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I2U2 Summit: भारत आई2यू2 का अहम देश, क्या है 13 से जुलाई से होने वाला I2U2 सम्मेलन? इसका एजेंडा क्या है?

What does I2U2 stand for: भारत, इजराइल, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की सदस्यता वाले ‘आई2यू2’ समूह की डिजिटल माध्यम से पहली बैठक 13 जुलाई से 16 जुलाई तक चलेगी.

PM Modi PM Modi
हाइलाइट्स
  • दुनियाभर में गठबंधंन एवं साझेदारी के सिस्टम को पुर्नजीवित एवं सक्रिय करना है.

  • इस बैठक में समूह के नेता ‘आई2यू2’ ढांचे के तहत संभावित संयुक्त परियोजनाओं पर चर्चा करेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 जुलाई को I2U2 समूह की डिजिटल माध्यम से आयोजित होने वाली पहली बैठक में हिस्सा लेंगे. ये सम्मेलन 13 से 16 तक चलेगा. I2U2 2022 की मेजबानी 14 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन करेंगे.  इस बैठक में इजराइल, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका के नेता भी भाग लेंगे. I2U2 शिखर सम्मेलन को पश्चिम एशिया का क्वाड कहा जा रहा है. खुद को रणनीतिक रूप से मजबूत कर रहा इसी के तहत क्वाड और ब्रिक्स के बाद भारत आई2यू2 में अहम देश बन गया है. विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस बैठक में समूह के नेता ‘आई2यू2’ ढांचे के तहत संभावित संयुक्त परियोजनाओं पर चर्चा करेंगे. इसमें कारोबार बढ़ाने, निवेश में आर्थिक गठजोड़ को मजबूत करने समेत आपसी हितों से जुड़े अन्य क्षेत्रों में सहयोग को लेकर भी बातचीत की जाएगी.

आइए डालते हैं एक नजर इस समिट और इसके एजेंडे पर...

I2U2 क्या है?

इस समूह में चार देश होंगे और इसे "I2U2" नाम दिया जाएगा. इंडिया और इजराइल के लिए "I" और अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात के लिए "U". I2U2 सुरक्षा सहयोग तलाशने में देशों की मदद करेगा. यह समूह भारत को राजनीतिक और सामाजिक गठबंधन बनाने में भी मदद करेगा.

कब अस्तित्व में आया I2U2

आई2यू2 समूह की संकल्पना 18 अक्टूबर 2021 को चार देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में पेश की गई थी. इसमें से प्रत्येक देश सहयोग के संभावित क्षेत्रों को लेकर नियमित रूप से शेरपा-स्तरीय चर्चा करते रहे हैं. 

इसका उद्देश्य क्या है?

I2U2 का उद्देश्य पानी, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा जैसे छह पारस्परिक रूप से पहचाने गए क्षेत्रों में संयुक्त निवेश को प्रोत्साहित करना है. इसके तहत आधारभूत ढांचे के आधुनिकीकरण, कम कार्बन के रास्ते उद्योगों का विकास, सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना तथा महत्वपूर्ण उभरते क्षेत्र एवं हरित प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित पर जोर दिया गया है. आसान भाषा में समझें तो इसका उद्देश्य दुनियाभर में गठबंधंन एवं साझेदारी के सिस्टम को पुर्नजीवित एवं सक्रिय करना है. इन प्रोजेक्ट्स के जरिए बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं. 

अमेरिकी राष्ट्रपति की अध्यक्षता में होने वाले इस शिखर सम्मेलन का विषय रूस यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न हुए वैश्विक खाद्य और ऊर्जा संकट पर केंद्रित होगा. इस सम्मेलन से भारत को UAE और अन्य अरब देशों के साथ अपने संबंधों को जोखिम में डाले बिना इजरायल के साथ संबंधों मजबूत करने के अवसर मिलेंगे.