देश के पांचों राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हो चुके हैं. अब लोगों को रिजल्ट का इंतजार है. इनमें से चार राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के नतीजे 3 दिसंबर 2023 को आएंगे तो वहीं, मिजोरम के नतीजे 4 दिसंबर को वोटों की गिनती के बाद जारी किए जाएंगे. रिजल्ट आने के दौरान हमें ये शब्द सुनने को मिलते हैं कि इनकी जमानत जब्त हो गई, ये तो अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए. लेकिन क्या आपको बता है कि जमानत जब्त होना क्या होता है? नहीं, तो आइए जानते हैं.
क्या है जमानत राशि
देश में पंचायत चुनाव हो, लोकसभा चुनाव हो, विधानसभा चुनाव हो या राष्ट्रपति का चुनाव हो, हर चुनाव लड़ने पर उम्मीदवार प्रत्येक उम्मीदवार को जमानत के तौर पर चुनाव आयोग के पास एक निश्चित राशि जमा करनी होती है. इस राशि को जमानत राशि अथवा सिक्योरिटी डिपॉजिट भी कहते हैं. हर चुनाव के लिए अलग-अलग जमानत राशि होती है. जमानत राशि जमा करवाने का मकसद यह है कि चुनाव में सिर्फ गंभीर कैंडिडेट ही भाग लें.
लोकसभा और विधानसभा चुनाव की जमानत राशि का जिक्र रिप्रेजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट, 1951 में जबकि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव की जमानत राशि का जिक्र प्रेसिडेंट एंड वाइस प्रेसिडेंट इलेक्शन एक्ट, 1952 में किया गया है. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में सभी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए एक ही राशि होती है.
किस चुनाव में कितनी जमानत राशि
1. लोकसभा चुनाव: सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को 25 हजार रुपए की जमानत राशि जमा करानी होती है. वहीं, एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए ये रकम 12,500 रुपए होती है.
2. विधानसभा चुनाव: सामान्य वर्ग के उम्मीदवार के लिए जमानत राशि की रकम 10 हजार रुपए होती है, जबकि एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को 5 हजार रुपए जमा कराने होते हैं.
3. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव: सभी वर्गों के लिए जमानत राशि की रकम एक ही होती है. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए उम्मीदवार को 15 हजार रुपए जमा कराने होते हैं.
क्यों हो जाती है जमानत जब्त
1. चुनाव आयोग के मुताबिक, जब कोई उम्मीदवार सीट पर पड़े कुल वोटों का 1/6 यानी 16.66% वोट हासिल नहीं कर पाता तो उसकी जमानत जब्त कर ली जाती है.
2. मान लीजिए किसी सीट पर 1 लाख वोट पड़े हैं और वहां 5 उम्मीदवारों को 16,666 से कम वोट मिले हैं, तो उन सभी की
जमानत जब्त कर ली जाएगी.
3. यही फॉर्मूला राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव पर भी लागू होता है. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को अपनी जमानत बचाने के लिए 1/6 वोट हासिल करने होते हैं.
किन हालातों में वापस हो जाती है जमानत राशि
1. उम्मीदवार को जब 1/6 से ज्यादा वोट हासिल होते हैं तो उसकी जमानत राशि लौटा दी जाती है.
2. जीतने वाले उम्मीदवार को भी उसकी रकम वापस कर दी जाती है, भले ही उसे 1/6 से कम वोट मिले हों.
3. वोटिंग शुरू होने से पहले यदि किसी उम्मीदवार की मौत हो जाती है, तो उसके परिजनों को रकम लौटा दी जाती है.
4. उम्मीदवार का नामांकन रद्द होने या फिर नामांकन वापस लेने की स्थिति में जमानत राशि वापस कर दी जाती है.
कौन उठाता है चुनाव का खर्चा
राज्यों के विधानसभा चुनाव का पूरा खर्च संबंधित राज्य सरकार वहन करती है. लेकिन यदि किसी राज्य का विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ हो रहा है तो इस स्थिति में केंद्र और राज्य सरकारें आधा-आधा खर्च वहन करती हैं.
चुनाव में कैंडिडेट कितना खर्च कर सकते हैं
चाहे लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, प्रत्याशी अपनी जीत के लिए हर तरह का हथकंडा अपनाते हैं. पैसा भी पानी की तरह बहाने से पीछे नहीं हटते. हालांकि चुनाव आयोग इस पर कड़ी नजर रखता है. चुनाव में खर्च की सीमा भी तय की है. विधानसभा चुनाव में बड़े राज्यों में उम्मीदवार 40 लाख रुपए तक खर्च कर सकते हैं, जबकि छोटे राज्यों में उम्मीदवार को 28 लाख रुपए तक खर्च की छूट है. इसी तरह लोकसभा चुनाव में बड़े राज्यों में उम्मीदवार 95 लाख और छोटे राज्यों में 75 लाख रुपए खर्च कर सकते हैं.