
छत्रपती शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) के बड़े बेटे संभाजी महाराज (Sambhaji Maharaj) की गिनती देश के महान योद्धाओं में होती है. वह 1680 में शिवाजी महाराज के निधन के बाद मराठा साम्राज्य के दूसरे छत्रपति बने थे. छत्रपति संभाजी महाराज ने अपने नौ साल के शासनकाल में 120 युद्ध लड़े थे और सभी में उन्हें विजय मिली थी.
मुगल शासक औरंगजेब भी छत्रपति संभाजी महाराज की वीरता का कायल था. औरंगजेब ने एक बार छत्रपति संभाजी महाराज के बारे में कहा था कि मेरे चार बेटों में से अगर एक भी तुम्हारे जैसा होता तो कब का पूरा हिंदुस्तान मुगल सल्तनत का हिस्सा बन जाता. छत्रपति संभाजी महाराज जैसे इतने महान योद्धा के बारे में ऑनलाइन इनसाइक्लोपीडिया (विश्वज्ञानकोश) विकिपीडिया (Wikipedia) पर आखिर क्यों आपत्तिजनक कंटेंट है.
छत्रपति संभाजी महाराज महाराष्ट्र समेत पूरे भारत में पूजनीय व्यक्तित्व हैं. महाराष्ट्र साइबर सेल के बार-बार नोटिस भेजने के बावजूद विकिपीडिया पर से इस आपत्तिजनक सामग्री को नहीं हटाया गया. आखिर में महाराष्ट्र साइबर सेल ने विकिपीडिया पर छत्रपति संभाजी महाराज से संबंधित आपत्तिजनक सामग्री को न हटाने के मामले में चार संपादकों के खिलाफ केस दर्ज किया है. साइबर सेल के अधिकारियों ने यह जानकारी शुक्रवार को दी. आइए जानते हैं आखिर कैसे छत्रपति संभाजी महाराज के खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री को लेकर विवाद बढ़ा है. हम आपको छत्रपति संभाजी महाराज के बारे में भी बताएंगे.
केआरके का विवादित पोस्ट हो गया था वायरल
आपको मालूम हो कि विकिपीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री का मुद्दा छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित विक्की कौशल (Vicky Kaushal) अभिनीत फिल्म 'छावा' (Chaava) की रिलीज के कुछ दिनों बाद सामने आया था. दरअसल, निर्माता कमाल राशिद खान (केआरके) ने Wikipedia की जानकारी पर भरोसा किया और 17 फरवरी 2025 को X पर एक पोस्ट में छत्रपति संभाजी महाराज के बारे में गलत और आपत्तिजनक बातें लिखीं.
केआरके का यह विवादित पोस्ट वायरल हो गया. छत्रपति संभाजी महाराज को लेकर X पर केआरके की आपत्तिजनक टिप्पणियों की महाराष्ट्र के राजनेताओं ने आलोचना की और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए पुलिस को विकिपीडिया से संपर्क करने और आपत्तिजनक सामग्री को हटाने का अनुरोध करने का निर्देश दिया था.
आपत्तिजनक कंटेंट को हटाने का किया था अनुरोध
महाराष्ट्र साइबर सेल ने कैलीफोर्निया स्थित विकिमीडिया फाउंडेशन को नोटिस भेजकर विकिपीडिया से छत्रपति संभाजी महाराज को लेकर आपत्तिजनक कंटेंट को हटाने का अनुरोध किया था. साइबर सेल ने विकिपीडिया को 15 ई-मेल भेजे थे, लेकिन विकिमीडिया फाउंडेशन की ओर से मेल भेजने के तीन दिनों के बाद भी कोई जवाब नहीं आया. अंत में महाराष्ट्र साइबर सेल उन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने का फैसला किया, जिन लोगों ने छत्रपति संभाजी महाराज के प्रोफाइल को एडिट किया था. विकिपीडिया ने IT की धारा 69 और 79 का वायलेशन किया है. आपको मालूम हो कि विकिमीडिया फाउंडेशन एक गैर-लाभकारी संगठन है जो विकिपीडिया का संचालन करता है.
...तो राज्य में कानून-व्यवस्था हो सकती है प्रभावित
महाराष्ट्र साइबर सेल ने विकिमीडिया फाउंडेशन को भेजे नोटिस में लिखा था कि विकिपीडिया पर जो जानकारी है वह गलत और भ्रामक है. इससे राज्य में कानून-व्यवस्था प्रभावित हो सकती है, क्योंकि संभाजी महाराज भारत में अत्यधिक पूजनीय माने जाते हैं. विकिपीडिया पर प्रकाशित जानकारी छत्रपति संभाजी महाराज के अनुयायियों में असंतोष पैदा कर सकती है और इससे सामाजिक अशांति फैलने की आशंका है. विकिमीडिया फाउंडेशन की ओर से इस नोटिस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देने पर अब चार संपादकों पर केस दर्ज किया गया है.
कौन थे छत्रपति संभाजी महाराज
मराठा साम्राज्य के महान शासक छत्रपति शिवाजी महाराज के बड़े पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज थे. संभाजी का जन्म 14 मई 1657 को पुरंदर के किले में हुआ था. संभाजी जब दो साल के थे, तभी उनकी मां सईबाई का निधन हो गया था. इसके बाद राजमाता जीजाबाई (जिजाऊ) ने उनकी देखभाल की. संभाजी से शिवाजी महाराज बहुत प्यार करते थे. शिवाजी जब आगरा अभियान पर निकले तो वे संभाजी को भी साथ ले गए थे.
उस समय संभाजी सिर्फ नौ साल के थे. उस समय संभाजी ने मुगल शासक औरंगजेब को देखा था. बचपन से ही वह अपने शत्रु की कूटनीति और क्रूरता को जानते थे. 1680 में शिवाजी महाराज के निधन के बाद मराठा साम्राज्य के दूसरे छत्रपति संभाजी महाराज बने थे. छत्रपति संभाजी महाराज ने लगभग 9 सालों तक शासन किया (1681-89) और अपनी वीरता और देशभक्ति के लिए पहचान हासिल की. कहा जाता है कि उन्होंने 9 साल में 120 युद्ध लड़े और एक भी युद्ध नहीं हारा. उस समय छत्रपति संभाजी महाराज जैसा योद्धा भारत में कोई नहीं था. छत्रपति संभाजी महाराज ने अपने पराक्रम के बल पर बहुत कम समय में मराठा साम्राज्य का विस्तार और बचाव किया. उन्होंने अकेले ही मुगल साम्राज्य का मुकाबला किया.
धोखे से मुगलों ने पकड़ लिया था
संभाजी महाराज के सबसे बड़े आक्रमण में बुरहानपुर हमला भी शामिल है, जो वर्तमान समय में मध्य प्रदेश का हिस्सा है. उन्होंने औरंगजेब को दक्कन में अपना विस्तार करने से रोकने के लिए ऐसा किया था. संभाजी महाराज को 1689 में मुगलों ने धोखे से पकड़ लिया था. औरंगजेब ने संभाजी महाराज को जीवनदान देने लिए इस्लाम कबूल करने का प्रस्ताव दिया, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया.
इसके बाद संभाजी महाराज को काफी शारीरिक यातनाएं दी गई. उनके हाथों को झुनझुने से बांधकर ऊंटों में बांधा गया. औरंगजेब के कहने पर उनकी आंखों में गरम लोहे की छड़ें डाल दी गई थीं. दोनों हाथ काट दिए गए और यहां तक कि चमड़ी भी उधेड़ दी गई. हाथ काटने के दो हफ्तों बाद उनका सिर कलम कर दिया गया लेकिन संभाजी झुके नहीं. औरंगजेब ने 11 मार्च 1689 को छत्रपति संभाजी महाराज को फांसी पर चढ़वा दिया. इस तरह से छत्रपति संभाजी महाराज ने हिंदू धर्म और स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी. उनकी वीरता, कर्तव्य और देशभक्ति को आज भी लोग याद करते हैं.