मुंबई पुलिस ने महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी और बारामती लोकसभा सीट से एनडीए की उम्मीदवार सुनेत्रा पवार को 25,000 करोड़ रुपये के महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक (MSCB) केस में क्लीन चिट दे दी है.
मुंबई पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंसिस विंग (EOW) ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में कहा है कि अजित पवार, सुनेत्रा पवार और उनके भतीजे रोहित पवार से जुड़े मामले में कोई अपराध नहीं हुआ. पुलिस की रिपोर्ट और इसके मतलब पर रोशनी डालने से पहले एक बार समझ लेते हैं कि मामला क्या है?
यह है मामला
ईओडब्ल्यू ने आरोप लगाया था कि पवार दंपत्ति सतारा में जारंदेश्वर शुगर सहकारी कारखाना नाम की चीनी की फैक्ट्री की बिक्री में शामिल थी. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ईडी (Enforcement Directorate) की जांच में दावा किया गया था कि यह फैक्ट्री गुरु कोमॉडिटी सर्विसेज को 2010 में 65 करोड़ रुपए में बेची गई थी. इस फैक्ट्री ने कई को-ऑपरेटिव बैंकों से कर्ज लिया हुआ था फिर भी इसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई थी.
ईडी का आरोप है कि फैक्ट्री को कर्ज देने वाले बैंकों में पुणे डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक का नाम भी शामिल है, जो 1995 में अजित पवार की अध्यक्षता में चल रहा था. जब यह फैक्ट्री किसी लायक न रही तो इसे 'कौड़ियों के भाव' पर अजित पवार के रिश्तेदारों को बेचा गया था.
जांच में यह भी आरोप लगाया गया कि फैक्ट्री खरीदने के लिए जारंदेश्वर शुगर मिल्स (जेएसएम) प्राइवेट लिमिटेड और जय एग्रोटेक ने खरीदार को पैसे दिए थे. अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा 2008 तक जय एग्रोटेक की निदेशक थीं और उनके चाचा राजेंद्र घाडगे जेएसएम के निदेशक थे. यह उस समय ईडी के दावे थे.
अब मुंबई पुलिस ने कहा है कि सुनेत्रा जय एग्रोटेक से जुड़ी हुई नहीं थीं. क्योंकि बतौर निदेशक उनका कार्यकाल एक अप्रैल 2004 से शुरू होकर 18 जुलाई 2008 को खत्म हुआ था. चीनी की फैक्ट्री की बिक्री के समय वह इस कंपनी से किसी भी तरह जुड़ी हुई नहीं थीं.
इसी तरह, ईओडब्ल्यू का दावा है कि रोहित पवार की मामले में कोई भूमिका नहीं बताई जा सकती. कुछ महीने पहले रोहित पवार को ईडी ने कई बार पूछताछ के लिए बुलाया था. कई समन के बाद, रोहित इस साल जनवरी में ईडी के सामने पेश हुए थे. फरवरी में रोहित पवार ने कहा था कि ईडी उनसे बार-बार एक ही तरह के सवाल पूछ रही है. उन्होंने तब कहा था, ''पूछताछ तभी बंद होगी जब मुझे जेल हो जाएगी."
ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट में क्या?
ईडी की रिपोर्ट ने इस मामले में जेएसएम, गुरु कोमॉडिटी और इस लेनदेन से जुड़े एक चार्टर्ड अकाउंटेंट को मामले में आरोपी बनाया है, हालांकि ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट कुछ और ही कहती है. ईओडब्ल्यू ने कहा कि फैक्ट्री की बिक्री औने-पौने दाम पर नहीं बल्कि रिजर्व प्राइस से 19 करोड़ रुपये ज्यादा में हुई.
रिपोर्ट में कहा गया, "बिक्री लेनदेन से दो साल पहले, अजित पवार के चाचा राजेंद्र घाडगे जारंदेश्वर शुगर मिल्स के निदेशक थे और उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार जय एग्रोटेक की निदेशक थीं. हालांकि चीनी कारखाने की बिक्री 2010 में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेशों और सरफेसी अधिनियम के अनुसार की गई थी."
ईओडब्ल्यू ने यह भी कहा कि बैंक को इस लेनदेन में कोई घाटा नहीं हुआ है. बैंक अब तक दिए गए कर्ज में से 1,343.41 करोड़ रुपए वसूल चुका है.
मामले में लगातार हुई है उलट-पलट
2020 के बाद से इस मामले में कई उलटफेर देखने को मिले हैं. 2020 में जब महा विकास अघाड़ी की सरकार सत्ता में थी तब ईओडब्ल्यू ने कहा था कि मामले में कोई अपराध नहीं हुआ था. अक्टूबर 2022 में बीजेपी-शिवसेना के सत्ता में आने के बाद एजेंसी ने कहा कि वह अपनी क्लोजर रिपोर्ट को किनारे रखकर जांच जारी रखना चाहती है. जनवरी 2024 में पवार के दोबारा उपमुख्यमंत्री बनने के महीनों बाद, ईओडब्ल्यू ने कहा कि कोई अपराध नहीं हुआ था.