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FCRA क्या है, जिसकी इजाजत के बिना NGO को नहीं मिल सकता है कोई भी विदेशी चंदा

फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA ) ने कुछ महीने पहले कई एनजीओ के रजिस्ट्रेशन को रद्द कर दिया था. अब राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और राजीव गांधी फाउंडेशन के रजिस्ट्रेशन को भी FCRA ने  रद्द कर दिया है. चलिए जानते हैं कि FCRA क्या है और इसका काम क्या है.

What is FCRA What is FCRA
हाइलाइट्स
  • FCRA को 1976 में बनाया गया था

FCRA फिर से एक बार चर्चा है. दरअसल में कांग्रेस परिवार से जुड़े राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट के एफसीआरए (FCRA) रजिस्ट्रेशन को गृह मंत्रालय ने रद्द कर दिया है. बता दें कि एफसीआरए की इजाजत के बाद ही किसी NGO को विदेशी चंदा मिलता है. ऐसे में आप जानना चाह रहे होंगे कि FCRA क्या है, तो इसका जवाब हम आपको देने जा रहे हैं. 

क्या है एफसीआरए (FCRA )

एफसीआरए (FCRA ) का पूरा नाम फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट है. जिसे हिंदी में विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम कहा जाता है. इसे साल 1976 में बनाया गया था और 2010 में इसमें संशोधन किया गया. कोई भी ऐसी गैर सरकारी स्वयंसेवी संगठन जो सामाजिक या सांस्कृतिक कामों के लिए विदेश से चंदा लेना चाहती है उसे एफसीआरए के तहत रजिस्ट्रेशन कराना होता है. एफसीआरए विदेशी चंदा लेने के लिए इजाजत तो देती ही है साथ ही विदेश से मिल रहे फंडिंग पर नजर भी रखती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जो फंडिंग मिल रही है उसका उद्देश्य क्या है और क्या वह किसी तरह की आतंकी फंडिंग तो नहीं है. इसके अलावा सुरक्षा संबंधी जानकारी भी रखना एफसीआरए का काम है. अगर एफसीआरए ने किसी तरह की गलत फंडिंग पाई या तो उस पर्टिकुलर एनजीओ का रजिस्ट्रेशन रद्द भी कर सकती है.

रजिस्ट्रेशन 5 साल के लिए होता है वैलिड 

एफसीआरए का रजिस्ट्रेशन शुरुआत में 5 साल के लिए वैलिड होता है जिसे बाद में रिन्यू कराना होता है. एक बार रजिस्टर्ड हो जाने के बाद संस्था को कई नियमों का पालन करना होता है. जैसे कि हर साल आयकर रिटर्न भरना, समय पर रिन्यू करना आदि. यहां आपको बता दें कि राजनीतिक दल, सरकारी अधिकारी, विधानमंडल के सदस्य, जज और मीडिया को विदेशों से चंदा उगाही पर पाबंदी है. हालांकि वैसी विदेशी कंपनियां जिनका भारत में 50 फीसदी से ज्यादा शेयर है वो दान सकती है.