आज का समाज जिस प्रकार हिंसा की तरफ बढ़ रहा है, साथ ही धार्मिक सद्भाव भी खत्म होता नजर आ रहा है. ऐसे में जरूरत है किसी एक ऐसी शख्स कि जो इन मुद्दों पर बात करें. साथ ही लोगों को इन मुद्दों के बारे में बताए और सबसे महत्वपूर्ण कि उनकी सोच को बदले.
हैरत की बात है कि इस तरह के सभी मुद्दों पर बात की जा चुकी है. साथ ही समाज को सुधारने का काम भी एक शख्सियत ने किया है लेकिन शायद आज का समाज उस शख्स और उसकी कही बातों को भूल चुका है.
दरअसल इस प्रकार के सभी मुद्दों पर केरल के समाज सुधारक और आध्यात्मिक गुरु ने अपनी बातें समाज के सामने रखी हैं. लेकिन बदलते वक्त के साथ वो बातें कहीं न कहीं ओझल होती चली गई. और आज आलम ये है कि हिंसा अपने चरम पर है पर धार्मिक सद्भाव तो दूर-दूर तक नजर नहीं आता.
इन सभी बातों पर श्री नारायण गुरु (1856-1928), जो कि केरल के निवासी थे, अपना मत रखा था. उनको एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक नेता और समाज सुधारक के रूप में जाना जाता था. वे अपनी शिक्षाओं में सामाजिक समानता की बात किया करते थे. साथ ही उन्होंने जातिगत भेदभाव की निंदा भी की है. साथ ही एकता और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने पर जोर दिया है.
वे एक पिछड़े हिंदू परिवार में जन्मे थे. श्री नारायण गुरु ने जातिगत भेदभाव को खत्म करने, अहिंसा और धार्मिक सद्भाव जैसे कई सामाजिक मुद्दों पर जोर दिया और इन्हीं कामों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.
श्री नारायण गुरु के बारे ने जानने के बाद ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने कहा कि जिस प्रकार आज के समाज में हिंसा चारों ओर बढ़ती जा रही है, ऐसे में नारायण गुरु की शिक्षाओं पर अमल करने की जरूरत है.
पोप ने कहा कि आज दुनिया भर में जो अशांति का माहौल है और इसके लिए लोगों द्वारा अपने धर्मों की शिक्षाओं को न अपनाना एक बड़ी वजह है. उन्होंने कहा कि श्री नारायण गुरु ने अपने संदेश के माध्यम से सामाजिक और धार्मिक जागृति को बढ़ावा देने में अपना जीवन समर्पित कर दिया.
पोप ने कहा कि गुरु ने अपने संदेश में कहा था कि सभी मनुष्य, चाहे उनकी जाति, धर्म और सांस्कृतिक परंपराएं कोई भी हों, एक ही मानव परिवार के सदस्य हैं.
पोप ने यह भी कहा कि श्री नारायण गुरु ने यह भी कहा था कि किसी भी स्तर पर किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. लेकिन दुख इसी बात का है कि आज कई समुदायों लोगों के साथ नस्ल, रंग, भाषा और धर्म के आधार पर भेदभाव करते हैं. खासतर इस तरह का भेदभाव कमजोर तबके के लोगों के साथ हो रहा है.