scorecardresearch

Explainer: लड़कियों को समान हक, बहुविवाह पर बैन, जानिए Uttarakhand के Uniform Civil Code bill में क्या है खास

Uttarakhand's Uniform Civil Code Bill: उत्तराखंड कैबिनेट ने रविवार को 5 फरवरी से शुरू होने वाले चार दिवसीय सदन सत्र के दौरान राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक को पेश करने की मंजूरी दे दी है.

Uttarakhand Cabinet clears Uniform Civil Code bill draft Uttarakhand Cabinet clears Uniform Civil Code bill draft

उत्तराखंड विधानसभा सत्र 5 से 8 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा और इस सत्र में पुष्कर सिंह धामी सरकार समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक सदन में पेश करेगी. इस पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, "यह राज्य विधानसभा का एक विशेष सत्र है जो विशेष रूप से यूसीसी पर एक विधेयक पारित करने के लिए बुलाया गया है." 

आपको बता दें कि उत्तराखंड कैबिनेट ने उच्च स्तरीय सरकार द्वारा नियुक्त समिति की सिफारिशों के बाद, रविवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी. नागरिक कानूनों में एकरूपता स्थापित करने के उद्देश्य से यह रिपोर्ट 6 फरवरी (मंगलवार) को उत्तराखंड विधानसभा में पेश की जाएगी. 

क्या है Uniform Civil Code Bill
UCC Bill कुछ कानूनों का एक सामान्य समूह है जिसके अंतर्गत सभी धर्मों और जनजातियों के लोगों के लिए विवाह, तलाक, विरासत और रखरखाव जैसे मुद्दों से जुड़े कानून एक समान होंगे. इस विधेयक के आने से अलग-अलग धर्म या जाति-जानजाति के प्रथागत कानूनों की मान्यता नहीं रहेगी. उदाहरण के लिए, मुस्लिम समुदाय के प्रथागत कानूनों के हिसाब से बहुविवाह मान्य है लेकिन UCC लागू होने के बाद मुस्लिम वर्ग के लिए भी बहुविवाह पर रोक लग जाएगी.  

आपको बता दें कि संविधान में यह राज्य के गैर-न्यायसंगत नीति निर्देशक सिद्धांतों का हिस्सा है. फरवरी 2022 में राज्य विधानसभा चुनावों से पहले, मुख्यमंत्री धामी ने घोषणा की थी कि सत्ता में आने पर यूसीसी को लागू करना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार का पहला निर्णय होगा. लेकिन यूसीसी की दशकों पुरानी मांग भारत के समुदाय विशेष या प्रथागत कानूनों के सिस्टम से जुड़ी है. यूसीसी, सैद्धांतिक रूप से, सभी समुदायों के लिए विवाह, तलाक, विरासत, वित्तीय मुआवजे और गोद लेने के लिए समान नियमों को लागू करेगा, लेकिन कई कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों को डर है कि यह आदिवासियों जैसे विशेष समुदायों के रीति-रिवाजों और परंपराओं को खत्म कर सकता है. 

आज हम आपको बता रहे हैं कि समान नागरिक संहिता विधेयक की कुछ प्रमुख विशेषताओं के बारे में, जो उन प्रावधानों पर प्रकाश डालती हैं जिनका उद्देश्य नागरिक कानूनों के विभिन्न पहलुओं में समानता और स्थिरता लाना है

UCC Bill की कुछ प्रमुख विशेषताएं:

बेटे और बेटी के लिए समान संपत्ति का अधिकार: उत्तराखंड सरकार का समान नागरिक संहिता विधेयक, बेटे और बेटी दोनों के लिए संपत्ति में समान अधिकार सुनिश्चित करता है, चाहे उनकी श्रेणी या केटेगरी कुछ भी हो.

जायज (Legitimate) और नाजायज (Illegitimate) बच्चों के बीच अंतर को खत्म करना: विधेयक का उद्देश्य संपत्ति के अधिकार के संबंध में जायज और नाजायज बच्चों के बीच के अंतर को खत्म करना है. सभी बच्चों को जोड़े की बायोलॉजिकल संतान के रूप में पहचाना जाता है. 

गोद लिए गए और बायोलॉजिकल रूप से जन्मे बच्चों के बीच समानता: समान नागरिक संहिता विधेयक गोद लिए गए, सरोगेसी के माध्यम से पैदा हुए या किसी सहायक प्रजनन तकनीक के माध्यम से पैदा हुए बच्चों को दूसरे बायोलॉजिकल बच्चों के साथ समान स्तर पर मानता है. 

मृत्यु के बाद समान संपत्ति का अधिकार: किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद, विधेयक पति/पत्नी और बच्चों को समान संपत्ति का अधिकार देता है. इसके अतिरिक्त, मृत व्यक्ति के माता-पिता को भी समान अधिकार मिलते हैं. यह पिछले कानूनों से अलग है, जहां सिर्फ मां को मृतक की संपत्ति पर अधिकार मिलता था.

यूसीसी के अन्य उद्देश्य
विधेयक का प्राथमिक उद्देश्य एक कानूनी संरचना स्थापित करना है जो राज्य के सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत से जुड़े कानूनों में स्थिरता सुनिश्चित करता है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो. इसका मतलब है कि सभी नागरिकों के पास समान अधिकार होंगे फिर चाहे उनका धर्म या जाति कोई भी हो. 

रिपोर्टों के अनुसार, विधेयक का ड्राफ्ट तैयार करने वाली समिति की अन्य प्रमुख सिफारिशों में बहुविवाह (पॉलीगैमी) और बाल विवाह पर पूर्ण प्रतिबंध, सभी धर्मों में लड़कियों के लिए एक समान विवाह योग्य आयु और तलाक के लिए समान आधार और प्रक्रियाओं को लागू करना शामिल है.

ड्राफ्ट को मिली मंजूरी
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मसौदा पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में देहरादून में उनके आधिकारिक आवास पर एक विशेष कैबिनेट बैठक के दौरान पास किया गया. विधेयक पर कानून पारित करने और इसे अधिनियम बनाने के लिए विशेष रूप से उत्तराखंड विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाया गया है.

बैठक के बाद समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "आज कैबिनेट बैठक के दौरान समान नागरिक संहिता रिपोर्ट को मंजूरी दे दी गई. हम इसे कानून बनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे."