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Smog को लेकर क्या गलतफहमी पाली है दिल्ली वालों ने.. क्यों Stubble Buring को माना जाता है कारण, क्या वाकई पराली है इसकी वजह?

सर्दियों में पराली जलाने को लेकर काफी कुछ कहा जाता है. साथ ही माना जाता है कि वायु प्रदूषण का कारण केवल पराली ही है. लेकिन क्या है पराली और वायु प्रदूषण के बीच का कनेक्शन?

Representative Image of Smog Representative Image of Smog

सर्दी की शुरुआत से ही दिल्ली वालों की आंखों में आंसू आने शुरू हो जाते हैं. ये कोई खुशी के आंसू नहीं हैं. साथ ही उन्हें किसानों की भी याद आने लग जाती है. लेकिन ये याद उसकी ऊगाई हुई फसल की वजह के नहीं आती. दरअसल इस सबकी वजह है स्मॉग (Smog). 

सर्दी का आगाज़ हुआ नहीं कि दिल्ली को स्मॉग की चादर ने लपेटना शुरू किया नहीं. एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) भी ऊपर-नीचे होना शुरू हो जाता है. इससे दिल्ली वालों की दिल की धड़कन और धक-धक करने लग जाती है. सर्दी में राजधानी की खराब आबोहवा के लिए निवासी पराली को काफी जिम्मेदार मानते हैं.

क्या होता है स्मॉग?
स्मॉग को आसान शब्दों में तो जब वायु में मौजूद फॉग, प्रदूषण और अन्य चीज़े एक साथ मिल जाती हैं तो वह स्मॉग बन जाता है. स्मॉग के कारण लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है. साथ ही देखने में भी परेशानी होती है. इसके अलावा बात करें तो आंखों में जलन होती है, जिसके बाद आंसू आने लगते हैं. गाड़ियों और कारखानों से निकलने वाले धुएं में मौजूद राख, धुआं, और अन्य हानिकारक रसायन जब कोहरे के संपर्क में आते हैं, तो स्मॉग बनता है.

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क्यों पराली है बदमान?
जिस दौरान मौसम बदलता है, उसी समय किसान अपने खेतों में पराली को जलाते है. दरअसल एक फसल के बाद दूसरी फसल लगाने से पहले जो कुछ खेत में बचता है, उससे निजात पाने के लिए उसे जला दिया जाता है. इसे ही पराली जलाना कहा जाता है. 

दिल्ली में होने वाले स्मॉग के लिए दिल्ली वाले केवल पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को ही कारण मानते हैं. राजधानी के निवासी यह भूल जाते हैं कि पराली स्मॉग का बहुत छोटा हिस्सा है. दरअसल पराली में मुख्य रूप से इंडस्ट्री से निकलने वाले केमिकल, निर्माण कार्य से पैदा होने वाली धूल, गाड़ियों का वायु प्रदूषण और चिमनियों से निकलने वाला काला धुआं भी जिम्मेदार है.

क्या केवल सर्दियों में ही होता है वायु प्रदूषण?
वायु प्रदूषण तो साल भर होता है. लेकिन क्योंकि गर्मियों में वायु में नमी कम होती है तो प्रदूषण के कण हवा के साथ उड़ जाती है. पर इसके विपरीत सर्दियों में हवा में नमी काफी होती है इसलिए इस दौरान इसमें हवा के कण फस कर रह जाते है और फोग होने के कारण स्मॉग बन जाता है.

साथ ही सर्दियों में हर जगह एक जैसा स्मॉग नहीं रहता है. AQI हर जगह एक जैसा नहीं मिलता है. कुछ जगह यह थोड़ा खराब दर्ज होता है तो कुछ उससे से ज्यादा खराब श्रेणी में दर्ज होता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि जिस जगह आप हैं अगर उस जगह काफी ज्यादा वायु प्रदूषण है तो स्मॉग काफी ज्यादा महसूस होगा.

स्मॉग की परेशानी के निपटने के लिए दिल्ली में कई स्मॉग टावर लगाए गए हैं. साथ ही स्मॉग कम हो इसके लिए सर्दियों में निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है. इसके अलावा गाड़ियों से निकलने वाले धुएं के लिए ऑड-ईवन जैसे स्कीम लागू कई बार लागू की गई है. यानी कहा जा सकता है कि केवल पराली को स्मॉग के लिए जिम्मेदार मानना गलत होगा.