दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अंतरिम जमानत दे दी. कथित शराब घोटाले में 21 मार्च को उन्हें गिरफ्तार किया गया था. बता दें कि कोर्ट ने उन्हें 1 जून तक के लिए अंतरिम जमानत दी है. 2 जून को उन्हें सरेंडर करना होगा. हालांकि उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अंतरिम जमानत 1 जून से बढ़ाकर 5 जून तक करने की अपील की थी लेकिन कोर्ट ने अपील को रिजेक्ट कर दिया. ऐसे में आपके मन में एक सवाल आ रहा होगा कि आखिर ये अंतरिम जमानत होती क्या है और यह सामान्य जमानत से कैसे अलग है और जमानत कितने प्रकार की होती है. चलिए जानते हैं.
क्या होती है अंतरिम जमानत
अंतरिम जमानत एक अस्थाई जमानत होती है, यानी कम समय के लिए. ये किन परिस्थितियों में मिलता है आइए जानते हैं. जब कोई शख्स परमानेंट बेल के लिए कोर्ट में याचिका दायर करता है तो कोर्ट चार्जशीट और जरूरी डॉक्यूमेंट पेश करने की मांग करता है. ताकि केस पर सुनवाई करके फैसला दिया जा सके. इस पूरी प्रक्रिया में अच्छा खासा समय लगता है. ऐसे में जब तक अदालत केस की सुनवाई करके किसी निर्णय पर नहीं पहुंचता, शख्स को जेल में ही रहना पड़ता है. इस सिचुएशन में व्यक्ति अंतरिम जमानत के लिए अपील कर सकता है. हालांकि इसके लिए भी कुछ जरूरी शर्तें हैं. जैसे आरोपी मामले की जांच को बाहर जाकर प्रभावित न कर सके. बता दें कि आरोपी को खास परिस्थितियों में ही अंतरिम बेल दी जा सकती है. जैसे मेडिकल बेल यानी कैदी को इलाज की जरूरत हो या किसी करीबी की मौत हो गई हो. इस जमानत को एक से ज्यादा बार बढ़ाई जा सकती है.
अगर किसी अपराध के संदेह में पुलिस ने किसी को गिरफ्तार किया है और उसकी कोर्ट में एक बार पेशी हो चुकी तो वह जमानत के लिए अपील कर सकता है. इसके बाद कोर्ट शख्स को CRPC की धारा 437 और 439 के तहत जमानत दे सकता है. यहां आपको बता दें कि पहले 437 के तहत जमानत की अपील की जाती है अगर वह खारिज हो जाता है तो सेशन कोर्ट और फिर हाई कोर्ट में 439 के तहत अपील की जाती है.
अगर बात करें अग्रिम जमानत की तो यह गिरफ्तारी से पहले ही मिलने वाला बेल है. यानी आरोपी CRPC की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट से अपील कर सकता है. हालांकि जमानत मिलेगा या नहीं या अपराध की प्रकृति, गंभीरता और बाकी चीजों पर निर्भर करता है. कोर्ट कुछ जरूरी शर्तों के साथ आरोपी को अग्रिम जमानत दे सकती है जैसे पासपोर्ट जब्त करना, देश से बाहर जाने पर प्रतिबंध और आवश्यकता पड़ने पर जांच पूछताछ के लिए हाजिर रहना शामिल हो सकता है.