दिल्ली के विज्ञान भवन में इंटरनेशनल अभिधम्म दिवस और पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा के तौर पर मान्यता देना का कार्यक्रम आयोजित हुआ. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिरकत की. इस दौरान पीएम मोदी भगवान बुद्ध के सभी अनुयायियों को बधाई दी. पीएम मोदी ने कहा कि भाषा सभ्यता और संस्कृति की आत्मा है. पाली भाषा को जिंदा रखना, भगवान बुद्ध के शब्दों को जिंदा रखना हम सभी की जिम्मेदारी है. पीएम ने कहा कि इसी महीने भारत सरकार ने पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है.
इस बार के अभिधम्म दिवस में 14 देशों के शिक्षाविद् और भिक्षु के अलावा देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों से बड़ी संख्या में बुद्ध धम्म के युवा विशेषज्ञ शामिल हुए.
क्या है इंटरनेशनल अभिधम्म दिवस-
इंटरनेशनल अभिधम्म दिवस दुनियाभर में मनाया जाता है. यह अभिधम्म की शिक्षा देने के बाद भगवान बुद्ध के दिव्य लोक से अवतरण की याद में मनाया जाता है. ये दिवस दुनिया में बौद्ध धर्म की विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है.
अभिधम्म दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि-
मान्यता है कि इस दिन ही भगवान बुद्ध स्वर्ग से धरती पर आए थे. मान्यता है कि भगवान बुद्ध देवताओं और अपनी मां को अभिधम्म पिटक सिखाने के लिए स्वर्ग गए थे और 3 महीने बाद धरती पर वापस आए थे. भगवान बुद्ध संकसिया में अवतरित हुए थे. ये जगह उत्तर प्रदेश का संकिसा बसंतपुर है. इस घटना को सम्राट अशोक के हाथी स्तंभ से चिह्नित किया गया है. भगवान बुद्ध के अनुयायी 3 महीने के इस समय को एक स्थान पर रहकर प्रार्थना करते हैं. अभिधम्म दिवस असल में बौद्ध भिक्षुओं और ननों के लिए तीन महीने की वर्षा वापसी है. जिसके दौरान वे एक स्थान पर रहते हैं और प्रार्थना करते हैं.
पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा की मान्यता-
3 अक्तूबर 2024 को केंद्र सरकार ने पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है. इसके साथ ही मराठी, प्राकृत, असमिया और बंगाली को भी शास्त्रीय भाषा का दर्जा दियाा गया था. पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का यह दर्जा भगवान बुद्ध की महान विरासत का सम्मान है.
भारत सरकार ने साल 2004 में शास्त्रीय भाषा की एक कैटेगरी बनाई थी. इसमें उन भाषाओं को शामिल किया जाता है, जिसका रिकॉर्ड 1500 से 2000 साल पुराना रिकॉर्ड है.
किन भाषाओं को मिला है शास्त्रीय भाषा का दर्जा-
साल 2004 में पहली बार तमिल को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया था. इसके बाद साल 2005 में संस्कृत को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला. इसके बाद साल 2008 में तेलुगु और कन्नड़, साल 2013 में मलयालम, साल 2014 में उड़िया, सल 2024 में मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को इसमें शामिल किया गया.
ये भी पढ़ें: