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Halal Controversy: क्या है हलाल सर्टिफिकेट, कौन बांटता है? CM Yogi हुए सख्त, यूपी में लग सकता है प्रतिबंध

खान-पान के उत्पादों को अवैध ढंग से हलाल सर्टिफिकेट देने के गोरखधंधे पर अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का चाबुक चलने जा रहा है. मजहब की आड़ लेकर एक धर्म विशेष को बरगलाने और अन्य धर्मों के बीच विद्वेष भड़काने की इस नापाक कोशिश पर सीएम योगी ने संज्ञान लिया है और कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
  • हलाल सर्टिफिकेट को लेकर विवाद, लखनऊ में केस दर्ज

  • लोगों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करने के आरोप

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती के बाद यूपी में हलाल सर्टिफिकेशन के धंधे पर कार्रवाई शुरू हो गई है. सरकार ऐसे सर्टिफिकेशन से जुड़े उत्पादों पर प्रतिबंध लगा सकती है. ऐसी कंपनियां डेयरी, कपड़ा, चीनी, मसाले, साबुन और नमकीन जैसे उत्पादों को भी सर्टिफाइड करके बेच रही थीं. ऐसी नौ कंपनियों के खिलाफ लखनऊ के थाने में एफआईआर दर्ज की गई है. हलाला सर्टिफिकेशन को लेकर योगी सरकार जल्द ही कड़े नियम बना सकती है.

क्या है हलाल सर्टिफिकेशन?
हलाल और हराम अरबी के दो शब्द हैं. हलाल का मतलब जायज होता है. इसके उलट हराम होता है यानी वह चीज जो निषिद्ध हो. जानकारों के मुताबिक इस्लामी धर्मशास्त्र में जिन बातों या चीजों को हराम बताया गया है उसे करने की मनाही होती है. जिन चीजों को हलाल बताया गया है उन्हें ही किया जा सकता है. मान्यताओं के अनुसार हलाल, खाने-पीने की चीजों को बनाने की प्रक्रिया और जानवरों के वध पर लागू होता है. हलाल सर्टिफिकेशन करने वाली कंपनियों का ये दावा होता है कि अमुक उत्पाद इस्लामी मान्यताओं के अनुरूप तैयार किया गया है. हलाल सर्टिफाइड की मुहर लगाकर उत्पाद बेचे जाते हैं जबकि कोई सरकारी संस्था इस तरह का सर्टिफिकेशन नहीं करती.

हलाल में होता क्या है?
हलाल गाइडलाइंस को ध्यान में रखते हुए जब जानवर को मारना होता है तो तेज धार वाली छुरी का इस्तेमाल गले के आगे चीरा लगाने के लिए किया जाता है. इसमें सही जगह ग्रासनली (इसोफेगस) और गले की नसें होती हैं. किसी दूसरे तरीके से बिल्कुल भी नहीं. जानवर के सिर वाले हिस्से को मक्का की दिशा में रखा जाता है और स्लॉटर के समय इस्लामिक प्रार्थना बोलनी होती है. स्लॉटर किसी मुस्लिम शख्स द्वारा ही किया जाना चाहिए. इस्लामी कानून के तहत जानवर को मारने की इस विधि से अलग तरीके से अगर वध किया जाता है तो वह हराम है. मरने वाला जानवर भी हराम है और उसे नहीं खाया जाना चाहिए. यह भी बताया जाता है कि हलाल प्रक्रिया में वध के लिए तैयार किए जाने वाले जानवर को अच्छे से खिलाया-पिलाया और देखभाल की जानी चाहिए. वह बीमार नहीं होना चाहिए.

लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज कराई एफआईआर
शैलेंद्र शर्मा नामक व्यापारी ने लखनऊ के हजरतगंज थाने में हलाल सर्टिफिकेट के लेकर एफआईआर दर्ज कराई है. शिकायतकर्ता ने कहा है कि जिन कंपनियों के पास हलाल प्रमाण पत्र नहीं हैं, उनके उत्पादों की बिक्री घटाने के प्रयास के तहत ऐसा किया जा रहा है, जो अवैध है. हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई, जमीयत उलेमा हिन्द हलाल ट्रस्ट दिल्ली, हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया मुम्बई, जमीयत उलेमा मुम्बई की ओर से एक धर्म विशेष के ग्राहकों को मजहब के नाम से कुछ उत्पादों पर हलाल प्रमाणपत्र प्रदान कर उनकी ब्रिकी बढ़ाने के लिए आर्थिक लाभ लेकर अवैध कारोबार चलाया जा रहा है. 

आतंकवादी संगठनों को फंडिंग करने की आशंका
इन कंपनियों के पास किसी उत्पाद को प्रमाण पत्र देने का कोई अधिकार नहीं है. आशंका है कि इस अवैध कमाई से आतंकवादी संगठनों और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को फंडिंग की जा रही है. लोगों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करने का आरोप भी शिकायतकर्ता ने लगाया है. बता दें कि भारत में कोई भी सरकारी संस्था इस तरह का सर्टिफिकेट जारी नहीं करती है. खान-पान के उत्पादों की गुणवत्ता के प्रमाण पत्र के लिए एफएसएसएआई व आईएसआई जैसी संस्थाओं को अधिकृत किया गया है.

(सत्यम मिश्रा की रिपोर्ट)