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Indian Navy Day: 400 सालों के इतिहास में कहां पहुंची है भारतीय नौसेना, जानिए

हिन्दुस्तान की नौसेना ताकत के मामले में दुनिया के बहुत से देशों से आगे है. भारतीय नौसेना के जहाज समुद्र में दम दिखाते रहे हैं, तो नौसेना के लड़ाकू विमान तिरंगे के साथ आसमान में हुंकार भरते नजर आते हैं.

भारतीय नौसेना भारतीय नौसेना
हाइलाइट्स
  • पूरी तरह आत्मनिर्भर बनेगा भारत

  • गौरवशाली है भारतीय नौसेना का इतिहास

समुद्री सरहदों की रक्षा करने वाली हिंदुस्तान की नौसेना देश की फौजी ताकत का बेहद दमदार और अहम हिस्सा है. यह दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर नौसेना है. भारतीय नौसेना का इतिहास गौरवशाली है और सदियों पुराना है। माना जाता है कि भारतीय नौसेना का पहले-पहल गठन छत्रपति शिवाजी महाराज ने किया था, हालांकि इसे आगे बढ़ाने का काम अंग्रेजों ने किया. तब से लेकर अब तक भारतीय नौसेना ने तमाम पड़ाव देखे हैं.

भारतीय नौसेना का पराक्रम पूरी दुनिया ने देखा है और पूरी दुनिया भारतीय नौसेना की ताकत से भली भांति परिचित है. भारतीय नौसेना की क्षमता का लोहा दुश्मन भी मानता है. बदलते समय के साथ नौसेना ने हर मोर्चे पर अपनी काबिलियत साबित की है. उम्मीद जताई जाती है कि आने वाले वक्त में भी यह देश का गौरव बढ़ाने में अपनी अहम भूमिका निभाती रहेगी.

भारतीय नौसेना की ताकत 
भारतीय नौसेना में  इस समय 67 हजार 252 सक्रिय सैनिक और 75 हजार रिजर्व सैनिक हैं. वहीं 2 विमान वाहक जहाज भारतीय नौसेना के पास हैं. नौसेना के बेड़े में करीब 300 जंगी जहाज, पनडुब्बियां  और दूसरे जहाज हैं. इनमें, 17 पनडुब्बियां, 60 जंगी जहाज और 128 गश्ती पोत शामिल हैं.

भारतीय नौसेना का गौरवशाली इतिहास
इतिहास पर नजर डालें तो ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1612 में नौसेना का गठन किया. 1686 में इसका नाम ईस्ट इंडिया मरीन से बदलकर बॉम्बे मरीन कर दिया गया. 1830 में बॉम्बे मरीन का नाम बदलकर ब्रिटिश महारानी की भारतीय नौसेना किया गया. 1863 से 1877 तक फिर इसका नाम बॉम्बे मरीन रहा. बाद में 1892 में इसे रॉयल इंडियन नेवी का नाम दिया गया. भारत की आजादी के बाद, 1950 में इसका नाम बदल कर भारतीय नौसेना कर दिया गया.
वीर शिवाजी के जमाने से और अंग्रेजों के शासन तक हिंदुस्तान की नौसेना का योगदान पूरी दुनिया हमेशा याद करती है. पहले और दूसरे विश्व युद्ध में भी भारतीय नौसेना ने अपनी मौजूदगी से पूरी दुनिया को हिला दिया था. 

हाल ही में बदला नौसेना का ध्वज
इसी साल, 2022 में 2 सितंबर को नौसेना का ध्वज बदला गया और भारतीय नौसेना को नई पहचान मिली. नौसेना की ये नई पहचान ब्रिटिश राज के कड़वे अतीत से पहले आजाद भारत की समृद्ध विरासत की निशानियों को समेटे हुए. नौसेना के नए ध्वज में से अंग्रेजों की निशानी क्रॉस का लाल निशान हटा दिया गया. नए ध्वज में उसकी जगह तिरंगे और अशोक चिह्न ने ली. इसी दिन, देश के नए विमानवाहक युद्धपोत विक्रांत को भी नौसेना में शामिल किया गया. यह पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है. नौसेना प्रमुख आर हरिकुमार के मुताबिक, अगले साल मई-जून से आईएनएस विक्रांत से विमानों का संचालन शुरु होने की संभावना है. 

पूरी तरह आत्मनिर्भर बनेगा भारत
आजादी के अमृत काल में भारतीय नौसेना आधुनिकीकरण की डगर पर तेजी से आगे बढ़ रही है और कामयाबी के झंडे गाड़ रही है. नौसेना के काम आने वाले 3400 से ज्यादा साजो सामान अब स्वदेश में ही बन रहे हैं. इनमें 2000 से अधिक मशीनरी और बिजली पुर्जे, 1000 से अधिक विमानन पुर्जे और 250 से अधिक हथियार शामिल हैं. उम्मीद है कि आने वाले समय में नौसेना के ज्यादा से ज्यादा साजो सामान स्वदेशी ही होंगे.

क्यों मनाया जाता है नौसेना दिवस?
आजादी के बाद 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान नौसेना की ईस्टर्न फ्लीट के शानदार पराक्रम के कारण पाकिस्तान को करारी हार का सामना करना पड़ा. इसी युद्ध में विजय के जश्न के रूप में हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाता है. हालांकि, नौसेना दिवस का आयोजन पहले अलग-अलग तारीखों को भी किया जाता रहा है.

नौसेना दिवस का इतिहास
सबसे पहले नौसेना दिवस 21 अक्टूबर 1944 को मनाया गया था. इसका मकसद लोगों में नौसेना के प्रति जागरूकता बढ़ाना था. 1945 से नेवी डे 1 दिसंबर को मनाने की परंपरा शुरू हुई. 1972 तक नौसेना दिवस 15 दिसंबर को मनाया जाता रहा. 1972 में ही तय हुआ कि हर साल नेवी डे 4 दिसंबर को मनाया जाए. 1 से 7 दिसंबर तक नौसेना सप्ताह का आयोजन किया जाता है.