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Explainer: क्या होता है CAT-3, खराब मौसम में पायलट्स के लिए क्यों जरूरी होती है ये ट्रेनिंग

उत्तर भारत में जबरदस्त ठंड पड़ रही है. जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक शीतलहर का असर देखा जा रहा है. IMD ने दिल्ली समेत 19 राज्यों में कोहरे के लिए अलर्ट जारी किया है. दिल्ली में कोहरे के कारण लो विजिबिलिटी से गुरुवार को 18 ट्रेनें लेट और कई फ्लाइट्स कैंसिल हो गई हैं.

Passengers have been facing a hard time due to delays in their flights caused by low visibility. (PTI photo) Passengers have been facing a hard time due to delays in their flights caused by low visibility. (PTI photo)
हाइलाइट्स
  • उत्तर भारत में जबरदस्त ठंड पड़ रही है.

  • फ्लाइट की सुरक्षित लैंडिंग कराने का इंटरनेशनल स्टैंडर्ड CAT-3 है.

उत्तर भारत में जबरदस्त ठंड पड़ रही है. जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक शीतलहर का असर देखा जा रहा है. IMD ने दिल्ली समेत 19 राज्यों में कोहरे के लिए अलर्ट जारी किया है. दिल्ली में कोहरे के कारण लो विजिबिलिटी से गुरुवार को 18 ट्रेनें लेट और कई फ्लाइट्स कैंसिल हो गई हैं.

दूसरी तरफ डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एसोसिएशन (DGCA) ने कोहरे के दौरान पायलट्स की ड्यूटी लगाने में लापरवाही बरतने को लेकर विमानन कंपनी स्पाइसजेट और एयर इंडिया पर 30-30 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. DGCA ने जांच में पाया कि खराब मौसम के बावजूद स्पाइसजेट और एयर इंडिया ने CAT-3 की ट्रेनिंग ले चुके पायलट को ड्यूटी पर नहीं लगाया था. इन्होंने उन पायलट्स को फ्लाइट उड़ाने की जिम्मेदारी सौंपी जिनके पास CAT-3 की ट्रेनिंग नहीं थी और इसी कारण ज्यादातर फ्लाइट्स लेट और डायवर्ट हुईं.

क्या होता है CAT-3
खराब मौसम जैसे कोहरे, भारी बारिश में फ्लाइट की सुरक्षित लैंडिंग कराने का इंटरनेशनल स्टैंडर्ड CAT-3 है. इसमें एडवांस ऑटोपायलट, ग्राउंड इक्विपमेंट और प्रिसिशन इंस्ट्रूमेंट अप्रोच शामिल होता है. इसकी मदद से ही कम विजिबिलिटी के दौरान या तेज बारिश के दौरान भी फ्लाइट की सुरक्षित लैंडिंग कराई जाती है. इससे कोहरे के दिनों में उड़ानों के रद्द होने की संभावना कम हो जाती है. कैट-3 के जरिए पायलट न्यूनतम 75 मीटर विजिबिलिटी में भी सुरक्षित लैंडिंग करा सकते हैं. बता दें, फ्लाइट लैंडिंग से जुड़ी ज्यादातर प्रक्रिया ऑटोमेटेड होती है. पायलट की भूमिका केवल रनवे और टैक्सीवे पर लाइटिंग सिस्टम पर नजर रखने की होती है.

महंगी होती है CAT-3 ट्रेनिंग
ज्यादातर एयरलाइंस के पास CAT-3 ट्रेंड पायलट तो हैं लेकिन इनकी संख्या बेहद कम है. CAT-3 ट्रेंड पायलट्स की कम संख्या होने को लेकर एयरलाइंस कंपनियां अपना तर्क देती हैं. उनका कहना है कि CAT-3 ट्रेनिंग महंगी होती है और केवल कुछ दिनों के कोहरे के लिए इस ट्रेनिंग का खर्च उठाना उनके लिए मुनाफे का सौदा नहीं है. 

Flight

कैट-3 लो विजिबिलिटी में भी रनवे की पोजिशन बताता है
दिल्ली एयरपोर्ट के 4 रनवे में से 2 ही कैट-3 हैं. कैट-3 लो विजिबिलिटी के दौरान भी पायलट को रनवे की पोजिशन बताता है. कैट-3 रनवे रेडियो वेव और हाई इंटेंसिटी लाइट की मदद से रनवे का अनुमान लगाता है. CAT-3 लैंडिंग के लिए विमान का भी CAT-3 के अनुरूप होना जरूरी है. इसके अलावा कैप्टन और ऑफिसर दोनों को CAT-3 के लिए सर्टिफाइड होना चाहिए. 

करीब 12 लाख है ट्रेनिंग का खर्च
एयरलाइंस का कहना है कि CAT-III के लिए पायलटों को ट्रेनिंग देने की प्रक्रिया न केवल महंगी है, बल्कि मुश्किल भी है. CAT-IIIB के लिए, पायलटों को पहले CAT-II और फिर CAT-IIIA की ट्रेनिंग लेनी पड़ती है. CAT-III लैंडिंग भी केवल दिल्ली एयरपोर्ट पर ही उपलब्ध है. CAT-III ऑपरेशंस के लिए एक पायलट को ट्रेनिंग देने का खर्च करीब 12 लाख रुपये है. देश के ज्यादातर एयरपोर्ट पर इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) नहीं हैं.

ट्रेनों में लगाई जाती है फॉग सेफ डिवाइस 
बात करें रेलवे की तो यहां भी स्थिति कुछ ऐसी ही है. घने कोहरे के कारण कई ट्रेनें कई-कई दिन लेट चल रही हैं. घने कोहरे के दौरान ट्रेनों को सुरक्षित तरीके से चलाने के लिए भारतीय रेलवे फॉग सेफ डिवाइस का इस्तेमाल करता है. रेलवे ने इसे फॉग पॉस को ट्रेनों में इंस्टॉल कराया है. फॉग पास एक तरह का नेविगेशन डिवाइस होता है जोकि लोको पायलट को सिग्नल, लेवल क्रॉसिंग गेट, Permanent speed restrictions, न्यूट्रल सेक्शन की स्थिति के बारे में रियल टाइम जानकारी देता है. ये सिंगल लाइन, डबल लाइन, विद्युतीकृत और गैर-विद्युतीकृत सेक्शन के लिए भी कारगर है. ये डिवाइस 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली ट्रेन में भी काम करता है. इसमें 18 घंटे के लिए बिल्ट-इन रीचार्जेबल बैटरी बैकअप है.

Train

3 किलोमीटर पहले ही मिल जाता है सिग्नल
इस डिवाइस में एक वायर वाला एंटीना होता है. जिसे ट्रेन के बाहरी हिस्से में फिक्स कर दिया जाता है. यह एंटीना इस डिवाइस में सिग्नल रिसीव करने के लिए लगाया जाता है. इसमें एक मेमोरी चिप लगी होती है जिसमें रेलवे का रूट फिक्स होता है. ट्रेन जब चलती है तो यह डिवाइस 3 किलोमीटर पहले मैसेज देती है कि 3 किलोमीटर के बाद सिग्नल, क्रॉसिंग या स्टेशन आने वाला है. सिग्नल के आधार पर लोको पायलट पहले ही सतर्क हो जाते हैं.