scorecardresearch

अभ्यास मिलन 2022: 46 देशों के मेगा नौसैनिक युद्ध खेलों की मेजबानी करेगा भारत, जानें इससे जुड़ी हर बात

मिलन अभियास (Milan Exercise )भारतीय नौसेना(Indian Navy)द्वारा आयोजित एक बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास है. द्विवार्षिक कार्यक्रम में भाग लेने वाले देशों के बीच पेशेवर अभ्यास और सेमिनार, सामाजिक कार्यक्रम और खेलकूद के कार्यक्रम शामिल हैं.

'मिलन' अभ्यास 'मिलन' अभ्यास
हाइलाइट्स
  • 1995 में शुरू किया गया था मिलन अभ्यास

  • इस बार कुल 46 मित्र देश लेंगे हिस्सा

भारतीय नौसेना (Indian Navy)अब तक के सबसे बड़े बहुपक्षीय 'मिलन' अभ्यास के लिए तैयार हो रही है, जिसे 25 फरवरी, 2022 से निर्धारित किया गया है. विशाखापत्तनम (Visakhapatnam)में बहुराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास मिलन (Milan) में भाग लेने के लिए कुल 46 मित्र देशों को आमंत्रित किया है. यह सबसे जटिल नौसैनिक अभ्यास (Naval Exercises)में से एक माना जाता है.  यह अभ्यास 1995 में शुरू किया गया था. यह एक द्वि-वार्षिक अभ्यास है.  

इस अभ्यास के लिए निमंत्रण भेजे गए देशों में रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, इजराइल, ईरान, फ्रांस, जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, बांग्लादेश, ब्राजील, संयुक्त अरब अमीरात, अन्य शामिल हैं. अभ्यास मिलान के इस 11 वें संस्करण का विषय सौहार्द, सामंजस्य और सहयोग है. इस बार QUAD (जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया) के सदस्य देशों के अलावा, AUKUS (यूके, ऑस्ट्रेलिया और यूएस) के सदस्य देश भी इस अभ्यास में भाग लेने जा रहे हैं. 

क्या है मिलन अभ्यास ?

मिलन अभियास भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित एक बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास है. द्विवार्षिक कार्यक्रम में भाग लेने वाले देशों के बीच पेशेवर अभ्यास और सेमिनार, सामाजिक कार्यक्रम और खेलकूद के कार्यक्रम शामिल हैं. मिलन पहली बार 1995 में आयोजित किया गया था. भारतीय नौसेना के अलावा, इंडोनेशिया, सिंगापुर, श्रीलंका और थाईलैंड की नौसेनाओं ने उद्घाटन संस्करण में भाग लिया. 

भारत के  लिए क्यों अहम मिलन अभ्यास ?

यह आयोजन उपमहाद्वीप के समुद्र तटों में भारत की समुद्री श्रेष्ठता को दिखाने और उसकी समुद्री सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. चीन की बढ़ती नौसैनिक ताकत और हिंद महासागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति के मद्देनजर चीन की घेराबंदी के लिए यह जरूरी है. विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन का नौसैनिक विस्तार भारत के लिए चुनौतियां पैदा करता है इसलिए भारत के लिए ऐसे अभ्यासों की बहुत जरूरत है.

  1. हिंद महासागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति के मद्देनजर चीन की घेराबंदी के लिए यह जरूरी है. 
  2. इसके साथ ही इस अभ्यास से भारत को दूसरे देशो के साथ संबंध मजबूत करने का मौका मिलता है. 
  3. उपमहाद्वीप के समुद्र तटों में भारत की समुद्री श्रेष्ठता को दिखाने और समुद्री सुरक्षा के लिए जरूरी. 
  4. इससे भाग लेने वाले देशों की नौसेनाओं के बीच समुद्री सहयोग बढ़ाने का रास्ता खुलेगा. 
  5. इस दौरान समुद्र में एक साथ परिचालन करने से सामाजिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान सभी के लिए लाभकारी माना जाता है. 

ये भी पढ़ें: