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कौन होते हैं अटॉर्नी और सॉलिसिटर जनरल, कैसे होती है इनकी नियुक्ति, जानें

Attorney general, and solicitor general and Advocate General difference: आपने अक्सर अटॉर्नी जनरल, सॉलिसिटर जनरल के बारे में सुना होगा कि कोर्ट मे इन्होंने सरकार का पक्ष रखा लेकिन क्या आप जानते हैं सरकार के लिए ये लोग कौन-कौन से काम करते हैं और इनकी नियुक्ति की प्रक्रिया क्या है.

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हाइलाइट्स
  • सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर होती है अटॉर्नी जनरल की योग्यता.

  • अटॉर्नी जनरल को किसी भी तरह का वेतन नहीं मिलता है.

आज हम इस आर्टिकल में देश के अटॉर्नी जनरल, सॉलिसिटर जनरल, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल और एडवोकेट जनरल के काम और उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया के बारे में आपको बताएंगे.

संविधान के अनुच्छेद 76 में कहा गया है कि सरकार को कानूनी सहायता देने के एक अधिकारी की नियुक्ति की जाती है. जिसे हम अटॉर्नी जनरल के नाम से जानते हैं. यह सरकार के पहले चीफ विधि अधिकारी होते हैं. इनकी योग्यता सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर होती है लेकिन दोनों में बहुत फर्क होता है. भारत के किसी भी न्यायालय में यह सरकार का पक्ष रख सकते हैं. ये किसी व्यक्ति का भी मुकदमा लड़ सकते हैं बर्शते वह सरकार के खिलाफ न हो.

संसद की कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार

अनुच्छेद 88 के अनुसार ये संसद की कार्यवाही में भाग ले सकते हैं लेकिन मतदान नहीं कर सकते. अटॉर्नी जनरल को किसी भी तरह का वेतन नहीं मिलता है. लेकिन भत्ते दिए जाते हैं. ये संसद के सदस्य नहीं होते लेकिन फिर भी किसी भी सदन में बोलने का अधिकार रखते हैं. विधेयक को लेकर होने वाली चर्चा में सरकार का पक्ष रख सकता है.

मंत्रिमंडल की सलाह पर राष्ट्रपति करते हैं नियुक्ति

वर्तमान में देश के अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल हैं. वह 30 जून 2017 से सेवा दे रहे हैं. 2020 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें दूसरी बार नियुक्त किया था. इनके कार्यकाल की कोई सीमा नहीं होती, यानी राष्ट्रपति अपनी इच्छानुसार इन्हें नियुक्त भी कर सकते हैं और हटा भी सकते हैं. संविधान के अनुच्छेद 76 अनुसार केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा अटॉर्नी जनरल की नियुक्ति की जाती है. इनसे त्यागपत्र लेने का अधिकार भी राष्ट्रपति के पास होता है. अटॉर्नी जनरल का पद संवैधानिक होता है.

अटॉर्नी जनरल की सहायता के लिए होते हैं सॉलिसिटर जनरल

देश के सभी कानूनी मुद्दों को अकेले अटॉर्नी जनरल नहीं संभाल सकते हैं. इसलिए उनकी सहायता के लिए सॉलिसिटर जनरल का पद बनाया गया है. इनकी संख्या 1 होती है. यह देश के दूसरे कानून अधिकारी होते हैं. लेकिन सरकार को कानूनी सलाह नहीं देते हैं. सॉलिसिटर जनरल की नियुक्ति भी राष्ट्रपति ही करते हैं. वर्तमान में भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता हैं. वह 2018 से इस पद पर हैं. इनका पद वैधानिक होता है.

सॉलिसिटर जनरल की मदद के लिए होते हैं एडिशनल सॉलिसिटर जनरल
सॉलिटर जनरल की मदद के लिए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल होते हैं. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल की संख्या 4 होती है. इनका पद भी वैधानिक होती है.

राज्य सरकार को कानूनी सलाह देते हैं एडवोकेट जनरल
एडवोकेट जनरल राज्य प्रमुख को विधि संबंधी सलाह देने का कार्य करता है. इनकी नियुक्ति राज्य के सीओएम की सलाह पर राज्यपाल द्वारा की जाती है. ये किसी राज्य के पहले विधि अधिकारी होते हैं. इनकी योग्यता हाई कोर्ट के जज के बराबर होती है. ये राज्य के सदन में बोलने का अधिकार रखते हैं.