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Belly Landing: क्या होती है बेली लैंडिंग... आखिरकार क्यों पड़ती है इसकी जरूरत... Emergency में Plane में सवार लोगों की कैसे बचाई जाती है जान... यहां जानिए सबकुछ

What is Belly Landing: बेली लैंडिंग एक ऐसी आपातकालीन स्थिति है जब किसी विमान को बिना लैंडिंग गियर के नीचे की सतह के सहारे उतारना पड़ता है. यह एक खतरनाक स्थिति होती है. इसे आखिरी उपाय के तौर पर ही अपनाया जाता है.

Plane (file photo: PTI) Plane (file photo: PTI)
हाइलाइट्स
  • त्रिची एयरपोर्ट से शारजाह जा रहे एयर इंडिया के विमान के लैंडिंग गियर में आ गई थी खराबी

  • विमान की कराई गई सेफ लैंडिंग, बाल-बाल बचे 140 यात्री 

Tiruchirappalli to Sharjah Flight: एयर इंडिया की फ्लाइट की आखिरकार शुक्रवार रात को 8:15 बजे त्रिची एयरपोर्ट सुरक्षित लैंडिंग करा ली गई. इसके साथ ही इसमें सवार 140 लोग व पूरे देशवासियों ने राहत की सांस ली. दरअसल, एअर इंडिया की फ्लाइट नंबर AXB 613 त्रिची हवाई अड्डे से शाम 5:32 बजे शारजाह जाने के लिए उड़ान भरी थी. टेकऑफ करते ही पायलट को लैंडिंग गियर के हाइड्रोलिक सिस्टम में खराबी का पता चला.

पायलट ने तुरंत आपात लैंडिंग की अनुमति मांगी. आनन-फानन में त्रिची एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया. बेली लैंडिंग (Belly Landing) की तैयारी शुरू कर दी गई. एंबुलेंस के साथ ही फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैनात कर दिया गया. अच्छी बात यह रही कि बेली लैंडिंग की जरूरत नहीं पड़ी फ्लाइट को सुरक्षित लैंड करा दिया गया.

प्लेन हवा में लगाते रहा चक्कर
प्लेन तीन घंटे से ज्यादा समय तक हवा में चक्कर लगाते रहा. ऐसा इसलिए किया गया ताकि विमान का ईंधन कम हो सके. सुरक्षा के लिहाज से जब फ्यूल को पर्याप्‍त मात्रा में बर्न कर दिया गया तब जाकर विमान ने एयरपोर्ट पर लैंडिंग करना शुरू किया गया. इसी बीच विमान का पहिया यानी जाम पेंडिंग गियर को हवा में ठीक करने का प्रयास भी किया जा रहा था. अचानक जाम लैंडिंग गियर खुल गया है और विमान की सेफ लैंडिंग कराई गई. एयर इंडिया एक्सप्रेस के प्रवक्ता ने बताया कि उड़ान के दौरान तकनीकी खराबी आने की सूचना मिलने के बाद पायलट ने एहतियात के तौर पर विमान को कई बार घुमाया. ऐसा रनवे की लंबाई को देखते हुए फ्यूल और वजन कम करने के लिए किया गया. 

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क्या होती है बेली लैंडिंग
बेली लैंडिंग जिसे गियर-अप लैंडिंग भी कहा जाता है, एक ऐसी आपातकालीन स्थिति है जब किसी विमान को बिना लैंडिंग गियर के नीचे की सतह (जिसे बेली यानी पेट कहते हैं) के सहारे उतारना पड़ता है. यह एक खतरनाक स्थिति होती है. इसे आखिरी उपाय के तौर पर ही अपनाया जाता है. इससे आग लगने का खतरा होता है. यदि विमान में फ्यूल ज्यादा हो तो इससे स्पार्क होने का खतरा होता है. यह ऐसी स्थिति होती है जब कोई विमान अपने लैंडिंग गियर (पहिए) को नीचे नहीं ला पाता है और उसे विमान के निचले हिस्से (जिसे बेली कहते हैं) के सहारे रनवे पर उतरना पड़ता है. 

बेली लैंडिंग के दौरान पायलट विमान को बहुत सावधानी से नियंत्रित करता है ताकि उसे धीरे और सुरक्षित रूप से जमीन पर उतारा जा सके. पायलट अधिकतर रनवे की लंबाई का इस्तेमाल करते हुए विमान को धीरे-धीरे रोकने की कोशिश करता है. बेली लैंडिंग में विमान के निचले हिस्से को नुकसान हो सकता है, लेकिन यदि सही ढंग से की जाए तो यह यात्रियों और क्रू के लिए सुरक्षित होती है. बेली लैंडिंग के लिए पायलटों को बहुत कुशल होना होता है. इस दौरान पायलट विमान को एक निश्चित कोण पर उतारता है. यह कोण विमान के आकार और वजन पर निर्भर करता है. विमान के पेट को रनवे पर धीरे से उतारा जाता है. इस दौरान पायलट को ब्रेक का उपयोग करके विमान की गति को कम करना होता है. विमान पूरी तरह से रुकने तक पायलट ब्रेक का उपयोग करते रहता है.

कब पड़ती है बेली लैंडिंग की जरूरत
1. लैंडिंग गियर में खराबी: यदि लैंडिंग गियर किसी कारण से खुल नहीं पाता है यानी काम करना बंद कर देता है तो तो पायलट को मजबूरी में बेली लैंडिंग करनी पड़ सकती है.
2. अन्य तकनीकी खराबी: कई बार प्लने में अन्य तकनीकी खराबी के कारण भी बेली लैंडिंग करनी पड़ जाती है. 
3. युद्ध या आपातकालीन स्थितिः  युद्ध या इमरजेंसी जैसी कुछ विशेष परिस्थितियों में पायलट को बेली लैंडिंग करने का फैसला लेना पड़ता है. यदि किसी आपातकालीन स्थिति में विमान को तुरंत उतारना पड़े और लैंडिंग गियर को पूरी तरह से नीचे लाने का समय न हो तो बेली लैंडिंग की जाती है.