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Agriculture Infrastructure Fund Scheme: कटाई के बाद फसलों को मैनेज और प्रोसेस करने में किसानों की मदद करती है केंद्र सरकार की यह स्कीम

जब योजना शुरू की गई थी तो इसका उद्देश्य प्राथमिक स्तर पर फसल कटाई के बाद मैनेजमेंट और प्रोसेसिंग करना था. लेकिन अब इसमें माध्यमिक स्तर पर इंटीग्रेटेड प्रोसेसिंग को भी शामिल कर दिया गया है.

Agriculture Infrastructure Fund Scheme Agriculture Infrastructure Fund Scheme

आजकल पंजाब के किसानों का धरना हर तरफ चर्चा में है. किसान अपन मुद्दों को लेकर लगातार धरना कर रहे हैं. इस बीच, पंजाब के बागवानी मंत्री मोहिंदर कुमार भगत ने जानकारी दी कि पंजाब ने एग्रीकल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (एआईएफ) स्कीम के तहत केंद्र सरकार द्वारा आवंटित 4,713 करोड़ रुपये का पूरा इस्तेमाल किया है. भगत ने कहा कि इसके साथ ही पंजाब इस योजना को लागू करने में देश में पहले स्थान पर है और राज्य को 2,337 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन दिया गया है. 

हालांकि, अब सवाल यहा है कि आखिर यह एग्रीकल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (एआईएफ) स्कीम है क्या और इस स्कीम के तहत किसान क्या प्रोजेक्टस शुरू कर सकते हैं? इस स्कीम से किसे फायदा हो सकता है? इस सबके बारे में आज हम आपको विस्तार से बता रहे हैं. 

AIF क्या है?
एग्रीकल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (कृषि अवसंरचना कोष) स्कीम की शुरुआत जुलाई 2020 में फसल कटाई के बाद के फेज में खेती से जुड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए मीडियम से लॉन्ग टर्म तक फाइनेंशियल मदद देने के उद्देश्य से की गई थी. योजना की शुरुआत करते समय, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि फसल के बाद की उपज की बर्बादी "किसानों को नुकसान पहुंचाती है और देश को बहुत नुकसान पहुंचाती है", और नई योजना "गांवों में बेहतर स्टोरेज और आधुनिक कोल्ड स्टोरेज चेन बनाने में मदद करेगी."

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जब योजना शुरू की गई थी तो इसका उद्देश्य प्राथमिक स्तर पर फसल कटाई के बाद मैनेजमेंट और प्रोसेसिंग करना था. लेकिन अब इसमें माध्यमिक स्तर पर इंटीग्रेटेड प्रोसेसिंग को भी शामिल कर दिया गया है. उदाहरण के लिए, किन्नू उगाने वाला किसान पहले फसल की ग्रेडिंग, वैक्सिंग और पैकेजिंग (फसल के बाद की पहली प्रोसेस) के लिए योजना के तहत फंड ले सकता था, लेकिन अगस्त 2024 से वह अपने किन्नू उत्पाद (सेकंडरी लेवल) से जूस, जैम आदि बनाने और बेचने के लिए भी फंड ले सकता है. हालांकि, सेकंडरी लेवल के फंड सिर्फ उनको ही मिलेंगे जो प्राइमरी प्रोसेसिंग में शामिल हैं. 

यह योजना क्रेडिट गारंटी और ब्याज छूट प्रदान करती है. किसान, कृषि उद्यमी, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां, किसान उत्पादक संगठन, स्टार्ट-अप, राज्य प्रायोजित सार्वजनिक-निजी भागीदारी, राज्य-एजेंसियां ​​इस योजना के तहत फंड के लिए आवेदन कर सकती हैं. 

पंजाब को क्या मिला
AIF के तहत, राज्य को शुरुआत में 1 लाख करोड़ रुपये के राष्ट्रीय आवंटन से 4,713 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. पंजाब के पास इसे इस्तेमाल करने के लिए  31 मार्च, 2026 की समय सीमा थी. हालांकि, राज्य ने जनवरी 2025 में इस लक्ष्य को पार कर लिया. राज्य सरकार ने कहा, 28 फरवरी तक, 21,740 परियोजनाओं के साथ, पंजाब सबसे ज्यादा स्वीकृत परियोजनाओं के मामले में देश में नंबर 1 स्थान पर है. 

पंजाब के बाद मध्य प्रदेश (12,487 परियोजनाएं), महाराष्ट्र (10,407 परियोजनाएं), उत्तर प्रदेश (8,539 परियोजनाएं) और तमिलनाडु (7,598 परियोजनाएं) हैं. विशेष रूप से, इस योजना के तहत देश के टॉप 10 जिलों में से नौ पंजाब से हैं.

किस तरह की परियोजनाएं की गईं शुरू 
काजू प्रोसेसिंग, तेल निकालने वाली यूनिट्स, ड्रोन परियोजनाएं, आटा मिलें, किन्नू प्रोसेसिंग यूनिट्स, सोलर प्रोजेक्ट्स, कोल्ड स्टोर, कस्टमर हायरिंग सेंट्स आदि जैसी अलग-अलग परियोजनाएं शुरू की गई हैं. इन सभी परियोजनाओं के लाभार्थियों में से कुल 71% किसान हैं, और सभी स्वीकृत परियोजनाओं में से 67% की लागत 25 लाख रुपये से कम है. 

यह योजना लोन पर 3% ब्याज छूट देती है. 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए 7 सालों के लिए अधिकतम ब्याज दर 9% तय की गई है. AIS के तहत, कोई अन्य राज्य और केंद्रीय सब्सिडी का भी फायदा ले सकता है. क्रेडिट गारंटी समर्थन सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई) और नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (एनएबीसंरक्षण) योजना के माध्यम से है.