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National Handloom Day 2023: क्यों मनाया जाता है नेशनल हैंडलूम डे...क्या है इसका महत्व, फाइबर के प्रकार और भारत में इसकी ताकत

7 अगस्त को नेशनल हैंडलूम डे मनाया जाता है. भारत में हथकरघा उद्योग काफी बड़े पैमाने पर फैला हुआ है. हैंडलूम यानी हाथ से बनाई गई चीजें. ज्यादातर महिलाएं भारत में बुनकरों का काम करती हैं.

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भारत में नेशनल हैंडलूम डे पूरे देश में हथकरघा बुनकरों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और शिल्प कौशल का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है. हथकरघा क्षेत्र और भारत की सामाजिक-आर्थिक प्रगति में इसके योगदान के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल यह दिन मनाया जाता है. यह विशेष अवसर हमारे इतिहास में हथकरघा उद्योग के महत्व पर जोर देता है और इसमें काम करने वालों को प्रभाव में लाता है. चूंकि इस क्षेत्र में अधिकांश बुनकर महिलाएं हैं, इसलिए यह दिन उन्हें समर्थन और कृतज्ञता दिखाने का एक महत्वपूर्ण मौका है. 

कब है नेशनल हैंडलूम डे और क्या है इसका इतिहास
साल 1905 में लार्ड कर्ज़न ने बंगाल के विभाजन की घोषणा की. इसी दिन कोलकाता के टाउनहॉल में एक महा जनसभा से स्‍वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी. इसी घटना की याद में हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है. 7 अगस्त, 2015 में प्रधानमंत्री ने इस दिन की शुरुआत की थी. तब से हर साल इस दिन को मनाया जाता है. 

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का महत्व
हथकरघा-बुनाई समुदाय के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने और हमारे देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में इस क्षेत्र के योगदान को उजागर करने में यह दिन बहुत महत्व रखता है. हथकरघा उद्योग देश की शानदार सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है और देश के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. यह देखते हुए कि हथकरघा बुनकरों और संबंधित कर्मचारियों में 70% से अधिक महिलाएं हैं, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उद्योग आवश्यक है. इस दिन, हथकरघा बुनकरों के समुदाय को स्वीकार किया जाता है, और इस राष्ट्र की सामाजिक आर्थिक उन्नति में उनके योगदान पर जोर दिया जाता है. यह रेखांकित किया गया है कि हम अपनी हथकरघा विरासत की रक्षा करने और हथकरघा बुनकरों और कर्मचारियों को अधिक अवसर देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

क्यों मनाया जाता है हथकरघा दिवस?
हथकरघा दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लघु और मध्यम उद्योग को बढ़ावा देना है. इसके अलावा यह दिन बुनकर समुदाय को सम्मानित करने और भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में उनके योगदान को सराहने के मकसद से भी हथकरघा दिवस मनाया जाता है. यह बहुत जरूरी है कि हथकरघा से बनी चीजें देश- विदेश के कोने-कोने तक पहुंचे. इससे भारत को अलग पहचान तो मिलेगी ही साथ ही बुनकर समुदायों को भी आगे बढ़ने का मौका मिलेगा. 

भारत में फाइबर के प्रकार और इसकी ताकत
फाइबर दो प्रकार के होते हैं. इनमें नेचुरल और सिंथेटिक फाइबर शामिल हैं. नेचुरल फाइबर वो होते हैं जो पौधे, जानवर और मिनरल से बनाए जाते हैं. पौधे से हमें कॉटन, फ्लैक्स और हैंप मिलता है. वहीं जानवरों से ऊन और रेशम इकट्ठा किया जाता है. मिनरल से एस्बेस्टस बनते हैं. कॉटन का इस्तेमाल ग्लोबल लेवल पर किया जाता है. जबकि सिंथेटिक फाइबर पेट्रोलियम बेस्ड केमिकल से बनाए जाते हैं. इस ऑर्टिफिशियल तरीके से इंसान बनाते हैं. इनमें पॉलिएस्टर, नायलॉन, ऐक्रेलिक और स्पैन्डेक्स शामिल हैं.

भारत में कच्चा माल काफी अधिक मात्रा में मिलता है इसलिए कपड़ा उद्योग की स्थिरता बनी रहने की काफी संभवना है. भारत में घरेलू बाजार को अहमियत दी जा रही है. उम्मीद है कि यह उद्योग अच्छे से चलेगा क्योंकि भारत में कारीगरों की कमी नहीं है. लोगों के पास कपड़ों से संबंधित ज्ञान है, जो टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए फायदमेंद हो सकता है.