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दिल्ली में तेजिंदर बग्गा के खिलाफ पंजाब पुलिस के एक्शन पर बवाल, जानिए दूसरे राज्य में गिरफ्तारी पर क्या कहता है कानून

दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता तेजिंदर बग्गा की गिरफ्तारी को लेकर हंगामा मचा है. गिरफ्तारी में नियमों की अनदेखी को लेकर सवाल उठ रहे हैं. पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं, जब दूसरे राज्य में बिना लोकल पुलिस को जानकारी दिए बिना गिरफ्तारी की गई है और उसपर बवाल हुआ है. कानून भी मानता है कि दूसरे राज्य में गिरफ्तारी के लिए लोकल पुलिस को जानकारी देना जरूरी है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
हाइलाइट्स
  • दूसरे राज्य में गिरफ्तारी पर सामान्यत: लोकल पुलिस को जानकारी देना जरूरी

  • बिना सूचना के गिरफ्तारी पर ट्रांजिट रिमांड की व्यवस्था

दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता तेजिंदर पाल बग्गा की गिरफ्तारी का मामला दिल्ली पुलिस, हरियाणा पुलिस और पंजाब पुलिस में उलझ गया है. पंजाब पुलिस ने बग्गा को दिल्ली से गिरफ्तार किया और पंजाब ले जाने लगी. इस बीच हरियाणा पुलिस ने कुरुक्षेत्र में पंजाब पुलिस को रोक लिया. हरियाणा पुलिस का कहना है कि दिल्ली पुलिस ने बग्गा की किडनैपिंग की जानकारी दी थी. इसके बाद कार्रवाई की गई है. तेजिंदर की गिरफ्तारी पर तीन राज्यों की पुलिस में आंख मिचौली हो रही है. कोई गिरफ्तारी को सही ठहरा रहा है तो कोई इसे किडनैपिंग बता रहा है. चलिए हम आपको बताते हैं कि दूसरे राज्य में किसी अभ‍ियुक्त की गिरफ्तारी को लेकर कानून क्या कहता है...

दूसरे राज्य में हो सकती है गिरफ्तारी-
किसी राज्य की पुलिस अगर दूसरे राज्य में गिरफ्तारी के लिए जाती है. तो सामान्य तौर पर स्थानीय पुलिस को इसकी जानकारी देना जरूरी होता है. अगर कानून व्यवस्था बिगड़ने का खतरा हो तो गिरफ्तारी में दूसरे राज्य की पुलिस स्थानीय पुलिस की मदद ले सकती है. 

ट्रांजिट रिमांड की व्यवस्था-
अगर दूसरे राज्य की पुलिस को स्थानीय पुलिस पर भरोसा ना हो. लोकल पुलिस को जानकारी देने से सूचना लीक होने का डर हो तो पुलिस बिना लोकल पुलिस की जानकारी के आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है. लेकिन संबंधित क्षेत्र के कोर्ट में आरोपी को सक्षम मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है और ट्रांजिट रिमांड लेना पड़ता है. ट्रांजिट रिमांड के जरिए दूसरे राज्य की पुलिस आरोपी को अपने राज्य ले जा सकती है.

अगर कानूनी प्रक्रिया ना अपनाई जाए तो-
अगर दूसरे राज्य की पुलिस गिरफ्तारी के लिए कानून प्रक्रिया का पालन नहीं करती है तो लोकल पुलिस उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. लोकल पुलिस किडनैपिंग का मामला दर्ज कर सकती है, जैसा कि तेजिंदर बग्गा के मामले में हुआ है.

दूसरे राज्य में गिरफ्तारी पर कब-कब हंगामा-
साल 2006 में झारखंड में बिहार पुलिस ने एक गिरफ्तारी की थी. जिसको लेकर खूब बवाल मचा था. दरअसल शेखपुरा में सांसद राजो सिंह की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में पिंटू महतो और पप्पू महतो को आरोपी बनाया गया था. दोनों झारखंड के देवघर में छिपे थे. बिहार पुलिस ने झारखंड पुलिस को बिना जानकारी दिए दोनों को गिरफ्तार कर लिया और बिना ट्रांजिट रिमांड के दोनों को बिहार ले जा रही थी. इसको लेकर झारखंड पुलिस ने बिहार पुलिस पर दबाव बनाया और बिहार पुलिस को दोनों आरोपियों को वापस ले जाना पड़ा.

एक मामला यूपी के नोएडा में सामने आया था, जब 2017 में हुए धोखाधड़ी के एक मामले में सूरजपुर कोतवाली के दो दारोगा समेत तीन पुलिसवाले को सस्पेंड कर दिया गया था. इन पुलिसवालों ने बिना सीनियर अफसरों को जानकारी दिए बगैर चंडीगढ़ से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था. साल 2021 में दिल्ली में एक मामला सामने आया था, जब यूपी पुलिस ने बिना लोकल पुलिस की जानकारी के प्रेम विवाह के मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया था. इसको लेकर दिल्ली पुलिस हाईकोर्ट पहुंच गई. कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी की थी कि ये सामान्य कानून है कि बिना लोकल पुलिस को बताए दूसरे राज्य की पुलिस गिरफ्तारी नहीं कर सकती है और अपने साथ नहीं ले जा सकती है.

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