पांच राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. एग्जिट पोल को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. आइए आज जानते हैं ओपिनियन पोल से कैसे अलग एग्जिट पोल होते हैं और सबसे पहले दुनिया में कहां एग्जिट पोल हुआ था?
क्या होता है एग्जिट पोल
एग्जिट पोल एक तरह का चुनावी सर्वे होता है. मतदान वाले दिन जब मतदाता वोट देकर पोलिंग बूथ से बाहर निकलते हैं तो वहां अलग-अलग सर्वे एजेंसी और न्यूज चैनल के लोग मौजूद होते हैं. वे मतदाताओं से वोटिंग को लेकर सवाल पूछते हैं. इसमें उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने किसको वोट दिया है? इस तरह से हर विधानसभा के अलग-अलग पोलिंग बूथ से वोटर्स से सवाल पूछे जाते हैं.
मतदान खत्म होने तक ऐसे सवालों के बड़ी संख्या में आंकड़े एकत्र हो जाते हैं. इन आंकड़ों को जुटाकर और उनके उत्तर के हिसाब से अंदाजा लगाया जाता है कि पब्लिक का मूड किस ओर है? मैथमेटिकल मॉडल के आधार पर ये निकाला जाता है कि कौन सी पार्टी को कितनी सीटें मिल सकती हैं? इसका प्रसारण मतदान खत्म होने के बाद ही किया जाता है. आमतौर पर मजबूत एग्जिट पोल के लिए 30-35 हजार से लेकर एक लाख वोटर्स तक से बातचीत होती है. इसमें क्षेत्रवार हर वर्ग के लोगों को शामिल किया जाता है. किस राज्य में किस पार्टी की सरकार बन रही है? किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी? इसका अनुमान एग्जिट पोल के जरिए लगाया जाता है.
ओपिनियन पोल
एजेंसियां ओपिनियन पोल चुनाव से पहले कराती हैं और इसमें सभी लोगों को शामिल किया जाता है. भले ही वो मतदाता हैं या नहीं. ओपिनियन पोल के नतीजे के लिए चुनावी दृष्टि से अलग-अलग क्षेत्रों के अहम मुद्दों पर जनता की नब्ज को टटोलने की कोशिश की जाती है. इसके तहत हर क्षेत्र में यह जानने का प्रयास किया जाता है कि सरकार के प्रति जनता की नाराजगी है या फिर उसके काम से संतुष्ट हैं.
एग्जिट पोल को लेकर क्या है गाइडलाइंस
एग्जिट पोल को लेकर भारत में पहली बार 1998 में गाइडलाइंस जारी हुई थी. चुनाव आयोग ने आर्टिकल 324 के तहत 14 फरवरी 1998 की शाम 5 बजे से 7 मार्च 1998 की शाम 5 बजे तक एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल के नतीजों को टीवी और अखबारों में छापने या दिखाने पर रोक लगा दी थी. 1998 के आम चुनाव का पहला चरण 16 फरवरी को और आखिरी चरण 7 मार्च को हुआ था.
इसके बाद समय-समय पर चुनाव आयोग एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल को लेकर गाइडलाइंस जारी करता है. रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1951 के मुताबिक, जब तक सारे फेज की वोटिंग खत्म नहीं हो जाती, तब तक एग्जिट पोल नहीं दिखाए जा सकते. आखिरी चरण की वोटिंग खत्म होने के आधे घंटे बाद एग्जिट पोल के नतीजे दिखाए जा सकते हैं. कानून के तहत अगर कोई भी चुनाव प्रक्रिया के दौरान एग्जिट पोल या चुनाव से जुड़ा कोई भी सर्वे दिखाता है या चुनाव की गाइडलाइंस का उल्लंघन करता है तो उसे 2 साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है.
भारत में कब एग्जिट पोल हुआ था गलत साबित
इसबार एग्जिट पोल कितना सही साबित होता है यह तो आने वाले 3 दिसंबर और 4 दिसंबर को ही पता चल पाएगा, क्योंकि 3 दिसंबर को मतगणना होनी है. अब देखना है कि पांचों राज्यों में किसकी सरकार बनती है और किसे कितनी सीटें और कितना वोट प्रतिशत मिलता है? बता दें कि भारत में 2004 के लोकसभा चुनाव, 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव, बिहार में 2015 का चुनाव, 2021 में पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल गलत साबित हुआ था.
यहां कराया गया था दुनिया का सबसे पहला एग्जिट पोल
दुनिया का सबसे पहला एग्जिट पोल अमेरिका में कराया गया था. यह 1936 में हुआ था. जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन ने न्यूयॉर्क में एक चुनावी सर्वेक्षण किया था. इसमें वोट डालकर आने वाले लोगों से पूछा गया था कि उन्होंने राष्ट्रपति पद के किसे वोट दिया है. ज्यादातर लोगों ने कहा कि फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट चुनाव जीतेंगे और जब परिणाम आए तो बिल्कुल ऐसा ही हुआ. रूजवेल्ट चुनाव जीत गए। इसके बाद ब्रिटेन में पहला एग्जिट पोल 1937 में कराया गया था. फ्रांस में पहला एग्जिट पोल 1938 में हुआ था. वहीं भारत में पहला एग्जिट पोल 1996 में हुआ था.