भारत जैसे देश के लिए रेलवे काफी महत्वपूर्ण या यूं कहें कि ये एक लाइफलाइन की तरह है. ऐसे में भारतीय रेल का प्रयास है कि संसाधन के मामले में दूसरे देशों पर निर्भरता कम की जाए. बल्कि कुछ ऐसा किया जाए की दूसरे देश हम पर निर्भर हो. इसी के चलते रेल के पहियों को निर्यात करने की तरफ भारतीय रेल ने एक कदम बढ़ाया है.
सुपरफास्ट ट्रेनों के पहिए देश में ही बनेंगे
मेकिंग इंडिया के तहत देश में ही रेल पहियों का निर्माण हो और दूसरे देशों को निर्यात कर मुनाफा कमाया जाए. इसके लिए रेलवे ने खांचा बना लिया है. दरअसल असल में रेलवे ने भारत में पहियों का निर्माण करने का नोटिफिकेशन जारी किया है. इस पहियों के कारखानों से कम से कम 80 हजार पहियों का निर्माण किया जाएगा. रेलवे ने इस नई पहल के लिए एक प्राइवेट कंपनी को आमंत्रित किया है. रेलवे इन नई फैक्ट्री में वंदे भारत, राजधानी, शताब्दी और जैसी सुपर फास्ट ट्रेनों के पहियों के निर्माण पर जोर देगा.
इस पहल से रेलवे को होगा फायदा
असल में भारत में अगर पहियों के निर्माण किया जाएगा तो इससे सबसे पहला फायदा खुद रेलवे को होगा. एक आंकड़े के अनुसार भारतीय रेल को हर साल करीब 2 लाख से ज्यादा पहियों की जरूरत पड़ती है. इस योजना के हिसाब से स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड जहां एक लाख पहियों का विनिर्माण करेगी. वहीं बाकी एक लाख पहिये इस नए 'मेक इन इंडिया' संयंत्र में बनाए जाएंगे.
यूरोपीय बाजार में होगा पहियों का निर्यात
रेलवे ने जो नोटिफिकेशन जारी किया है. उसमें साफ तौर पर कहा गया है कि जिन भी कंपनियों को पहिया बनाने की जिम्मेदारी दी जाएगी. उसकी पहली शर्त ये होगी संयंत्र में बनने वाले रेल पहियों का निर्यात यूरोपीय बाजार को भी किया जाएगा. नोटिफिकेशन में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि संयंत्र को 18 महीनों के अंदर स्थापित करना होगा.