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SCO Summit: क्या है Shanghai Cooperation Organisation? क्यों है भारत के लिए खास, क्या है इस मीटिंग का एजेंडा, जानिए सबकुछ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में पहुंच चुके हैं. पीएम मोदी 24 घंटे उज्बेकिस्तान में रहेंगे. समरकंद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, उज़्बेक राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव और अन्य नेता भी इसमें शामिल होंगे.

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हाइलाइट्स
  • यूक्रेन पर रूसी आक्रमण पर हो सकती है चर्चा

  • एक मंच पर मौजूद होंगे तीन शक्तिशाली नेता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) 15 और 16 सितंबर को होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. आज से उज्बेकिस्तान में एससीओ की बैठक शुरू हो रही है. इसमें शामिल होने के लिए पीएम मोदी 9 बजकर 46 मिनट पर समरकंद पहुंच गए हैं. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ भी इस मीटिंग का हिस्सा होंगे.

आज इस बैठक का सबसे अहम दिन है. मीटिंग से जुड़ी सारी डिटेल्स अभी तक सामने नहीं आई हैं और मुलाकात और बातचीत को लेकर बहुत ज्यादा सस्पेंस  बना हुआ है. बैठक के बाद कई सारे डॉक्यूमेंट्स भी साइन किए जाएंगे. पिछली बार, किर्गिस्तान (Kyrgyzstan)के बिश्केक (Bishkek) में इन-पर्सन समिट आयोजित की गई थी. एससीओ शिखर सम्मेलन हर साल एक बार आयोजित किया जाता है.

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ईरानी राष्ट्रपति अब्राहिम रायसी जैसे राजनीतिक नेताओं जैसे कुछ नेताओं के इसमें शामिल होने की उम्मीद है. इस साल के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कुल मिलाकर 15 नेताओं को आमंत्रित किया गया है.

शंघाई सहयोग संगठन (SCO)क्या है?
शंघाई सहयोग संगठन एक अंतर सरकारी संगठन (intergovernmental organisation) है जो राजनीति, अर्थशास्त्र, विकास और सेना के मुद्दों पर केंद्रित है. इसकी शुरुआत 1996 में चीन, रूस, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान के नेताओं द्वारा 'शंघाई फाइव' के रूप में हुई थी. वर्तमान में, संगठन के आठ सदस्य देश हैं जिसमें भारत, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान सहित चार पर्यवेक्षक राज्य और छह संवाद भागीदार हैं.
 
क्या है काम?
साल 2001 में संगठन का नाम बदलकर एससीओ कर दिया गया. इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना, सीमा मुद्दों को हल करना, आतंकवाद और धार्मिक अतिवाद का समाधान करना और क्षेत्रीय विकास को बढ़ाना है.

भारत के लिए क्यों है महत्वपूर्ण
इसमें भारत की उपस्थिति महत्वपूर्ण होगी क्योंकि शिखर सम्मेलन के अंत में देश राष्ट्रपति पद ग्रहण करेंगे इसलिए, सितंबर 2023 तक एक वर्ष के लिए, भारत संगठन की अध्यक्षता करेगा. अपने रोटेशनल प्रेसीडेंसी के हिस्से के रूप में, भारत 2023 शिखर सम्मेलन की भी मेजबानी करेगा.

आमतौर पर, एससीओ को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के पूर्वी समकक्ष के रूप में देखा जाता है. एससीओ का एक उद्देश्य मध्य एशिया में अमेरिकी प्रभाव का मुकाबला करना है. इसलिए, चूंकि भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी (चीन के बाद) आबादी है तो ऐसे में दोनों देशों की उपस्थिति संगठन को सबसे बड़ा जनसंख्या कवरेज देती है. शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी से प्रधानमंत्री को विभिन्न सुरक्षा और सहयोग के मुद्दों पर विश्व नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने का अवसर मिल सकता है.

क्या होगा एजेंडा?
कथित तौर पर, इसके प्रभावों के साथ यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से उभरने वाले भू-राजनीतिक संकट पर शिखर सम्मेलन के दौरान चर्चा होने की संभावना है. इसके अलावा तालिबान शासित अफगानिस्तान की स्थिति भी चिंता का विषय होगी क्योंकि एससीओ के कई प्रतिभागी देश के पड़ोसी हैं.

प्रधानमंत्रियों और अन्य राष्ट्राध्यक्षों के बीच निर्धारित द्विपक्षीय बैठकों पर कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है. हालांकि, शिखर सम्मेलन के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग के बीच एक बैठक (यदि ऐसा होता है) को करीब से देखा जाएगा क्योंकि दोनों देश मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य लड़ाई में आमने-सामने थे. कई समाचार रिपोर्टों के अनुसार प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन और अब्राहिम रायसी से भी मिल सकते हैं. ताशकंद से 300 किलोमीटर दूर स्थित समरकंद पिछले छह महीने से शिखर सम्मेलन की तैयारियों के लिए कमर कस रहा है.