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जब मुलायम सिंह यादव ने 27 साल पहले हमीरपुर से अलग कर महोबा को बनाया था नया जिला...हेलीकॉप्टर में नए डीएम को लाए थे साथ

यूपी के हमीरपुर जिले को मुलायम सिंह यादव ने 27 साल पहले अलग कर महोबा जिला बनाया था. मुलायम सिंह यादव ने एक वोट के लिए महोबा विधानसभा के विधायक अरिमर्दन सिंह को मंत्री पद का आफर दिया था जिसे लेने से उन्होंने मना कर दिया.

Mulayam Singh Mulayam Singh
हाइलाइट्स
  • नया जिला बनाने के लिए रखी शर्त

  • मायावती के समर्थन से बनी पहली सरकार

यूपी के हमीरपुर जिले को काट कर महोबा को नया जिला बनाने के लिए मुलायम सिंह यादव जब 27 साल पहले महोबा पहुंचे थे तो नए डीएम उमेश सिन्हा को हेलीकॉप्टर से अपने साथ ले कर आए थे. जनसभा के दौरान जब उन्होंने महोबा को नया जिला बनाने की घोषणा की तो कहा था, ''हम महोबा जिला बनाने की घोषणा करने नहीं आए हैं बल्कि आज ही जिला बना दिया है. उन्होंने महोबा के नए डीएम उमेश सिन्हा को मंच पर खड़ा करके बोला था यह है आप के नए जिले के नए डीएम उमेश सिन्हा. उमेश सिन्हा आज ही से कार्यभार संभाल कर काम शुरू कर देंगे. नए डीएम को मंच पर देखते ही जानता की तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा इलाका गूंज उठा था.  उत्तर प्रदेश के धरती पुत्र कहे जाने वाले मुलायम सिंह यादव राजनीति के ऐसे बड़े नेता हैं जो राजनीति की हर चाल को बड़ी ही खामोशी से चलते थे. उत्तर प्रदेश में 27 साल पहले एक विधायक को खुश करने लिए उन्होंने ऐसा फैसला लिया था जिससे विपक्ष को तगड़ा झटका लगा था. 

नया जिला बनाने के लिए रखी शर्त
एक वोट की जुगाड़ के लिए महोबा विधानसभा के विधायक अरिमर्दन सिंह को मंत्री पद का आफर दिया था लेकिन विधायक ने मंत्री पद लेने से इनकार करते हुए महोबा को नया जिला बनाने की शर्त रखी जिसे पूरी करने के लिए मुलायम सिंह यादव को हमीरपुर के दो टुकड़े करने पर मजबूर होना पड़ा था. आनन फानन में आईएएस उमेश सिन्हा को अपने साथ लाकर महोबा को स्वतंत्र जिला बनाने का एलान कर दिया था. उनके इस फैसले से समाजवादी पार्टी का न सिर्फ वोट बैंक बढ़ा बल्कि इसका असर आसपास के विधानसभा सीटों पर भी पड़ा था.

मायावती के समर्थन से बनी पहली सरकार
उत्तर प्रदेश में मायावती के समर्थन से मुलायम सिंह यादव ने 4 दिसम्बर 1993 को प्रदेश में पहली बार सरकार बनाई थी. लेकिन गठबंधन की गांठें खुलने के कारण उनकी सरकार 3 जून 1995 तक ही चल पाई. हमीरपुर के बुजुर्ग पत्रकार राम शरण दीक्षित ने बताया कि मुलायम सिंह राजनीति के ऐसे बड़े नेता हैं जिन्होंने जो फैसला लिया उसे तुरंत अमल में लाते थे. इसलिए उन्हें धरती पुत्र कहा जाता था. शुरुआती दौर में अपनी पार्टी का वोट बैंक बढ़ाने के लिए उन्होंने हमीरपुर और महोबा के साथ ही आसपास के जिलों में कई बड़ी रैली की थी. रैली में उन्हें सुनने और देखने के लिए उस जमाने में जन सैलाब उमड़ता था. 

एक वोट के लिए किया मंत्री पद ऑफर
बता दें कि करीब 3.144 किमी क्षेत्रफल वाले इस जिले में 521 गांव हैं. महोबा, चरखारी और कुलपहाड़ आदि तहसीलें है. इस जिले में चार ब्लाक भी आते हैं. विधायक की शर्त पर मुलायम ने लिया था बड़ा फैसला एक और वरिष्ठ पत्रकार देवी प्रसाद गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में अल्पमत में सरकार के आने पर मुलायम सिंह यादव ने सीएम रहते महोबा को नया जिला बनाने का बड़ा फैसला लिया था. अपनी सरकार बचाने और एक वोट के लिए मुलायम सिंह यादव ने महोबा विधान सभा से जनता दल के विधायक अरिमर्दन सिंह को बुलवाकर मंत्री पद ऑफर किया था. विधायक ने मंत्री पद लेने से साफ इंकार करते हुए उनके सामने महोबा को नया जिला बनाने की शर्त रख दी. जिस पर तत्कालीन सीएम ने आननफानन बड़ा फैसला लिया और डीएम उमेश सिन्हा को साथ लाकर मुलायम ने महोबा को नया जिला घोषित किया था.

प्रकार देवी प्रसाद गुप्ता ने बताया की महोबा के विधायक की शर्त पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव 11 फरवरी 1995 को हेलीकाप्टर से महोबा आए थे. उनके साथ आईएएस उमेश सिन्हा भी आए थे. मंच से महोबा को स्वतंत्र जिला घोषित करने के साथ उमेश सिन्हा को डीएम बनाया गया था. उनके इस फैसले से महोबा में घर-घर दीये जलाए गए थे. महोबा पहले हमीरपुर जिले में सम्मिलित था जिसके अलग होने से यहां के लोगों नाराज हुए थे.

(नाहिद अंसारी की रिपोर्ट)