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Explained: क्या है विद्युत संशोधन विधेयक? क्यों हो रहा इस बिल का विरोध?

Electricity Amendment Bill 2022: सरकार का कहना है कि ये प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि पावर सेक्टर में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया सके. विद्युत संशोधन विधेयक से बिजली व्यवस्था में सुधार होगा. उपभोक्ताओं के पास बेहतर सेवाएं देने वाली बिजली वितरण कंपनी चुनने का विकल्प होगा.

Electricity Amendment Bill 2022 Electricity Amendment Bill 2022
हाइलाइट्स
  • केंद्र सरकार ने मूल विद्युत कानून में कुल 10 संशोधन का प्रस्ताव किया है.

  • उपभोक्ताओं के पास बेहतर सेवाएं देने वाली बिजली वितरण कंपनी चुनने का विकल्प होगा

सरकार ने सोमवार को लोकसभा में विद्युत संशोधन विधेयक 2022 पेश किया. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने बिल पेश करते हुए कहा, विधेयक अर्थव्यवस्था के विकास के लिए है. उन्होंने विधेयक पर चर्चा के लिए इसे संसद की स्थायी समिति को भेजने का अनुरोध किया है. आरके सिंह ने कहा, विधेयक पर हर राज्य और संबंधित पक्षकारों से विचार विमर्श किया गया है.

विधेयक को किसानों के हित में करार देते हुए उन्होंने कहा कि विद्युत संशोधन विधेयक उपभोक्ताओं, किसानों और बिजली क्षेत्र के हित हैं. सरकार का कहना है कि ये प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि पावर सेक्टर में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया सके. विद्युत संशोधन विधेयक से बिजली व्यवस्था में सुधार होगा. उपभोक्ताओं के पास बेहतर सेवाएं देने वाली बिजली वितरण कंपनी चुनने का विकल्प होगा. वितरण के क्षेत्र में निजी कंपनियों के आने से आपूर्ति बेहतर होगी. विधेयक में उपभोक्ताओं को सीधे सब्सिडी देने का प्रावधान है. अभी तक राज्य सरकार डिस्कॉम को सब्सिडी की राशि देती है. डिस्कॉम उस राशि को कम करके उपभोक्ताओं को पहले पूरे बिल का भुगतान करना होगा, उसके बाद सब्सिडी बैंक खाते में आएगी.

क्या है विधेयक

केंद्र सरकार ने मूल विद्युत कानून में कुल 10 संशोधन का प्रस्ताव किया है. इसमें विद्युत कानून, 2003 की धारा 14 में संशोधन कर सभी लाइसेंसधारियों (प्राइवेट कंपनियां भी) को वितरण नेटवर्क का इस्तेमाल करने की इजाजत दी जाएगी. निजी बिजली कंपनियों को बिजली वितरण का लाइसेंस लेने की अनुमति मिल जाएगी. केंद्र के पास बिजली नियामक आयोग के गठन के लिए चयन समिति का अधिकार होगा. अगर वितरण कंपनी तय समय पर भुगतान नहीं करती है तो बिजली आपूर्ति बंद कर दी जाएगी. इन संशोधन के चलते उपभोक्ताओं को ये विकल्प मिलेगा कि वे किस कंपनी से बिजली प्राप्त करना चाहते हैं. इसके अलावा धारा 142 में संशोधन करने कानून के प्रावधान का उल्लंघन करने पर जुर्माने की दर को बढ़ाने का प्रावधान किया गया है.

'एक से अधिक लाइसेंसधारियों' का प्रबंधन कैसे किया जाएगा?

यह बिल अधिनियम में एक नई धारा जोड़ने का प्रस्ताव देता है ताकि किसी क्षेत्र में कई वितरण लाइसेंसधारी हों तो वहां पर बिजली खरीद का सही से मैनेजमेंट किया जा सके. यह अधिनियम की धारा 26 में भी संशोधन करेगा ताकि राष्ट्रीय भार प्रेषण केंद्र के कामकाज को मजबूत किया जा सके. यह ग्रिड की सुरक्षा और देश में बिजली व्यवस्था के कुशल संचालन को सुनिश्चित करेगा.

क्यों हो रहा इस बिल का विरोध

विपक्षी सांसदों ने कहा कि बिजली का विषय समवर्ती सूची में आता है इसलिए, सभी राज्यों और संबंधित पक्षकारों से विचार विमर्श करना जरूरी है, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया है. विपक्ष का आरोप है कि यह निजीकरण की दिशा में एक कदम है. लोकसभा में कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह विधेयक सहकारी संघवाद का उल्लंघन करता है. निजी कंपनियां मात्र कुछ शुल्क देकर मुनाफा कमाएंगी और सरकारी कंपनियां दिवालिया हो जाएंगी. इस विधेयक के लागू होने के बाद सब्सिडी खत्म हो जाएगी और उपभोक्ताओं को वास्तविक कीमत चुकानी होगी. विपक्ष ने बिजली दर मंहगी होने की आशंका भी जताई है. ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने भी कहा कि एक क्षेत्र में एक से अधिक कंपनियों को वितरण लाइसेंस देने से प्राइवेट कंपनियों को फायदा होगा और सरकारी कंपनियों का नुकसान होगा.