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Tangail Airdrop Operation: 52 विमानों से उतरे थे करीब 700 पैराट्रूपर्स... क्या था भारतीय सेना का तंगैल एयरड्रॉप, जिसे Republic Day Parade में दोहराया जाएगा

Republic Day: साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के दौरान 11 दिसंबर को बांग्लादेश के तंगैल में भारतीय सेना ने 52 विमानों से 700 पैराट्रूपर्स को एयरड्रॉप किया था. इस ऑपरेशन को तंगैल एयरड्रॉप नाम दिया गया. इसके बाद भारतीय जवानों ने पाकिस्तानी सैनिकों पर हमला किया था. जिसके बाद पाकिस्तानियों को भागना पड़ा था.

Tangail Formation Tangail Formation

रिपब्लिक डे परेड में इस बार कुछ खास दिखाई देगा. इस बार परेड में एयफोर्स के विमान तंगैल फॉर्मेशन में उड़ान भरेंगे. इस फॉर्मेशन में उस सफल एयरड्रॉप को दोहराया जाएगा, जिसमें साल 1971 में एयरफोर्स ने जवानों को पैराशूट से उतारा था. आपको बता दें कि भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान दुश्मन देश के भीतर भारतीय सुरक्षा बलों की यह पहली एयरड्रॉप थी.

इस फ्लाईपास्ट के दौरान एयरफोर्स का हेरिटेज विमान डाकोटा और दो डॉर्नियर-228 विमान उड़ान भरेंगे. ये विमान एविएशन टर्बाइन फ्यूल और बायोफ्यूल के मिश्रण का इस्तेमाल करके उड़ान भरेंगे.

क्या था तंगैल एयरड्रॉप-
साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया था. बांग्लादेश को लेकर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने थीं. इस युद्ध में बांग्लादेश के तंगैल इलाके में इंडियन आर्मी ने एक खास ऑपरेशन चलाया था. इस दौरान सेना की एक टुकड़ी को इस इलाके में एयरड्रॉप कराया गया था. इस ऑपरेशन की बदौलत भारतीय सेना ने इस युद्ध में पाकिस्तान को बैकफुट पर धकेल दिया था.

52 विमानों से उतारे गए 700 पैराट्रूपर्स-
युद्ध शुरू होने के बाद पाकिस्तान ने ढाका पर कब्जा करने के लिए हजारों की संख्या में सैनिकों को रवाना कर दिया था. जब भारत को इसकी भनक लगी तो इंडियन आर्मी ने एक प्लान बनाया और सेना की एक टुकड़ी को बांग्लादेश में एयरड्रॉप करने की योजना बनाई. 11 दिसंबर 1971 को लेफ्टिनेंट कर्नल कुलदीप सिंह पन्नू की अगुवाई में भारतीय सेना के पैराट्रूपर्स की एक बटालियन को तंगैल में एयरड्रॉप किया गया. इस ऑपरेशन में 52 विमानों से 700 पैराट्रूपर्स उतारे गए थे. इसके अलावा जवानों के लिए हथियार भी ड्रॉप किए गए थे.

11 दिसंबर को क्या हुआ था-
तंगैल में एक नदी बहती है. जिसपर एक पुल था. जिसके जरिए ही ढाका जाया जा सकता था. भारतीय सेना इस पुल को बम से उड़ा भी सकती थी, लेकिन भारतीय सेना को भी ढाका जाना था, इसलिए सेना ने अपनी रणनीति बदली. भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों का इंतजार किया और जब वो पुल पर आए तो उनपर हमला कर दिया.

भारतीय सेना की एक बड़ी टुकड़ी को पुल तक पहुंचाना था. ये एक बड़ी चुनौती थी. इसलिए सैनिकों को एयरड्रॉप करने का फैसला किया गया. इसके लिए 11 दिसंबर की शाम साढ़े 4 बजे का वक्त चुना गया. उस वक्त रोशनी कम होती है, जिससे सैनिकों को कोई देख भी नहीं सकता था और उतनी रोशनी में जवान आसानी से उतर भी सकते थे. इसलिए ये समय चुना गया था. उस दिन शाम को 700 जवानों को विमानों के जरिए एयरड्रॉप किया था.

भारतीय सेना ने सबसे पहले पुल पर कब्जा किया. पुल की सुरक्षा में लगे पाकिस्तान सैनिकों को मार दिया गया. इसके बाद जवानों ने अपनी पोजीशन ली और पाकिस्तानी सैनिकों का इंतजार करने लगे. जब पाकिस्तानी सैनिक पुल के पास पहुंचे तो भारतीय सेना को देखकर हैरान रह गए. यह इलाका ढाका से सिर्फ 70 किलोमीटर दूर था. भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान जवानों पर हमला बोल दिया और उनको भागने के लिए मजबूर कर दिया. भारतीय सेना के ऑपरेशन तंगैल की वजह से ही पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन विजय में सफलता मिली थी. दूसरे विश्व युद्ध के बाद ये दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एयरड्रॉप ऑपरेशन था.

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