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Digital Rape: क्या होता है डिजिटल रेप... कब बना था ये कानून... दोषी को मिलती है कितनी सजा... एयर होस्टेस की शिकायत पर Medanta Hospital को शोकॉज

What is Digital Rape: डिजिटल रेप साल 2012 से पहले छेड़छाड़ के दायरे में आता था. निर्भया कांड के बाद इस अपराध को आईपीसी के तहत बलात्कार की श्रेणी में शामिल किया गया. डिजिटल रेप को भारतीय न्याय संहिता में भी गंभीर अपराध माना गया है. इसमें दोषी पाए जाने पर आरोपी को आजीवन कारावास की सजा तक हो सकती है. 

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हाइलाइट्स
  • डिजिटल रेप का इंटरनेट से नहीं है कुछ लेना देना

  • दोषी को हो सकती है आजीवन कारावास की सजा 

हरियाणा के गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल (Medanta Hospital) में एक एयर होस्टेस के साथ ICU में डिजिटल रेप (Digital Rape) का मामला सामने आया है. एयर होस्टेस की शिकायत पर मेदांता अस्पताल के चिकित्सा निदेशक को शोकॉज नोटिस जारी किया गया है. आइए जानते हैं आखिर क्या होता है डिजिटल रेप, कब बना था ये कानून और दोषी को कितनी सजा मिलती है?

क्या होता है डिजिटल रेप
डिजिटल रेप एक गंभीर यौन अपराध है, जिसमें आरोपी बिना सहमति के किसी व्यक्ति, महिला या बच्ची का सेक्सुअल असॉल्ट अपने हाथों, पैरों की उंगलियों या किसी वस्तु से करता है. सीधे शब्दों में कहें तो जब आरोपी किसी महिला के प्राइवेट पार्ट को बिना उसकी सहमति के अपनी उंगलियों से छूता है तो उसे डिजिटल रेप कहा जाता है. 

बलात्कार की श्रेणी में किया गया शामिल 
डिजिटल रेप साल 2012 से पहले छेड़छाड़ के दायरे में आता था. निर्भया कांड के बाद इस अपराध को भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) यानी आईपीसी (IPC) के तहत बलात्कार की श्रेणी में शामिल किया गया. साल 2013 में डिजिटल रेप कानून को मान्यता मिली थी.

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इसका मतलब था कि यदि हाथ की किसी उंगली या अंगूठे के सहारे जबरदस्ती पेनेट्रेशन को यौन अपराध माना गया है. ऐसे मामलों में ज्यादातर पीड़ित छोटी बच्चियां होती हैं, इसलिए आरोपी पर पॉक्सो एक्ट के तहत भी कार्रवाई होती है. डिजिटल रेप को भारत के नए कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS) में भी गंभीर अपराध माना गया है. 

20 साल की सजा से लेकर उम्रकैद तक का प्रावधान 
हमारे देश के कानून में डिजिटल रेप को गंभीर अपराध मानते हुए कठोर सजा का प्रावधान किया गया है. पहले IPC के सेक्शन 375-376 के तहत डिजिटल रेप के दोषी के लिए सजा का प्रावधान था. इसमें कम से कम 7 साल की सजा हो सकती है, जो कुछ मामलों में 10 साल तक या आजीवन कारावास तक बढ़ सकती है. जुर्माना भी लगाया जा सकता है. 

यदि पीड़ित नाबालिग है तो पॉक्सो एक्ट के कार्रवाई की जाती है. इसके तहत सजा और सख्त हो जाती है. दोषी को 10 से 20 साल तक की जेल या उम्रकैद भी हो सकती है. अब भारतीय न्याय संहिता में भी डिजिटल रेप को बलात्कार की श्रेणी में रखा गया है. इसमें पीड़िता की सहमति के बिना उसके निजी अंगों को छूना अपराध माना जाएगा और दोषी पाए जाने पर आरोपी को 10 साल तक की जेल या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. यदि अपराध के दौरान पीड़िता की मौत हो गई तब तो फांसी की सजा भी हो सकती है.

मेदांता अस्पताल में एयर होस्टेस के साथ क्या हुआ
बंगाल की एक एयर होस्टेस ट्रेनिंग के लिए गुरुग्राम आई थी. इसी दौरान पानी में डूबने से उसकी तबीयत बिगड़ने पर उसे गत 5 अप्रैल को मेदांता अस्पताल के ICU में भर्ती कराया गया था. एयर होस्टेस वेंटिलेटर पर थी, जब उसके साथ टेक्नीशियन दीपक कुमार ने दरिंदगी की थी. टेक्नीशियन दीपक ने 6 अप्रैल की रात एयर होस्टेस के प्राइवेट पार्ट से छेड़छाड़ की थी. एयर होस्टेस 13 अप्रैल को अस्पताल से डिस्चार्ज हुई थी. 

उसने अपने पति को सारी बात बताई. उसने बताया कि उसके साथ डिजिटल रेप हुआ है. इसके बाद 14 अप्रैल को पुलिश थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. पुलिस ने इस मामले में आरोपी दीपक कुमार को गिरफ्तार कर लिया है. दीपक बिहार के मुजफ्फरपुर का रहने वाला है. वह हाल ही में ऑपरेशन थिएटर टेक्नोलॉजी में डिग्री लेकर मेदांता अस्पताल में ICU टेक्नीशियन के तौर पर काम कर रहा था. एयर होस्टेस के साथ डिजिटल रेप मामले में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री आरती राव के निर्देश पर गुरुग्राम की सिविल सर्जन एवं सह संयोजक जिला पंजीकरण प्राधिकरण (CMO) डॉ. अलका सिंह ने मेदांता अस्पताल के चिकित्सा निदेशक को शोकॉज जारी किया है.