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Fog और Smog में क्या है अंतर, ये ठंड में ही क्यों बनते हैं, सेहत पर किसका पड़ता है हानिकारक प्रभाव, जानें Delhi-NCR के लोग किससे हैं परेशान?

Fog And Smog Difference: ठंड के दिनों में सुबह- सुबह जो आसमान में धुंध देखने को मिलती है वो फॉग होती है. जिसे हम आम बोलचाल में कोहरा भी कहते हैं. ये हमारी सेहत के लिए हानिकारक नहीं होता है. स्मॉग धुएं और प्रदूषण का मिश्रण होता है.

दिल्ली में एयर क्वालिटी काफी खराब दिल्ली में एयर क्वालिटी काफी खराब
हाइलाइट्स
  • स्मॉग धुएं और प्रदूषण का होता है मिश्रण 

  • ग्रे कलर का होता है स्मॉग 

Delhi-NCR Pollution: राजधानी दिल्ली और एनसीआर के लोग हवा में बढ़ते प्रदूषण से परेशान हैं. दिन में ही अंधेरे जैसी स्थिति हो जा रही है. लोग इस बात को लेकर कंफ्यूज हैं कि आखिर हवा में फैली यह चादर फॉग है या स्मॉग. आज हम आपको बताने जा रहे हैं फॉग और स्मॉग में क्या अंतर है और कौन सेहत के लिए हानिकारक है?

क्या होता है फॉग
ठंड के दिनों में सुबह- सुबह जो आसमान में धुंध देखने को मिलती है वो फॉग होती है. जिसे हम आम बोलचाल में कोहरा भी कहते हैं. ये हमारी सेहत के लिए हानिकारक नहीं होता है. इसकी वजह यह भी होती है क्योंकि फॉग पानी की बूंदों से बनता है. हवा के तापमान और ओस बिंदु के बीच का अंतर 2.5 डिग्री सेल्सियस से कम होने पर कोहरा बनता है. जब हवा में निलंबित किए गए छोटे तरल पानी की बूंदों में जल वाष्प संघनित होता है, तो कोहरा बनना शुरू हो जाता है. 

सर्दियों में पृथ्वी की सतह के पास की गर्म हवा में मौजूद जलवाष्प ऊपर मौजूद ठंडी हवा की परतों से मिलकर जम जाती है. इस प्रक्रिया को सघनन (कंडेन्शन) कहते है. जब हवा में बहुत ज्यादा कंडेन्शन हो जाता है तो यह भारी होकर पानी की नन्हीं-नन्हीं बूंदों में बदलने लगती है. आसपास की अधिक ठंडी हवा के सपर्क में आने पर इसका स्वरूप धुएं के बादल जैसा बन जाता है. इसी को मौसम वैज्ञानिक कोहरा बनना कहते हैं.

क्या है स्मॉग 
स्मॉग पूरी तरह के धुएं और प्रदूषण का मिश्रण होता है. इसमें सांस लेने से इंसान बीमार पड़ जाता है. इस वक्त दिल्ली- एनसीआर में जो धुंध का चादर छाई हुई है. वो प्रदूषण की वजह से है, इसलिए वो फॉग नहीं स्मॉग है. जब हवा में सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और बेंजीन जैसी हानिकारक गैसों की मात्रा अधिक होती है तो उसकी वजह से स्मॉग बनता है. स्मॉग शब्द का इस्तेमाल 20वीं सदी की शुरुआत से हो रहा है. यह शब्द अंग्रेजी के दो शब्दों स्मोक और फॉग से मिलकर बना है. 

कैसे बनता है स्मॉग
आमतौर पर जब ठंडी हवा किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर पहुंचती है तब स्मॉग बनता है. ठंडी हवा भारी होती है इसलिए वह रिहायशी इलाके की गर्म हवा के नीचे एक परत बना लेती है. तब ऐसा लगता है जैसे ठंडी हवा ने पूरे शहर को एक कंबल की तरह लपेट लिया है. स्मॉग बनने का दूसरा बड़ा कारण है प्रदूषण. आजकल हर बड़ा शहर वायु प्रदूषण से जूझ ही रहा है. 

कहीं उद्योग, धंधों और गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ तो कहीं चिमनियां, सब मिलकर हवा में बहुत सारा धुआं छोड़ रहे हैं. ये प्रदूषित गर्म हवा हमेशा ऊपर की ओर उठने की कोशिश करती है और थोड़ी ही देर में वह किसी ढक्कन की तरह हो जाती है जिससे कुछ ही समय में हवा की इन दोनों गर्म और ठंडी परतों के बीच हरकतें रुक जाती हैं. इसी खास उथल पुथल के कारण स्मॉग बनता है. यही कारण है कि गर्मियों के मुकाबले जाड़ों के मौसम में स्मॉग ज्यादा आसानी से बनता है.

पराली भी है एक वजह
पंजाब में हर साल इस समय एक करोड़ 80 लाख टन भूसा खेतों में जला दिया जाता है, लेकिन ये कानूनन जुर्म है. पंजाब सरकार ने इस तरह भूसा जलाने वाले किसानों के लिए सजा तय कर रखी है. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक हर साल किसानों को इसके लिए जागरूक किया जाता है लेकिन उसका खास असर नहीं होता. नासा की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में हर साल जलाई जाने वाली पराली की वजह से और हवा की गति में गिरावट से एयर लॉक के हालात हो जाते हैं. यानी इससे होने वाला प्रदूषण स्मॉग में बदल जाता है.

इस बार कौन सी वजहें बताई जा रहीं
इस बार दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग की वजह पराली जलाने से ज्यादा इस इलाके का अपने प्रदूषण उत्सर्जन है, जो निर्माण कार्यों से फैल रही जबरदस्त धूल, वाहनों के धुएं और चिमनियों के धुएं से ज्यादा पैदा हो रही है. दिल्ली-एनसीआर के लोग स्मॉग से परेशान हैं.

स्मॉग और फॉग के कलर में होता है अंतर
फॉग और स्मॉग में अंतर देखने से पता किया जा सकता है. दरअसल, स्मॉग की स्थिति में हवा में हल्का कालापन रहता है यानी स्मॉग ग्रे कलर का होता है. लेकिन, जब सिर्फ कोहरा रहता है तो आपको वातावरण में ग्रे कलर की नहीं बल्कि सफेद कलर की परत दिखाई देती है. फॉग के लिए कहा जाता है कि यह ज्यादा ऊंचाई तक नहीं होती है, जबकि स्मॉग हवा में तैरता रहता है और गैस चेंबर का काम करता है.

स्मॉग से बचने के लिए अपनाएं ये तरीके
1. यदि आप स्मॉग के एरिया में रह रहे हैं, तो सबसे जरूरी है कि आप मास्क पहन कर रखें और आंखों के लिए चश्मा जरूर पहनें. 
2. आंखों को धोते रहें और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से कोई कूलिंग आइड्रॉप प्रिस्क्राइब करवा लें.
3. स्मॉग के दौरान प्रदूषण का स्तर ज्यादा होने पर घर से बाहर व्यायाम करने से बचें. जब हवा खराब हो, तो वर्कआउट घर के अंदर ही करें.
4. अपने घर में एनर्जी का कम इस्तेमाल करें. ज्यादा बिजली और एनर्जी के अन्य स्रोतों का इस्तेमाल वायु प्रदूषण को बढ़ाता है.
5. एयर पॉल्युशन को कम करने के लिए निजी वाहन की वजह पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें. इसके अलावा पैदल चलकर या कारपूल को इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
6. ज्यादा समय तक बाहर रहने से बचें. खासकर सुबह और शाम के समय जब प्रदूषण अपने पीक पर हो, घर के अंदर ही रहें.
7. यदि आप बाहर जा रहे हैं, तो हाई क्वालिटी वाले मास्क जैसे N95 या N99 का इस्तेमाल करें, ताकि हानिकारक प्रदूषकों को फिल्टर करने में मदद मिले.
8. घर के खिड़की-दरवाजों बंद रखें, ताकि प्रदूषित हवा घर के अंदर न आ पाए. 

स्मॉग से होने वाले नुकसान
1. आंखों में जलन, खुजली और लालिमा.
2. सांस लेने में कठिनाई.
3. छाती में जकड़न.
4. खांसी.
5. अस्थमा.
6. दिल का दौरा पड़ने की संभावना.
7. स्ट्रोक.
8. फेफड़ों का कैंसर.
9. त्वचा संबंधी बीमारियां.
10. बालों का झड़ना.
11. नाक, कान, गला, फेफड़े में इंफेक्शन.