मानसून सत्र के दौरान मणिपुर में हिंसा पर चर्चा और प्रधानमंत्री के बयान की मांग को लेकर हंगामे का दौर जारी है. मंगलवार से अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हुई है. आज चर्चा का दूसरा दिन है. इस बीच कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला, राजद सांसद मनोज झा, AAP सांसद राघव चड्ढा ने मणिपुर की स्थिति पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत सस्पेंशन ऑफ बिजनेस नोटिस दिया है. विपक्ष नियम 267 के तहत लंबी चर्चा की मांग कर रहा है, जबकि केंद्र का कहना है कि वह केवल नियम 176 के तहत छोटी चर्चा के लिए "इच्छुक और सहमत" है.
किस नियम के तहत दिया जाता है सस्पेंशन ऑफ बिजनेस का नोटिस?
राज्य सभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के अनुसार, नियम 267 के तहत "कोई भी सदस्य सभापति की सहमति से बिजनेस ऑफ सस्पेंशन का नोटिस दे सकता है." बिजनेस ऑफ सस्पेंशन का अर्थ है उस दिन संसद के समक्ष सूचीबद्ध किए गए बिजनेस से संबंधित और विचाराधीन विषयों को कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया जाए. सीधे शब्दों में कहें तो इस नियम के तहत राज्यसभा सांसद सभी सूचीबद्ध कार्यों को निलंबित करने और देश के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करने के लिए एक लिखित नोटिस दे सकते हैं.
क्या है रूल 276
नियम 267 राज्यसभा सांसद को सभापति की मंजूरी से सदन के पूर्व-निर्धारित एजेंडे को निलंबित करने की विशेष शक्ति देता है. इस नियम के तहत सदन के सभी कार्य स्थगित हो जाते हैं और जिस मसले पर चर्चा की मांग की सिर्फ उसी पर चर्चा होती है. अगर सभापति रूल 267 के तहत चर्चा कराने की अनुमति देते हैं तो सदन में वोटिंग कराई जाती है और वोटिंग में बहुमत मिलने के बाद उस विषय पर चर्चा होती है. नियम 176 के तहत अल्पकालिक चर्चा की व्यवस्था होती है, इसमें वोटिंग नहीं होती है, जबकि नियम 267 के तहत चर्चा लंबी अवधि की होती है क्योंकि सार्वजनिक महत्व के मुद्दे पर बहस के लिए सभी कामों को रोक दिया जाता है. इसके तहत वोटिंग का प्रावधान है.
हिंसा की आग में झुलस रहा मणिपुर
तीन महीने से मणिपुर के लोग हिंसा की आग में झुलस रहे हैं. 150 से ज्यादा लोगों की जानें चली गई है. हजारों लोग बेघर हो गए हैं. मणिपुर में हाईकोर्ट के उस आदेश के बाद से राज्य में तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं, जिसमें सरकार को गैर जनजाति मैतेई समुदाय को जनजाति में शामिल करने का आदेश दिया गया है. इस आदेश का राज्य के नगा और कूकी जनजाति विरोध कर रहे हैं.
मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाए जाने का वीडियो वायरल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकारों से स्पष्ट कहा था कि या तो आप जरूरी कदम उठाइए या हम उठाएंगे. मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है. सुप्रीम कोर्ट ने हिंसा मामले से जुड़े मुद्दों की पड़ताल के लिए हाईकोर्ट के तीन पूर्व जजों की कमेटी बनाई है.