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Delhi Metro Lab's: जानिए दिल्ली मेट्रो की उस खास लैब के बारे में जहां कार्ड पंच के बाद गेट न खुलने से लेकर सिस्टम में आ रही अन्य तकनीकी गड़बड़ियों तक... हर चीज का होता है इलाज

दिल्ली मेट्रो में रोजाना 51 लाख से अधिक यात्री सफर करते हैं. कोरोना काल के दौरान के अलावा ऐसा कभी नहीं हुआ जब मेट्रो का सफर थमा हो. इस हिसाब से आए दिन मेट्रो में कुछ न कुछ तकनीकी गड़बड़ियां भी आती रहती हैं लेकिन उन्हें दुरुस्त कैसे किया जाता है आइए जानते हैं.

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होली हो, दीपावली हो या कोई अन्य विशेष त्योहार एक निश्चित टाइम अगर छोड़ दें तो साल के पूरे 365 दिन रोज करीब 16 से 18 घंटे मेट्रो चलती है. इस पूरे सिस्टम को प्रभावी तरीके से ऑपरेट करने के लिए डीएमआरसी बड़े पैमाने पर तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल करती है, जाहिर है कि तकनीकी सिस्टम्स और उपकरणों में कई तरह की तकनीकी खराबियां भी आती होंगी. मसलन, कार्ड पंच करने के बावजूद एएफसी गेट नहीं खुलता, तो कभी वेंडिंग मशीन पैसे एक्सेप्ट नहीं करती. कभी कोई कैमरा खराब हो जाता है, तो कभी डिस्प्ले सिस्टम पर सही जानकारी नहीं आती है. तकनीकी खराबी आने के बावजूद यात्रियों को ज्यादा देर तक दिक्कतों का सामना न करना पड़े इसके लिए डीएमआरसी ने ऐसी तमाम खराबियों को तुरंत दुरुस्त करने के लिए एक मजबूत मैकेनिज़म और प्रोटोकॉल बनाया हुआ है, जिसमें खराबी आने की सूचना मिलते ही उसे तुरंत ठीक करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाते हैं.

रखें गए हैं इंजीनियर
दिल्ली मेट्रो का अनाउंसमेंट सिस्टम, जो इंटीक्रेट कार्ड्स पर पूरी तरह से निर्भर है, इसके संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. अगर कार्ड खराब हो जाते हैं, तो पूरा अनाउंसमेंट सिस्टम फेल हो जाता है, जिससे यात्रा में दिक्कत आती है. ऐसे मुद्दों को तुरंत हल करने के लिए, दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की इलेक्ट्रॉनिक्स लैब में उच्च कुशल इंजीनियरों को ट्रेन किया जाता है ताकि वो दोषपूर्ण कार्ड निकालने और एक निश्चित समय सीमा के भीतर कुशलतापूर्वक उनकी मरम्मत करें. डीएमआरसी के एक अधिकारी ने कहा, "अनाउंसमेंट सिस्टम के निर्बाध कामकाज को बनाए रखने के लिए और सुचारू ट्रेन परिचालन की सुविधा के लिए इन इलेक्ट्रॉनिक्स लैब इंजीनियरों की विशेषज्ञता और समय पर उसे रोकना आवश्यक है."

इस लैबोरेटरी की स्थापना 2020 में सिविल लाइंस मेट्रो स्टेशन पर की गई थी. इलेक्ट्रॉनिक लैब के अलावा डीएमआरसी के पास चार अतिरिक्त लैब हैं. जहां दिल्ली मेट्रो यात्रियों को तेज, विश्वसनीय और आरामदायक यात्रा प्रदान करने के लिए जानी जाती है. वहीं डीएमआरसी की पांच लैबोरेटरीज सुगम यात्रा सुनिश्चित करने के लिए पर्दे के पीछे काम करती हैं. साल 2022-23 में, पांच प्रयोगशालाओं द्वारा की गई मरम्मत से 69.7 करोड़ रुपये की बचत हुई थी.

होती है समय और पैसे की बचत
डीएमआरसी के एक अधिकारी ने कहा कि इन-हाउस में हर तरह की तकनीक से पूर्ण ये लैब्स बाहरी एजेंसियों पर निर्भरता को कम करती हैं, जिससे विभिन्न तकनीकी विभागों का समय और लागत बचती है. डीएमआरसी के मुख्य कार्यकारी निदेशक, कॉर्पोरेट संचार, अनुज दयाल ने कहा,"जब महंगे कंपोनेंट्स को घर में ही ठीक किया जाता है, तो यह सिस्टम के रखरखाव की लागत को कम कर देता है. डीएमआरसी के अपने कर्मचारियों द्वारा संचालित इन-हाउस लैब सिस्टम की विश्वसनीयता की भावना स्थापित करती है. डीएमआरसी ने सुपरवाइजर और मेंटेनर्स की अपनी एक टीम को ट्रेन किया है जो सुधार कार्य में उनकी मदद करती है. ये प्रयोगशालाएं सिस्टम को आत्मनिर्भर बनने में मदद करती हैं.'' 

और कितनी लैब हैं
डीएमआरसी की अन्य चार लैब्स स्वचालित किराया संग्रह (AFC) और दूरसंचार मरम्मत केंद्र; ट्रेक्शन सिस्टम में इलेक्ट्रॉनिक्स कार्ड मरम्मत प्रयोगशाला; सिग्नलिंग मरम्मत और परीक्षण प्रयोगशालाएं; और इलेक्ट्रॉनिक्स लैब रोलिंग स्टॉक हैं. यमुना बैंक डिपो का इलेक्ट्रॉनिक्स लैब रोलिंग स्टॉक 2020 में चालू किया गया था जोकि 36 ट्रेनों का रखरखाव करता है. पुरानी ट्रेनों के साथ, कम से कम संभव समय में विफलताओं को ठीक करना डिपो के लिए नई चुनौती है.

एएफसी और दूरसंचार उपकरणों की मरम्मत के लिए शास्त्री पार्क डिपो में 2005 में स्थापित, एएफसी और दूरसंचार मरम्मत केंद्र मॉड्यूल को फिर से डिजाइन और संशोधित करता है. स्टेज III और IV प्रणालियों को समायोजित करने के लिए, केंद्र को 2015 में चावड़ी बाजार मेट्रो स्टेशन पर स्थानांतरित कर दिया गया और इसका नाम बदलकर 'एस एंड टी केंद्रीकृत मरम्मत और परीक्षण केंद्र' (S&T centralised repair and testing centre) कर दिया गया. साल 2002 में लाइनों के चालू होने के बाद से, सिग्नलिंग विभाग ने विभिन्न हाई-टेक प्रयोगशालाएं विकसित की हैं, जहां प्रशिक्षित डीएमआरसी कर्मचारी कैलिब्रेटेड टूल और माप उपकरणों द्वारा विभिन्न दोषपूर्ण इंपोर्टेड मॉड्यूल का इन-हाउस परीक्षण और मरम्मत करते हैं.