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Internet Shutdown: इंटरनेट बैन को लेकर क्या कहता है कानून? यहां जानिए पूरा प्रोसेस

internet ban: भारत में केंद्र और राज्य सरकार दोनों के पास ताकत है कि वह किसी भी टेलीकॉम कंपनी को इंटरनेट सेवा को बंद कर देने का आदेश दे सकती है. इंटरनेट शटडाउन से पहले कोर्ट में मंजूरी लेना अनिवार्य नहीं है. 

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हाइलाइट्स
  • दुनियाभर में इंटरनेट बंद करने के मामले में भारत है पहले स्थान पर

  • साल 2022 में केवल जम्मू-कश्मीर में 49 बार इंटरनेट किया गया है बंद

खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की तलाश जारी है. इसको लेकर पंजाब सरकार ने कुछ क्षेत्रों में इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध लगा रखा है. सरकारें इंटरनेट बैन करने के लिए किस प्रक्रिया को अपनाती हैं? भारत में इंटरनेट कैसे बंद किया जाता है? आइए जानते हैं.

सरकार कब करती है इंटरनेट बंद
इंटरनेट शटडाउन को आसान भाषा में समझे तो इसका मतलब है किन्हीं भी कारणों से देश के किसी हिस्से में इंटरनेट बंद कर दिया जाना. आम तौर पर इस तरह के फैसले सरकार तब लेती है जब  हिंसा फैलने से रोकना होता है, या किसी भी विरोध-प्रदर्शन को बढ़ने से रोकने जैसे उपाय के तौर पर सरकार अपनाती है. वर्तमान में इंटरनेट शटडाउन के आदेश दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा) नियम, 2017 के तहत दिए जाते हैं. DoT द्वारा बनाए गए नियम कहते हैं कि अस्थायी निलंबन सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा के कारण हो सकता है. इंटरनेट शटडाउन का अधिकार केंद्रीय और राज्य स्तर पर राज्य गृह मंत्रालय के पास है.

इन धाराओं के तहत बंद किया जाता हैं इंटरनेट
अब करते हैं कानून की बात, जिसके तहत इंटरनेट सेवाओं को सरकार बंद कर पाती है. The Temporary Suspension Of Telecom Services (Public Emergency Or Public Safety) Rules 2017 जिसके तहत कोई भी राज्य सरकार इंटरनेट शटडाउन कभी भी कर सकती है. अगर बात केंद्र सरकार की करें तो वो भी इसी कानून के तहत इंटरनेट शटडाउन कभी भी कर सकती है. डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट/ सब डिविजनल  मजिस्ट्रेट CRPC 1973 Section 144 के तहत ये सेवाएं बंद कर सकते हैं. The Indian Telegraph Act 1885 Section 5(2) के अंतर्गत केंद्र और और राज्य सरकार पब्लिक इमरजेंसी या फिर पब्लिक के भलाई के लिए या देश की यूनिटी और संप्रभुता को बरकरार रखने के लिए भी इंटरनेट शटडाउन का कदम उठा सकती है.

क्या है पूरा प्रोसेस
अब जानते हैं देश में इंटरनेट पर बैन करने का प्रोसेस क्या है? सबसे पहले इंटरनेट बैन करने का केंद्र या राज्य के गृह सचिव ऑर्डर देते हैं फिर एसपी या उससे ऊपर के रैंक के ऑफिसर के जरिए यह ऑर्डर भेजा जाता है. सर्विस प्रोवाइडर्स को ऑफिसर इंटरनेट सर्विस ब्लॉक करने को कहता है. फिर केंद्र या राज्य सरकार के रिव्यू पैनल तक ऑर्डर को अगले वर्किंग डे के अंदर ही भेजना होता है. इसकी समीक्षा रिव्यू पैनल को 5 वर्किंग डेज में करनी होती है. कैबिन सेक्रेटरी के अलावा लॉ सेक्रेटरी, टेलिकम्युनिकेशन्स सेक्रेटरी केंद्र सरकार के रिव्यू पैनल में होते हैं तो वहीं राज्य सरकार के आदेश के लिए रिव्यू पैनल में होते हैं चीफ सेक्रेटरी, लॉ सेक्रेटरी के अलावा एक अन्य सेक्रेटरी को शामिल किया जाता है.

इंडिया में इंटरनेट बैन की स्थिति 
दुनियाभर में इंटरनेट बंद करने के मामले में भारत पहले पायदान पर है. इसकी जानकारी एक्सेस नाउ और KeepItOn coalition ने अपनी रिपोर्ट में दी है. भारत में इंटरनेट शटडाउन का सिलसिला 2016 से ही चल रहा है. प्रशासन की ओर से देश में 2022 में 84 बार इंटरनेट बंद किया गया है. इंटरनेट बंद के प्रमुख कारण प्रदर्शन, हिंसा, परीक्षा और चुनाव हैं. साल 2022 में केवल जम्मू-कश्मीर में 49 बार इंटरनेट बंद किया गया है जिसमें 16 बार लगातार इंटरनेट बंद किया गया है जो जनवरी से लेकर फरवरी 2022 के बीच हुआ है. जम्मू-कश्मीर के बाद राजस्थान दूसरे नंबर पर है जहां एक साल में 12 बार इंटरनेट बंद किया गया. तीसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल है जहां सात बार इंटरनेट शटडाउन हुआ है. साल 2016 के बाद से भारत में लगातार इंटरनेट शटडाउन किया जा रहा है. 2016 के बाद से ही ग्लोबली इंटरनेट शटडाउन में भारत की हिस्सेदारी 58 फीसदी है.

केरल ने घोषित किया था इंटरनेट को मूलभूत अधिकार
केरल राज्य ने मार्च 2017 में हर नागरिक के लिए भोजन, पानी और शिक्षा की तरह इंटरनेट को भी मूलभूत अधिकार की श्रेणी में रख दिया था. अपने बजट में इस राज्य ने अपने 20 लाख गरीब परिवारों तक इंटरनेट की पहुंच देने के लिए योजना बनाई थी और फंड आवंटित किया था.

इंटरनेट शटडाउन का दुनियाभर में लोग करते हैं विरोध
भारत के अलावा यूक्रेन, ईरान, चीन जैसे कई देशों में इंटरनेट सेवा बंद होती रही हैं, दुनियाभर के कई मानवाधिकार संगठन इसे मूल अधिकारों का उल्लंघन बताते रहे हैं और अभिव्यक्ति की आजादी पर ताला कह कर इंटरनेट और फोन पर लगे प्रतिबंधों का विरोध भी किया जाता रहा है. दुनिया का ध्यान खींचने वाला पहला बड़ा इंटरनेट शटडाउन साल 2011 में मिस्र में हुआ था. दरअसल साल 2011 में मिस्र में सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. इस प्रदर्शन का वीडियो इंटरनेट पर वायरल होने लगा और जल्द ही यह अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आ गया. जिससे मिस्त्र की सरकार डर गई और लगभग एक हफ्ते तक पूरे देश की इंटरनेट सेवा को ठप करवा दिया गया.