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Indus Waters Treaty: Pahalgam Attack के बाद मोदी सरकार का पाक पर वाटर स्ट्राइक! क्या है सिंधु जल समझौता... भारत ने पानी रोका... तो कैसे बूंद-बूंद को तरसेगा पाकिस्तान... यहां जानिए

Modi Government in Action After Pahalgam Terror Attack: पहलगाम में आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है. भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 में हुए सिंधु जल समझौता को रोक दिया है. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है सिंधु जल समझौता और कैसे पानी रोकने के बाद बूंद-बूंद को पाकिस्तान तरसेगा? 

Indus Waters Treaty Indus Waters Treaty
हाइलाइट्स
  • पहलगाम में आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन में

  • सिंधु जल समझौता को तत्काल प्रभाव से रोका

जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के पहलगाम (Pahalgam) में हुए आतंकी हमले के दौरान 26 निर्देश लोगों की मौत के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ने बुधवार को कई कड़े फैसले किए हैं. प्रधानमंत्री निवास पर बुलाई गई कैबिनेट मामलों की सुरक्षा समिति (CCS) की बैठक में सिंधु जल समझौता (Indus Waters Treaty) को तत्काल प्रभाव से रोकने का फैसला किया गया.

इसके अलावा सरकार ने भारत स्थित पाकिस्तानी दूतावास को भी बंद करने और किसी भी पाकिस्तानी को भारतीय वीजा नहीं देने का फैसला किया है. अटारी बॉर्डर को भी तत्काल प्रभाव से बंद करने का निर्णय लिया गया है.आइए जानते हैं क्या है सिंधु जल समझौता और कैसे पाकिस्तान के लिए लाइफ लाइन कही जाने वाली सिंधु और उसकी सहायक नदियों का पानी रोकने के बाद बूंद-बूंद को पाक तरस जाएगा?

क्या है सिंधु जल समझौता
भारत और पाकिस्तान के बीच बहने वाली सिंधु और उसकी सहायक पांच नदियों (झेलम, चेनाब, रावी, ब्यास, सतलुज) के जल बंटवारे के लिए 19 सितंबर 1960 को एक समझौता हुआ था. इसे ही सिंधु जल समझौता (Indus Waters Treaty) कहा जाता है.

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इस समझौते पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने कराची में  साइन किया था. इसमें विश्व बैंक ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी. इस समझौते का मुख्य उद्देश्य भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी प्रणाली के जल के बंटवारे को लेकर किसी भी तरह के विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से हल करना था. 

भारत सिर्फ इतने प्रतिशत पानी का करता है इस्तेमाल 
सिंधु जल समझौता के तहत भारत सिंधु नदी प्रणाली के पानी का केवल 20% ही इस्तेमाल कर सकता है, बाकी 80% पानी पाकिस्तान को देता है. समझौते के तहत पश्चिमी नदियां जिसमें सिंधु, झेलम और चेनाब शामिल हैं का जल अधिकार पाकिस्तान को मिला है.

पूर्वी नदियां जिसमें रावी, ब्यास और सतलुज शामिल हैं का जल अधिकार भारत को मिला हैं. हालांकि भारत को पश्चिमी नदियों पर भी सीमित इस्तेमाल (जैसे सिंचाई, घरेलू इस्तेमाल और जल को बिना रोक कर रखे बिजली उत्पादन) की अनुमति है. भारत अपने हिस्से में से भी करीब 90 फीसदी पानी ही उपयोग करता है.

क्या होगा पाकिस्तान पर असर
पाकिस्तान के लिए लाइफ लाइन सिंधु नदी कही जाती है. सिंधु जल समझौता रोकने के बाद इसका पाकिस्तान पर व्यापक असर पड़ेगा. यह देश पानी के लिए तरस जाएगा क्योंकि पाकिस्तान की करीब 80 प्रतिशत कृषि की सिंचाई सिंधु जल प्रणाली पर निर्भर है. इतना ही नहीं करीब 21 करोड़ से ज्यादा की पाकिस्तानी आबादी की जल जरूरतें भी इसी सिंधु जल प्रणाली पर निर्भर है. 

सिंधु नदी अरब सागर तक पाकिस्तान के कई राज्यों से होकर गुजरती है. पाकिस्तान के पंजाब सूबे को इससे सबसे ज्यादा लाभ मिलता है. भारत द्वारा पानी रोके जाने के बाद पाकिस्तान में जल संकट उत्पन्न होगा और इसका असर कृषि पर पड़ेगा. खेत सूखे पड़ जाएंगे और फसल का उत्पादन नहीं हो पाएगा. इस तरह से पाकिस्तान में न सिर्फ पानी बल्कि खाने के भी लाले पड़ जाएंगे. इसके अलावा सिंधु नदी से जुड़े कई हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पाकिस्तान में हैं. ऐसे में जल की कमी से इनका उत्पादन प्रभावित होगा और पाकिस्तान में ऊर्जा संकट गहराएगा. मोदी सरकार के पानी रोके जाने से पाकिस्तान की बड़ी आबादी भूख और प्यास से तड़प सकती है.