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क्यों रक्षाबंधन से अलग है भाई-दूज, जानिए इसके पीछे की कहानी

रक्षाबंधन को भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना गया है तो भाई दूज क्यों? इसमें ऐसा क्या अलग है? तो आपको बता दें कि रक्षाबंधन और भाई -दूज दोनों भाई बहन के रिश्ते से जुड़ा त्योहार जरूर माने जाते हैं, लेकिन इनका महत्व अलग-अलग है. रक्षा बंधन जहां हिन्दू माह श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है वहीं भाई दूज कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है.

Story behind Rakhshabandhan and Bhai Dooj Story behind Rakhshabandhan and Bhai Dooj
हाइलाइट्स
  • भाई-दूज त्योहार के पीछे दो कहानियां

  • भाई को बुरी नजर से बचाने की प्रतिज्ञा लेती है बहन 

धनतेरस से शुरू हुआ दिवाली का पर्व 3 से 4 दिनों के लिए पूरे भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. दिवाली के दो दिन बाद भाई दूज मनाया जाता है जोकि अबकी बार 6 नवंबर को मनाया जाएगा. भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है. यह भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं.

अब इस बात को सुनकर कई लोगों को लग रहा होगा कि जब रक्षाबंधन को भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना गया है तो भाई दूज क्यों? इसमें ऐसा क्या अलग है? तो आपको बता दें कि रक्षाबंधन और भाई -दूज दोनों भाई बहन के रिश्ते से जुड़ा त्योहार जरूर माने जाते हैं, लेकिन इनका महत्व अलग-अलग है. रक्षा बंधन जहां हिन्दू माह श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है वहीं भाई दूज कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है. 

क्या है रक्षाबंधन की कहानी?
रक्षाबंधन की उत्पत्ति महाभारत की घटनाओं के दौरान पाई जा सकती है. ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान कृष्ण ने गलती से अपने सुदर्शन चक्र से अपनी उंगली काट ली थी, तो राजकुमारी द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर खून को रोकने के लिए वो पट्टी उनकी उंगली पर बांध दी थी. भगवान कृष्ण इस भाव से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने हमेशा उनकी रक्षा करने और उन्हें संजोने की कसम खाई.

भाई-दूज त्योहार के पीछे दो कहानियां
जबकि, भाई दूज की दो मूल कहानियां हैं. पहली यह कि दुष्ट राक्षस नरकासुर का वध करने के बाद भगवान कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए, जिन्होंने उनका स्वागत मिठाई और फूलों से किया. सुभद्रा ने प्यार से कृष्ण के माथे पर तिलक लगाया. जबकि इसकी दूसरी कथा के अनुसार मृत्यु के देवता कहे जाने वाले, यमराज इस दिन अपनी बहन यमुना के घर गए थे और बदले में उन्होंने उन्हें तिलक लगाकर उनका स्वागत किया और भोजन बनाकर खिलाया.

भाई को बुरी नजर से बचाने की प्रतिज्ञा लेती है बहन 
भाई-दूज पर आरती और पूजा का विशेष महत्व है, जबकि रक्षाबंधन के दिन बहन भाई के कलाई पर धागा बांधती है. रक्षा बंधन पर धागे का अर्थ होता है कि भाई किसी भी बुराई से अपनी बहन की रक्षा करेगा, जबकि भाई-दूज पर बहन भाई के माथे पर तिलक लगाती है और भाई के किसी भी बुरी नजर से बचाने की प्रतिज्ञा लेती है.जहां एक तरफ रक्षाबंधन को भाई-बहन, केवल बहन या भाइयों के बीच भी मनाया जा सकता है, जबकि भाई-दूज खासतौर पर भाई-बहन के बीच ही मनाया जाने वाला त्योहार है.

रक्षा बंधन को राखी का त्योहार भी कहते हैं और इसे दक्षिण भारत में नारियल पूर्णिमा के नाम से अलग रूप में मनाया जाता है जबकि भाई दूज के कई प्रांत में नाम अलग अलग है लेकिन यह त्योहार भाई और बहन से ही जुड़ा हुआ है. कर्नाटक में इसे सौदरा बिदिगे के नाम से जानते हैं तो वहीं बंगाल में भाई दूज को भाई फोटा के नाम से जाना जाता है. गुजरात में इसे भौ या भै-बीज तो महाराष्ट्र में इसे भाऊ बीज कहते हैं. मिथिला में इसे यम द्वितीया के नाम से ही मनाया जाता है.