हाल ही में केंद्र ने आईएएस अधिकारियों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर अधिक नियंत्रण रखने के लिए आईएएस (कैडर) नियमों में संशोधन का प्रस्ताव दिया है. केंद्र सरकार ने आईएएस (कैडर) नियम, 1954 में संशोधन के प्रस्ताव को लेकर हाल ही में राज्य सरकारों से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आईएएस अफसरों की सूची भेजने को कहा है, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है. इस प्रस्ताव पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कड़ी आपत्ति जताई है. इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है.
आईएएस ऑफिसर्स के डेपुटेशन का ये मुद्दा अक्सर ही केंद्र और राज्यों के बीच टकराव का केंद्र रहा है. जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार 31 जनवरी से शुरू होने वाले संसद के आगामी सत्र में यह संशोधन पेश कर सकती है. केंद्र ने इसके लिए 25 जनवरी से पहले राज्यों से जवाब मांगा है. 20 दिसंबर को कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने विभिन्न राज्य सरकारों को लिखा, "केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रिजर्व के हिस्से के रूप में विभिन्न राज्य / संयुक्त कैडर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए पर्याप्त संख्या में अधिकारियों को स्पॉन्सर नहीं कर रहे हैं. जिसकी वजह से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए उपलब्ध अधिकारियों की संख्या केंद्र में आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है.”
क्या हैं प्रस्तावित संशोधन?
DoPT की ओर से जारी निर्देश के अनुसार बिना राज्य की अनुमति के भी राज्य से आईएएस अधिकारियों को केंद्र सरकार बुला सकती है. 12 जनवरी को लिखे इस पत्र में कहा गया है कि अधिकारियों की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार आईएएस कैडर रूल 1954 में संशोधन कर ऐसा प्रावधान करने पर विचार कर रही है जिससे राज्य से ऑफिसर्स को बुलाने के लिए संबंधित राज्य से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. सरकार के इस प्रस्ताव का पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, केरल और तमिलनाडु ने विरोध किया है. प्रस्ताव के तहत राज्य कैडर की कुल अधिकृत शक्ति के खिलाफ सरकार चार प्रमुख संशोधन करना चाहती है.
*अगर कोई राज्य सरकार एक निश्चित समय के अंदर एक राज्य कैडर अधिकारी को केंद्र में पोस्ट करने में देरी करती है, तो अधिकारी को केंद्र सरकार की दी गयी तिथि से कैडर से मुक्त कर दिया जाएगा.
*केंद्र राज्य सरकारों के परामर्श से केंद्र सरकार को प्रतिनियुक्त किए जाने वाले अधिकारियों की वास्तविक संख्या तय करेगा और राज्य ऐसे अधिकारियों के नामों को पात्र बनाएगा.
*केंद्र और राज्य के बीच किसी भी तरह की असहमति के मामले में केंद्र सरकार द्वारा तय किया जाएगा और राज्य दिए गए समय के अंदर निर्णय को प्रभावी करेगा.
*विशेष परिस्थितियों में जहां जनहित में केंद्र को कैडर अधिकारियों की सेवाओं की जरूरत होती है, राज्य सरकारें एक निर्दिष्ट समय के भीतर केंद्र के फैसलों को लागू करेगी.
राज्यों ने किया विरोध
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर विरोध जताया है. उन्होंने लिखा कि इससे अधिकारियों में भय का माहौल पैदा होगा और उनका काम प्रभावित होगा. आठ दिनों में इस विषय पर दूसरी बार पीएम मोदी को लिखे पत्र में ममता बनर्जी ने कहा कि संशोधन से संघीय तानाबाना और संविधान का मूलभूत ढांचा नष्ट हो जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि अगर केंद्र अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं करता है तो आंदोलन किया जाएगा.
क्या है आईएएस (कैडर) नियम, 1954
आईएएस (कैडर) नियम, 1954 के मुताबिक वैसे तो अधिकारियों की भर्ती केंद्र करता है, लेकिन जब उन्हें उनके राज्य कैडर आवंटित किए जाते हैं तो वे राज्य सरकार के अधीन आ जाते हैं. इस नियम के अनुसार एक अधिकारी को संबंधित राज्य सरकार और केंद्र सरकार की सहमति से ही केंद्र सरकार या किसी अन्य राज्य सरकार के अधीन सेवा के लिए प्रतिनियुक्त किया जा सकता है. इस नियम के मुताबिक किसी भी असहमति के स्थिति में केंद्र सरकार फैसला लेती है और राज्य सरकार केंद्र सरकार के फैसले को लागू करती है.