छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को कहा कि सलवा जुडूम के दौरान बस्तर छोड़कर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जाकर बस लोगों के लिए राज्य में पुनर्वास के प्रयास किए जाएंगे. इसका मतलब है कि दूसरे राज्यों में पलायन करके गए लोगों को राज्य में फिर से बसाने के लिए सरकार काम करेगी.
जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी एक बयान में संकेत दिया गया है कि छत्तीसगढ़ के सीएम ने सलवा जुडूम के समय सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा जिलों से पड़ोसी राज्यों में चले गए लोगों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ चर्चा के दौरान यह घोषणा की.
क्या है सलवा जुडूम
सलवा जुडूम का अर्थ है 'शान्ति यात्रा या सफाई रैली.' यह एक आन्दोलन है जो भारत के मध्यवर्ती राज्य छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा के खिलाफ सरकार द्वारा चलाया गया था. यह एक शांति मिशन माना जाता था और जून 2005 में एक पूर्व कम्युनिस्ट से कांग्रेस नेता बने महेंद्र कर्मा ने इसे शुरू किया था.
बाद में, सलवा जुडूम आदिवासियों और माओवादियों के बीच बड़े पैमाने पर लड़ाई हुईं और इस क्षेत्र में अनगिनत लोगों की जान गई और विस्थापन हुआ. बस्तर क्षेत्र में काम करने वाले कुछ कार्यकर्ताओं के अनुसार, जुडूम के दौरान लगभग 55,000 आदिवासी तत्कालीन आंध्र प्रदेश में चले गए थे. 5 जुलाई 2011 को, सुप्रीम कोर्ट ने इस मिलिशिया को अवैध और असंवैधानिक घोषित करके इसे भंग करने का आदेश दिया.
फिर से अपने घर लौटेंगे आदिवासी
बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार बस्तर क्षेत्र में विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए एक कार्य योजना तैयार करेगी. सीएम के साथ बैठक के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने अन्य राज्यों से लौटने वाले लोगों के पुनर्वास के लिए उपयुक्त स्थान और उन्हें कृषि के लिए जमीन उपलब्ध कराने का भी अनुरोध किया है.
प्रेस रीलीज़ के मुताबिक, उनके अनुरोध के जवाब में सीएम ने कहा है कि राज्य सरकार राज्य में वापस आने वाले लोगों को जमीन के साथ-साथ राशन की दुकान, स्कूल, रोजगार सहित सभी प्रकार की बुनियादी सुविधाएं प्रदान करेगी. हालांकि लोगों का मानना है कि सरकार ने पुनर्वास की घोषणा करके अच्छा कदम लिया है लेकिन हर कोई बस्तर लौटने को इच्छुक नहीं है.