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क्या है BSF का वाटर विंग और एयरविंग? जानिए इसकी विशेषता और यह कैसे काम करती है

1965 में 25 बटालियनों के साथ शुरुआत करने वाला BSF अब तेजी से बढ़कर 192 बटालियनों तक पहुंच चुका है. बीएसएफ का वाटर विंग बांग्लादेश बॉर्डर पर करीब 933 किलोमीटर पर बॉर्डर गर्डिंग करता है.

BSF का वाटर विंग और एयरविंग BSF का वाटर विंग और एयरविंग
हाइलाइट्स
  • BSF का मरीन विंग (वाटर विंग) क्या है

  • BSF के वाटर विंग में इस समय 12 फ्लोटिंग BOP(बॉर्डर ऑउट पोस्ट) है

बॉर्डर सिक्योरिटी फ़ोर्स यानी फर्स्ट लाइन आफ डिफेंस नाम से जाना जाने वाला बीएसएफ के 2 ऐसे महत्वपूर्ण विंग भी है जो आंतरिक सुरक्षा के लिए लिहाज से बड़ा कदम उठाते हैं. वैसे तो बॉर्डर सिक्योरिटी फ़ोर्स भारत पाकिस्तान बॉर्डर और भारत- बांग्लादेश बॉर्डर पर सुरक्षा के लिए तैनात है.

1965 में 25 बटालियनों के साथ शुरुआत करने वाला BSF अब तेजी से बढ़कर 192 बटालियनों तक पहुंच चुका है. जिसमें अब 270,363 कर्मियों की स्वीकृत ताकत है, जिसमें एक विस्तारित एयर विंग , मरीन विंग (वाटर विंग), एक आर्टिलरी रेजिमेंट और विशेष इकाइयां शामिल हैं. यह वर्तमान में दुनिया की सबसे बड़ी बॉर्डर गर्डिंग फोर्स है. बहुत सारे लोगो को शायद ही पता हो कि जंहा बॉर्डर पर बीएसएफ के कमांडो दिन रात चौकसी करते है तो इसका वाटर विंग और एयर विंग जल और हवा में निगहबानी करने के लिए तैनात हैं सबसे बड़ी बात यह है कि इन दोनों खास विंग को बीएसएफ ने इतने सालों से इतनी कम मैन पावर होने के बावजूद बचा रखा है. तो चलिए जानते है कि बीएसएफ के वाटर विंग और एयर विंग क्या है और इसमें कितने लोग काम करते हैं और कैसे देश की आंतरिक सुरक्षा में बड़ा रोल निभा रहे हैं.

water wing
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BSF का मरीन विंग (वाटर विंग) क्या है? कैसे इतने सालों से सुरक्षित है?

कुल 1351 लोगों के स्ट्रेंथ के साथ काम कर रहा बीएसएफ का वाटर विंग आज बॉर्डर के 10 महत्वपूर्ण स्थानों से संचालित होकर सुरक्षा कर रहा है बीएसएफ का वाटर विंग 1966 में पश्चिम बंगाल की जलीय सीमा की सुरक्षा के लिए शुरू किया गया था इसके लिए दो मीडियम क्राफ्ट एम एल वेलूर और एम एल करेंज के साथ इस वाटर विंग की शुरुआत की गई थी उसके बाद 1966 से 1980 के मध्य बीएसएफ के वाटर विंग को धीरे-धीरे करके बढ़ाया जाने लगा और पंजाब, भुज असम के धुबरी में इसकी अलग-अलग ब्रांच खोली गई इसके साथ ही अब बीएसएफ का वाटर विंग देश के अलग-अलग जलीय सीमा की सुरक्षा करने के लिए 10 स्थानों पर लगाया गया है वाटर विंग अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर सक्रिय आवश्यकताओं को देखते हुए बीएसएफ में 500 जलयान शामिल हैं जो इस जलीय सीमा की सुरक्षा कर रहे हैं. सीमा सुरक्षा बल की मरीन विंग भारत की सीमा सुरक्षा बल की विशेष इकाइयों में से एक है. यह उत्तर बंगाल सीमांत, दक्षिण बंगाल सीमांत, अंडमान निकोबार सीमांत, त्रिपुरा, मिजोरम और कछार सीमांत, जम्मू सीमांत, पंजाब सीमा और बीएसएफ के गुजरात फ्रंटीयर(हरामी नाला) में नदी की सीमाओं की सुरक्षा करती है. वाटर विंग तटीय सीमा के 1215 किमी में देश की रखवाली व दुश्मन को मात देने के लिए तैयार रहती है.

water wing
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इन 10 स्थानों पर है BSF का वाटर विंग.

बीएसएफ का वाटर विंग बांग्लादेश बॉर्डर पर करीब 933 किलोमीटर पर बॉर्डर गर्डिंग करता है और 282 किलोमीटर पाकिस्तान बॉर्डर पर गर्डिंग करता है. इसकी खासियत ये है कि ये सीमापार से जलीय रास्तों से आतंकी और ड्रग्स ट्रैफिकिंग को रोकता है. वाटर विंग के 10 सेंटर निम्नलिखित है जो यहाँ सरहद पर तैनात जवानों को कमांड और कंट्रोल देते हैं.1.बीएसएफ वाटर विंग FHQ, निर्माण भवन दिल्ली,2.BSF कश्मीर फ्रंटियर,3.BSF जम्मू फ्रंटियर,4.BSF माधोपुर वाटर विंग,5.BSF वाटर विंग भुज,6.BSF राजस्थान FTR,7.BSF धुबरी असम वाटर विंग, 8.BSF मासिपुर विंग, 9.BSF कदमताला, 10.BSF 102 मरीन बटालियन गुजरात.

वाटर विंग में 500 जलयान है. क्या-क्या है इसमें?

फ्लोटिंग BOP

BSF के वाटर विंग में इस समय 12 फ्लोटिंग BOP(बॉर्डर ऑउट पोस्ट) है. गृह मंत्रालय ने कोचीन शिपयार्ड से हाल ही में 9 फ्लोटिंग बीओपी यानी पानी में तैरने वाली बॉर्डर आउटपोस्ट को अलग-अलग जगहों पर तैनात किया गया है फ्लोटिंग बीओपी मिलने की उम्मीद के बाद इन 12 फ्लोटिंग बीओपी को सुंदरबन और सर क्रीक एरिया में तैनात किया गया है जिसमें छह सुंदरवन में तैनात होंगी और 6 सरक्रीक एरिया में तैनात की जाएंगी दरअसल फ्लोटिंग बीओपी नदी नालों और समंदर में चलने वाली ऐसी BOP होती है जो एक जगह से दूसरी जगह मूव कर सकती है बांग्लादेश से सटे दक्षिणी पश्चिम बंगाल का एक बड़ा इलाका मैंग्रोव जंगल है जो सुंदरबन इलाके में आता है यहां पर नदियां डेल्टा बनाती है जिसकी वजह से यहां पानी में निगरानी करना काफी कठिन होता है इसलिए यहां फ्लोटिंग BOP को तैनात किया जाता है फ्लोटिंग बीओपी भारत बांग्लादेश बॉर्डर के सुंदरवन इलाके में तैनात हैं.

BSF
BSF

फास्ट अटैक क्राफ्ट

ऐसे छोटे जलयान BSF के पास इस समय हरामी नाले गुजरात के इलाके में मौजूद हैं.फास्ट अटैक क्राफ्ट ( एफएसी ) एक छोटा, तेज, फुर्तीला, आक्रामक,जलपोत है जो जहाज-रोधी गन ,बंदूकों या और मोनिटरिंग डिवाइस से लैस होता है . एफएसी आमतौर पर जमीन के नजदीक में संचालित होते हैं क्योंकि उनके पास नीले पानी में जीवित रहने के लिए समुद्री रखरखाव और चौतरफा रक्षात्मक क्षमता दोनों की कमी होती है . पोत का आकार ईंधन, भंडार और पानी की आपूर्ति को भी सीमित करता है. आकार में  आमतौर पर 50-800 टन के बीच होते हैं और 25-50 समुद्री मील (46-93 किमी / घंटा) की गति तक पहुंच सकते हैं.

आल टेरेन व्हीकल (ATVs)

कच्छ के रण में भारत-पाकिस्तान सीमा पर एक सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ऑल टेरेन व्हीकल (एटीवी) भी तैनात है. बीएसएफ द्वारा एटीवी का उपयोग  दलदली क्षेत्रों को पार करने के लिए किया जाता है, हरामी नाले में जब ज्वार आता है तो पानी ऊपर आ जाता है जिसको ATV से पार करते है 6-8 सैनिक इन एटीवी के अंदर बैठते हैं और सीमा से लगे विशाल इलाकों में गश्त करते हैं.दलदली भूमि पर कोई सीमा बाड़ नहीं है जो गुजरात और पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बीच प्राकृतिक सीमा के रूप में कार्य करता है. सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान, जो 85 किलोमीटर लंबी क्रीक तटरेखा की रक्षा करते हैं, सभी इलाके के वाहनों (एटीवी) का उपयोग करते हैं.

BSF का एयर विंग

बीएसएफ का एयर विंग गृह मंत्रालय के अधीन काम करता है जानकारी के मुताबिक यह एयर विंग गृह मंत्री, गृह राज्य मंत्री गृह सचिव, पैरा मिलिट्री फोर्सेज के डीजी ,एडीजी और जॉइंट सेक्रेटरी स्तर के अधिकारियों के ऑफिशियल विजिट में इस्तेमाल किया जाता है. इसके साथ ही जवानों को एअरलिफ्ट करने आंतरिक सुरक्षा में खास ऑपरेशन के लिए, राशन सामग्री बॉर्डर आउटपोस्टतक पहुंचाने साथ ही क्राइम कंट्रोल और कानून व्यवस्था में इस एयर विंग का इस्तेमाल होता है इस एयर विंग में 527 लोग वर्तमान समय में मौजूद है जब की आवश्यकता आज तो 836 लोगों की है एयर विंग में स्टाफ की कमी इस वक्त है जानकारी के मुताबिक 309 लोगों की कमी है. उसके बावजूद भी इस एयर विंग को केंद्र सरकार और बीएसएफ की तरफ से मेंटेन किया जा रहा है और चलाया जा रहा है.

कितने एयरक्राफ्ट है BSF के पास

एम्ब्रार -1

MI-17V5-8

MI-171V-6

ALH ध्रुव-6

चीता हेलीकॉप्टर-1

बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स अपने एयर विंग और वाटर विंग के जरिए फर्स्ट लाइन आफ डिफेंस के तौर पर सीमा की निगरानी कर रहा है सूत्रों के मुताबिक दोनों विंग में इस समय स्टाफ की कमी है उसके बावजूद भी बीएसएफ अपने वाटर विंग और एयर विंग को मेंटेन करने में जुटा हुआ है सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बीएसएफ के एयर विंग में 309 की संख्या में टेक्निकल और ग्राउंड स्टाफ की कमी बताई जा रही है. इस स्टाफ को भरने के लिए जल्द ही बीएसएफ की तरफ से प्रयास किए जाएंगे बीएसएफ के दोनों विंग में इन कमियों के बावजूद भी आज भी इतने सालों से इसने महत्वपूर्ण विंग को मेंटेन करके रखा हुआ है.