भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राज्यसभा (Rajya Sabha) और लोकसभा (Lok Sabha) के अपने सभी सांसदों (MP) के लिए व्हिप (Whip) जारी किया है. भारत के संविधान पर निर्धारित बहस के दौरान राज्यसभा में और वन नेशन वन इलेक्शन बिल के पास होने के लिए लोकसभा में उपस्थित रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया है. आइए जानते हैं आखिर व्हिप क्या होता है और इसे नहीं मानने पर क्या होता है?
लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन से जुड़ा विधेयक होगा पेश
अभी संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. मोदी सरकार (Modi Government) इसी सत्र में 'एक देश एक चुनाव' या फिर 'वन नेशन वन इलेक्शन' बिल पास कराना चाह रही है. 17 दिसंबर 2024 को निचले सदन यानी लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन से जुड़ा विधेयक पेश किए जाने की उम्मीद है. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल इस विधेयक को पेश करेंगे.
आपको मालूम हो कि वन नेशन वन इलेक्शन मोदी सरकार के सबसे अहम चुनावी वादों में से एक है. संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर 2024 को खत्म हो रहा है. ऐसे में सरकार वन नेशन वन इलेक्शन से जुड़े इस बिल को हर हाल में पास कराना चाह रही है. इसके लिए अपने सभी सांसदों को मंगलवार लोकसभा में उपस्थित रहने के आग्रह किया है. राज्य सभा में 17 दिसंबर को भी भारत के संविधान पर बहस होगी. इस दौरान उच्च सदन में भी बीजेपी के सभी सांसद मौजूद रहेंगे.
क्या होता है व्हिप
Whip एक इंग्लिश शब्द है. व्हिप किसी ऐसे चाबुक को कहते हैं, जिससे मनुष्य या जानवरों को मारकर उन्हें काबू में रखा जा सके. हालांकि पॉलिटिक्स में व्हिप का उपयोग अनुशासन कायम रखने के लिए किया जाता है. व्हिप शब्द पार्टी लाइन का पालन करने के लिए ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली से निकलकर आया है. मोटे तौर पर इसका मतलब सचेतक या मार्ग दिखाने वाला होता है. व्हिप का काम पार्टी में अनुशासन को बनाए रखना है. यह एक प्रकार से लिखित आदेश होता है.
किसी पार्टी की ओर से व्हिप जारी करने के मतलब है कि उस दल से जुड़े सभी सदस्यों को संसद में मौजूद रहना है. व्हिप जारी होते ही पार्टी के सदस्य इससे बंध जाते हैं. उन्हें इसे मानना ही होता है. हर पार्टी इसके लिए एक सदस्य को नियुक्त करती है, जो चीफ व्हिप कहलाता है. जब सदन में फ्लोर टेस्ट की स्थिति बनती है तो पार्टी व्हिप जारी करती है. व्हिप जारी करने का उद्देश्य विधायकों या सांसदों को क्रॉस वोटिंग करने से रोकना होता है. व्हिप जारी करने का मकसद अपने सदस्यों को एकजुट करना होता है. व्हिप के जरिए पार्टी सदस्यों को एक गाइडलाइन मिलती है.
कौन जारी कर सकता है व्हिप
हमारे देश की सभी पार्टियां अपने दल से जुड़े सदस्यों के लिए व्हिप जारी कर सकती हैं. कई भी राजनीतिक पार्टी व्हिप जारी करने के लिए अपने सदन के सदस्यों में से एक वरिष्ठ सदस्य को मुख्य सचेतक यानी मुख्य व्हिप बनाती हैं. मुख्य सचेतक का काम पार्टी में अनुशासन सुनिश्चित करना होता है. मुख्य सचेतक के पास यह अधिकार होता है कि वह पार्टी नेता को अपनी व्यक्तिगत विचारधारा के बदले पार्टी के नियमों या विचारधारा पालन करने के लिए निर्देश जारी कर सकता है. मुख्य सचेतक अपने पार्टी के लोगों को मौके पर व्हिप जारी करता है.
तीन प्रकार के होते हैं व्हिप
1. एक लाइन का व्हिप: इसमें एक लाइन में रेखांकित दिशानिर्देश होता है. इसका इस्तेमाल अपनी पार्टी के सदस्यों को मतदान करने के लिए जानकारी देने के लिए किया जाता है. इसमें बताया जाता है कि उन्हें वोटिंग में क्या करना है. एक लाइन के व्हिप में सदस्यों के पास इसे पालन करने या न करने का अधिकार होता है.
2. दो लाइन का व्हिप: इसमें पार्ट के सभी सदस्यों को वोटिंग के समय सदन में मौजूद होने का निर्देश दिया जाता है. इसका पालन करना सदस्यों के लिए अनिवार्य होता है.
3. तीन लाइन का व्हिप: इसे आमतौर पर सदन में अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति में या किसी महत्वपूर्ण परिस्थिति में ही जारी किया जाता है. इसे सबसे महत्वपूर्ण व्हिप माना जाता है. इसमें सदस्यों से सदन में मौजूद रहने और पार्टी लाइन का पालन करने का निर्देश होता है. इसका पालन नहीं करने पर सदस्यों के खिलाफ दल बदल रोधी कानून लागू हो सकता है और उनकी सदस्यता जा सकती है. हालिया व्हिप तीन लाइन का है, जिसे बीजेपी ने अपने सांसदों को जारी किया है.
क्या हो सकता है व्हिप के उल्लंघन पर
किसी पार्टी की ओर से व्हिप जारी होने के बाद जब कोई सदस्य इसका पालन नहीं करता है तो उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है. दलबदल-रोधी कानून के तहत उस सांसद को अयोग्य घोषित किया जा सकता है. यदि किसी पार्टी के एक तिहाई सदस्य व्हिप को तोड़ पार्टी लाइन के खिलाफ वोट करते हैं तो इसे मान लिया जाता है कि वे पार्टी से टूटकर नई पार्टी बना चुके हैं.
...तो एक साथ कराए जाएंगे चुनाव
वन नेशन वन इलेक्शन बिल (One Nation One Election Bill) के पास होने पर पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव कराए जाएंगे. केंद्र सरकार का कहना है कि वन नेशन वन इलेक्शन का कदम लागत प्रभावी और शासन-अनुकूल होगा और यह समय की जरूरत है. उधर, अधिकांश विपक्षी दलों ने एक राष्ट्र, एक चुनाव को लागू करने को लेकर चिंता चिंता व्यक्त की है. विपक्षी दलों का मानना है कि ये नियम देश के संघीय ढांचे को बाधित कर सकता है, क्षेत्रीय दलों को कमजोर कर सकता है और केंद्र में सत्ता केंद्रित कर सकता है.