदी सरकार ने 12 जनवरी 2019 में बड़ा फैसला किया था. केंद्र सरकार ने इस फैसले के पीछे तर्क दिया था कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के सामाजिक उत्थान के लिए आरक्षण की व्यवस्था करना आवश्यक है, क्योंकि गरीब सवर्णों को आर्थिक आधार पर आरक्षण के प्रावधानों का लाभ नहीं मिलता है. जब भी संविधान में संशोधन होता है, उसकी संवैधानिक वैधता जांचने के लिए सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच बैठती है. इन्ही 5 जजों की बेंच ने गरीब सवर्णों के आरक्षण के लिए सरकार के संविधान संशोधन को वैध करार दिया है. हालांकि 3 जजों ने गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण पर सहमति जताई है जबकि 2 जजों ने आरक्षण से असहमति जताई है. बता दें 103वें संविधान संशोधन की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में कई बार चुनौती दी गई थी.

क्या कहता है 103वाँ संविधान संशोधन

2019 के 103वें संशोधन ने एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण के तहत कवर नहीं किए गए लोगों को 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण प्रदान करने के लिए संविधान में अनुच्छेद 15(6) और 16(6) को शामिल किया था. ये हमारे मौलिक अधिकार के आर्टिकल हैं. जोकि समानता के अधिकार और आरक्षण की व्याख्या करते हैं.

क्या है संविधान का अनुच्छेद 15 (6)

संविधान का अनुच्छेद 15 (6) राज्य को खंड (4) और खंड (5) में उल्लेखित लोगों को छोड़कर देश के सभी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों की उन्नति के लिए विशेष प्रावधान बनाने और शिक्षण संस्थानों (अनुदानित तथा गैर-अनुदानित) में उनके प्रवेश हेतु एक विशेष प्रावधान बनाने का अधिकार देता है, हालांकि इसमें संविधान के अनुच्छेद 30 के खंड (1) में संदर्भित अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को शामिल नहीं किया गया है.

क्या है संविधान का अनुच्छेद 16 (6)
संविधान का अनुच्छेद 16 (6) राज्य को यह अधिकार देता है कि वह खंड (4) में उल्लेखित वर्गों को छोड़कर देश के सभी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों के पक्ष में नियुक्तियों या पदों के आरक्षण का कोई प्रावधान करें, यहां आरक्षण की अधिकतम सीमा 10 प्रतिशत है, जो कि मौजूदा आरक्षण के अतिरिक्त है.

इससे संशोधन से पहले आरक्षण के प्रावधान केवल SC, ST और सामाजिक और एजुकेशनली बैकवर्ड क्लास के लिए थे लेकिन 2019 में संशोधन के जरिए केंद्र सरकार ने सामान्य वर्ग के लिए भी 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया.

कौन ले सकता है EWS का लाभ
सरकार ने EWS में उन लोगों को शामिल किया, जिनके परिवार की सालाना आय 8 लाख के कम है. ये रिजर्वेशन सभी सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों (निजी सेक्टर, राज्य दोनों) के लिए लागू किया गया. केंद्र सरकार के नियम के अनुसार जिन परिवार की सालाना आय 8 लाख रुपये कम है और परिवार के पास 5 एकड़ से कम जमीन है. वे लोग EWS सर्टिफिकेट बनवाकर आरक्षण का लाभ ले सकते हैं. 

ऐसे बनवा सकते हैं EWS सर्टिफिकेट 

  • EWS आरक्षण की लाभ लेने के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरें.

  • फॉर्म भरने के एक हफ्ते बाद में मांगे गए ओरिजनल डॉक्यूमेंट के साथ अपने नजदीकी एसडीएम ऑफिस जाकर डॉक्यूमेंट का वेरीफिकेशन कराएं.

  • वहां से वेरीफाई होने के बाद आपको EWS सर्टिफिकेट मिल जाएगा. 

  • EWS सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आपके पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र (1 साल की बैंक स्टेटमेंट), पासपोर्ट साइज फोटो, मोबाइल नंबर होना जरूरी है.