हरियाणा का मेवात इलाका मुस्लिम बहुल क्षेत्र है. यहां पिछले लगभग 500 सालों से मुसलमान रह रहे हैं. हालांकि, जब भी बात मेवात के मुस्लिम समुदाय की होती है तो अक्सर लोग कहते हैं कि ये पूरे मुसलमान नहीं हैं. ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनकी बहुत सी परंपराएं हिंदुओं से मिलती-जुलती हैं. कई रिसर्च स्टडीज के मुताबिक तो कुछ सालों पहले तक, मेवात के मुस्लिम एक ही गोत्र में अपने बच्चों की शादी तक नहीं करते थे. जबकि इस्लाम धर्म में कजिन्स में शादी होना सामान्य है.
मेवात के मुस्लिम समुदाय को मेव मुस्लिम कहा जाता है. कहते हैं कि यहां मेव बसे हुए हैं इसलिए ही इस इलाके को मेवात कहा जाने लगा. मेव मुसलमानों का इतिहास भारत में काफी ज्यादा पुराना है. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मेव मुसलमानों का समुदाय ऐसा है जिनका मजहब इस्लाम है लेकिन रगों में खून राजपुताना है.
मेवात के मुस्लिम हैं मेव राजपूत
मेवात में रहने वाले पुश्तैनी लोगों से कभी उनका इतिहास पूछेंगे तो आपको एक किस्सा जरूर सुनने को मिलेगा. यह किस्सा हिंदुस्तान की आजादी से भी ज्यादा पुराना है. 27 मार्च 1527 को मुगल शासक बाबर अपनी विशाल सेना के साथ मौजूदा भरतपुर जिले के खानवा गांव में खड़े थे और उनके सामने थे मेवाड़ के राजा राणा सांगा. इतिहासकार कहते हैं कि इन दोनों सेनाओं के बीच एक और वीर था जिसने बाबर के कदमों को आगे बढ़ने से रोका था.
इस वीर का नाम था राजा हसन खान मेवाती, जो मजहब से मुस्लिम थे और खून से राजपूत. हसन खान ने राणा संगा का साथ दिया और जंग में खुद को बलिदान कर दिया. हरियाणा के नूंह-मेवात और राजस्थान के अलवर व भरतपुर जिले में मेव राजपूत बसे हुए हैं. ये मेव मुसलमान मेवाती भाषा बोलते हैं और ये गोरवाल खंजादा, तोमर, राठौर और चौहान राजपूतों के वंशज हैं.
धर्म परिवर्तन किया लेकिन नहीं भूले संस्कृति
मेव मुस्लिम लोक महाकाव्यों और गाथागीतों के वर्णन के लिए पूरे मेवात क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं. मेवों के गाए गए महाकाव्यों और गाथागीतों में, सबसे लोकप्रिय पांडुन का कड़ा है, जो महाभारत का मेवाती संस्करण है. कई मेव खुद को अर्जुन के वंशज के रूप में वर्णित करते हैं. मेवों की एक अलग पहचान है, जो उन्हें मुख्यधारा के हिंदू और मुस्लिम समाज दोनों से अलग करती है. उनकी शादियां इस्लामी निकाह समारोह को कई हिंदू रीति-रिवाजों के साथ जोड़ती हैं - जैसे संपूर्ण गोत्र बनाए रखना, एक विशिष्ट हिंदू प्रथा है जिसे मेव भी फॉलो करते हैं.
ऐसा माना जाता है कि बारहवीं और सोलहवीं शताब्दी के बीच मेव धीरे-धीरे इस्लाम में परिवर्तित हो गए. उनके नाम से उनकी हिंदू उत्पत्ति स्पष्ट होती है, क्योंकि ज्यादातर मेव अभी भी "सिंह" टाइटल रखते हैं. आपको बहुत से लोगों को नाम राम सिंह, तिल सिंह और फतेह सिंह जैसे मिल जाएंगे. मेवात इलाके में लोगों का दृढ़ विश्वास है कि वे अर्जुन के वंशज क्षत्रिय हैं जो सूफी पीर के प्रभाव में धीरे-धीरे इस्लाम में परिवर्तित हो गए.