अप्रैल महीने में ही जून जैसी गर्मी पड़ रही है. देश के कई राज्यों में हीट वेव का अलर्ट जारी किया गया है तो वहीं कुछ ऐसे राज्य भी हैं जो कि इसकी चपेट में है. बिहार के कई जिलों में तापमान 44 डिग्री तक पहुंच चुका है, जो कि पिछले वर्षों की तुलना में बहुत अधिक है. जब एक इलाके में सामान्य से ज्यादा तापमान लगातार दो दिन तक रहे तो उसे हीट वेव माना जाता है. इससे किसी व्यक्ति की जान भी जा सकती है. ऐसे में अगर आप उन इलाकों में रहते हैं, जोकि हीट वेव की चपेट में हैं तो संभल जाइए... जरा सी लापरवाही से आपको लेने के देने पड़ सकते हैं.
कब और कैसे बनती हैं हीट वेव की स्थिति?
हीट वेव की स्थिति तब बनती है जब गर्म हवा वातावरण में फंस कर रह जाए. कभी-कभी हाई प्रेशर सिस्टम की वजह से गर्म हवा जमीन से उठ नहीं पाती और नीचे ही फंसकर रह जाती है. हवा का इस तरह फंसना ही हीटवेव की स्थिति को जन्म देता है. इसे आप यूं समझ सकते हैं जब बहुत ज्यादा गर्मी पड़ती है तो गर्म हवा ऊपर उठने लगती है, फिर बारिश होती है और वातावरण नॉर्मल हो जाता है लेकिन जब हवा ऊपर नहीं उठेगी तो बारिश की संभावना खत्म हो जाएगी और फिर हीट वेव बनेगी.
जानलेवा भी हो सकती है हीट वेव
हीट वेव की स्थिति जानलेवा भी हो सकती है. इसलिए इसके संपर्क में आने से बचें. मौसम विभाग की मानें तो 1971 के बाद से हीट वेव से 17000 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवाई है.
दोपहर के समय में घर या ऑफिस से बाहर निकलने से बचें. अगर बहुत जरूरी हो तो अपने सिर और चेहरे को कॉटन के कपड़े से ढंककर ही बाहर जाएं.
अगर आपकी बॉडी डिहाइड्रेट है तो से सिर दर्द, थकान और आंखों में जलन भी हो सकता है. स्थिति बिगड़ने पर चक्कर भी आने की संभावना रहती है. इसलिए जितना संभव हो पानी पिएं. सीधे धूप के संपर्क में आने से बचें.
खुद को हाइड्रेट रखने के लिए शिकंजी, ओआरएस, नारियल पानी जैसे तरल पदार्थों का सेवन जरूर करें. गर्मी में आने वाले फलों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें.
गर्मियों में बाहर का तला-भुना और खुले में बनाया गया खाद्य पदार्थ खाने से बचें. खाने में प्याज और खीरा सलाद के तौर पर जरूर खाएं. छाछ, लस्सी और दही का सेवन करें. बाहर निकलते हुए चश्मे या छतरी का इस्तेमाल बेहद जरूरी है.