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Mathura Krishna Janmabhoomi Case: क्या है मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह विवाद जिस पर आज फिर होनी है सुनवाई...जानिए क्यों नहीं सुलझ पा रहा 55 साल पुराना मामला

श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर शाही ईदगाह के अवैध कब्जे के मामले में आज मथुरा हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है.12 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ समझौता किया था.

Krishna Janmabhoomi-Sahi Idgah Krishna Janmabhoomi-Sahi Idgah

काफी समय से श्री कृष्ण जन्मस्थान (Krishna Janmabhoomi Case)और शाही ईदगाह की विवादित जमीन को लेकर विवाद चल रहा है. इस मामले में आज सुनवाई होनी है. इससे पहले सुनवाई 24 दिसंबर को होनी थी लेकिन जिला जज की मौजूदगी ना होने के कारण सुनवाई को टाल दिया गया था. श्रीकृष्ण की जन्मभूमी, मथुरा से कृष्ण प्रेमियों का गहरा लगाव है. कहा जाता है कि इस जगह पर कारागार में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, जहां बाद में मंदिर बनवाया गया. इसी तरह कृष्ण जन्मभूमि का इतिहास भी हजारों साल पुराना है. श्रीकृष्ण जन्म स्थान मंदिर वही जगह है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने क्रूर राजा कंस की जेल में खुद को प्रकट किया था. इसके बाद अपने पिता वासुदेव और मां देवकी को मुक्त कराया था.

क्या है विवाद की वजह?
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद काफी पुराना है. विवाद 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा हुआ है. 12 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ समझौता किया था. इस समझौते में 13.7 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों बनने की बात हुई थी. बता दें कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है और 2.5 एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. हिंदू पक्ष का कहना है कि शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्जा करके बनाया गया है. इस जमीन उनका दावा है. हिंदू पक्ष की ओर से ही शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और इस जमीन को भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान को देने की मांग की गई है.  

क्या है मांग?
याचिकाकर्ता वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने अपनी अपील में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद ईदगाह हटाने की मांग की है. इस मामले में पहले सुनवाई योग्य बिंदुओं पर सिविल जज सीनियर डिविजन द्वारा सुनवाई की जा चुकी है. इस मामले में 8 दिसंबर को हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता व दिल्ली निवासी उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने कोर्ट में दावा किया था कि ईदगाह का निर्माण मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने भगवान कृष्ण की 13.37 एकड़ जमीन पर बने मंदिर को तोड़कर करवाया था. याचिका में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ बनाम शाही मस्जिद ईदगाह के बीच वर्ष 1968 में हुए समझौते को भी चुनौती दी गई है. सिविल जज सीनियर डिवीजन तृतीय सोनिका वर्मा की अदालत ने सभी प्रतिवादियों को नोटिस दिया. 

बता दें कि मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद 1991 के पूजा स्थल अधिनियम के दायरे में आती है. कानून के अनुसार, "किसी भी पूजा स्थल के रूपांतरण पर रोक लगाने और किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को बनाए रखने के लिए प्रदान करने के लिए एक अधिनियम, जैसा कि अगस्त 1947 के 15 वें दिन मौजूद था, और उससे जुड़े या प्रासंगिक मामलों के लिए."इस मामले में अब तक 13 मुकदमे विभिन्न अदालतों में दाखिल हुए थे, जिनमें दो मुकदमे खारिज भी हो चुके हैं. 

जमा करनी है सर्वे रिपोर्ट
मथुरा के सीनियर डिवीजन जज ने कृष्ण जन्मस्थान के पास की विवादित भूमि के अमीन निरीक्षण कराने का आदेश दिया है. सर्वे 2 जनवरी को शुरू हो चुका है. शाही ईदगाह के अमीन की रिपोर्ट में 13.3 एकड़ जमीन का सर्वे और नक्शे का पूरा ब्यौरा शामिल है. ये रिपोर्ट अमीन को 20 जनवरी से पहले अदालत को सौंपनी है.