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Water Recycle: साल 2047 में कैसी होगी भारत में पानी को लेकर चुनौती...केंद्रीय मंत्री ने बताया कैसे निपटेंगे वॉटर क्राइसिस से

इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स की तरफ से एक आयोजन किया गया जिसमें पानी की समस्या और आने वाले साल में आने वाली चुनौती को लेकर बात की गई. अभी पानी को लेकर हम सबसे ज़्यादा रेन वॉटर पर निर्भर करते हैं.

Water Crisis Water Crisis

कहते हैं दुनिया में अगला विश्वयुद्ध पानी की वजह से होगा. मौजूदा हालात को देखा जाए तो यह बात काफी हद तक सही भी दिखाई पड़ती है. इंडियन हैबिटेट सेंटर में साल 2047 तक पानी को लेकर हम किस तरह की समस्याओं से जूझ रहे होंगे और उस समस्या को दूर करने के लिए अभी से क्या कर सकते हैं? इसको लेकर एक समिट का आयोजन किया गया. इसका आयोजन इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स की तरफ से किया गया था जिसमें केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत भी पहुंचे.

मंत्री जी ने बताई समस्या और समाधान
गजेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि पूरी दुनिया में पानी को लेकर समस्या है. लेकिन हमारी समस्या अभी और चुनौती आने वाले वक्त में और ज़्यादा बड़ी हो जाएगी क्योंकि हम जनसंख्या के लिहाज से दुनिया में नंबर वन होने की कगार पर खड़े हैं. बढ़ती आबादी के साथ पानी की खपत भी बहुत ज़्यादा होने वाली है. साथ ही साथ जिस तरह से हम विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं इंफ्रास्ट्रक्चर के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं उसमें भी पानी की हमें बहुत ज़्यादा जरूरत पड़ने वाली है. लेकिन बड़ी बात ये है कि अभी पानी को लेकर हम सबसे ज़्यादा रेन वॉटर पर निर्भर करते हैं जोकि ठीक नहीं है. मंत्री जी कहते हैं कि पहले के जमाने में ऋषि मुनियों ने पानी को हमेशा धर्म से जोड़कर प्रस्तुत किया जिससे हम नदी को देवी मानते थे लेकिन धीरे धीरे धार्मिक मान्यता खत्म हुई और हम आज कंटेमिनेटेड वॉटर वाले देशों की टॉप टेन की सूची में आते हैं. 

भेदभाव को कम करना चाहिए
ऑयन एक्सचेंज के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अंकुर पटनी बताते हैं कि मानक के हिसाब से औसतन एक आदमी को 135 लीटर पानी इस्तेमाल करने के लिए मिलना चाहिए लेकिन देश में इसको लेकर भी अलग-अलग जगहों में काफी गड़बड़ी है. जिन जगहों पर पानी फ्री है, अच्छी खासी संख्या में मौजूद है वहाँ पर प्रति व्यक्ति 350 लीटर पानी खर्च हो रहा है. वहीं दूसरी तरफ कई ऐसे इलाके जो सूखे से प्रभावित हैं वहां पर प्रति व्यक्ति 40 लीटर पानी मिलना भी मुश्किल है. हमने देखा है कि कई दूसरे देशों में भी ये समस्या थी वहां पर लोगों ने अपने पानी की खपत को कम करके मानक लेकर आए जिससे यह भेद भाव कम हुआ हमें भी ऐसा ही कुछ करना होगा.

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पैकेज वाटर के दाम छुएंगे आसमान
इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स के चेयरमैन राजीव सिंह कहते हैं कि भारत सरकार के साथ मिलकर ICC बहुत सारे प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा रहा है. हम इस लिहाज से काम कर रहे हैं कि 2047 में पानी की किल्लत को कम से कम किया जाए. मौजूदा हालात तो ऐसे हैं कि कई जगह पर ग्राउंड वॉटर इतना नीचे जा चुका है कि लोगों को उस के लिए बहुत ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है. आने वाले वक़्त में हो सकता है कि पाने की खपत और कमी का अनुपात इतना ज़्यादा हो जाए कि देश में पैकेज वॉटर की कीमतें बहुत ज़्यादा बढ़ जाए.

पानी को कर रहे रिसाइकल
हालांकि अच्छी बात ये है कि इन समस्याओं से निपटने के लिए भारत सरकार ने अभी से काम करना शुरू कर दिया है. वॉटर रिसोर्स को बचाने, उन्हें दोबारा ज़िंदा करने के लिए और साफ़ पानी के लिए भारत सरकार ने अब तक 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है. 2019 से जल जीवन मिशन के तहत करोड़ों घरों तक साफ पानी पहुंचाया गया है.पिछले 4 साल में 16 करोड़ परिवारों तक नल से जल पहुंचाया है. कॉप 15 में भारत के नमामि गंगे प्रोजेक्ट को दुनिया के टॉप 10 इनिशेटिव में जगह मिली है. लोगों तक पीने का शुद्ध पानी पहुंचाने के लिए पिछले साल 1 करोड़ 70 लाख पानी के सैंपल टेस्ट हुए. पहले इनकी संख्या बेहद कम हुआ करती थी. कई ऐसे स्टार्टअप की शुरुआत हुई जो वाटर ट्रीटमेंट और वाटर रिसाइक्लिंग के लिए काम कर रहे हैं.

स्टार्टअप कर रहे कमाल
ब्लूवर्श ऐसा ही एक स्टार्टअप है जो गाड़ियों की धुलाई में इस्तेमाल होने वाले पानी की खपत को कम करता है. इस्तेमाल हो चुके पाने को भी दोबारा इस्तेमाल कैसे किया जाए ये स्टार्टअप इस पर काम कर रहा है. भारत में 19 करोड़ से ज़्यादा टू व्हीलर हैं. औसतन एक टू में व्हीलर की धुलाई में 50-75 लीटर पानी बर्बाद होता है. कंपनी के फाउंडर रुशांग शाह बताते हैं कि हम सिर्फ 4 लीटर पानी में एक टू व्हीलर को साफ कर देते हैं और इस्तेमाल हुए पानी का 98 प्रतिशत हिस्सा रियूज भी कर लेते हैं.

चुनौतियां  भले ही बहुत सारी हैं लेकिन सरकार के पास उनसे निपटने का तरीका भी जबरदस्त है. सरकार वॉटर क्राइसिस से निपटने वाले सॉल्यूशन को सीधे एक इंडस्ट्री के रूप में स्थापित करना चाहती है जिससे पानी की बचत करने के लिए बहुत सारी कंपनी खड़ी हो जाए और ये समस्या ख़त्म हो जाए.